छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की अनोखी समस्याएं?
छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की अनोखी समस्याएँ।
राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय छिंदवाड़ा। www.cuc.ac.in chhindwara university
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छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की स्थापना मध्य प्रदेश के राजपत्र (असाधारण) भोपाल दिनांक 17 जून 2019 के अनुसार मध्य प्रदेश और देश के सबसे प्रमुख और मांग वाले विश्वविद्यालयों में से एक बनने के इरादे से की गई है। विश्वविद्यालय विभिन्न नवीन और एकीकृत शैक्षिक कार्यक्रम शुरू करेगा जो देश भर से छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करेगा
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मध्य प्रदेश सरकार के द्वारा छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई है यह यूनिवर्सिटी छिंदवाड़ा जिले के मुख्यालय पर स्थित शासकीय स्वशासी स्नातक उत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा अर्थात जिसे पीजी कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है के ही कैंपस में इसका प्रशासनिक भवन वर्तमान में स्थित है।
वर्तमान में इस यूनिवर्सिटी को लगभग 4 वर्ष तो हो ही गए हैं किंतु इसकी नीतियां अभी तक बहुत विचित्र है और इससे विद्यार्थियों को बहुत परेशानी और बहुत देरी का सामना करना पड़ता है आईए जानते हैं कि वह समस्याएं किस तरह की है।
पहली नीति :
पहली बात तो यह है की समझ में नहीं आता कि यह विश्वविद्यालय विद्यार्थियों के हित को लेकर बना है अथवा अहित के लिए बना है यह इसकी नीतियों से इसकी नीतियों को देखकर ही हम समझ सकते हैं तो पहली बात यह है की जब पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर कोई विद्यार्थी प्रथम सेमेस्टर में किसी कारणवश कोई पेपर नहीं दे पता है अथवा तो दो में , चार में से दो से अधिक विषयों में फेल हो जाता है तो उस विद्यार्थी को दूसरे सेमेस्टर में बैठने ही नहीं दिया जाता है इस प्रकार की व्यवस्था किसी भी प्रकार के महत्वपूर्ण तकनीकी संस्थानों या अन्य संस्थाओं में कहीं भी नहीं देखी जाती है क्योंकि विद्यार्थी का एडमिशन पूरे वर्ष के लिए होता है न कि केवल एक सेमेस्टर के लिए। और यदि वह विद्यार्थी किसी कारण परीक्षा न दे पाए या वह फेल हो जाए तो वह दोनों सेमेस्टर की परीक्षाएं उसके नेक्स्ट सेमेस्टर में दे सकता है। इस प्रकार की सुविधा छात्रहित में सभी सभी विश्वविद्यालय करते हैं। किंतु यह विश्वविद्यालय ऐसे विद्यार्थी जो प्रथम सेमेस्टर में फेल हो गए या परीक्षा नहीं दे पाए उनके लिए केवल अगले वर्ष ही उन्हें यह अनुमति देता है कि वह उसकी परीक्षा में बैठ सके और इस प्रकार उनका एक वर्ष पूरी तरह से बर्बाद हो जाता है। इस प्रकार स्नातकोत्तर में पढ़ने वाली अनेक छात्राएं जिनका विवाह होने वाला है या हो जाता है वह अपने अध्ययन को बीच में ही छोड़ देती है और इसके लिए विश्वविद्यालय पूर्णतः उत्तरदाई है किंतु वह अपने उत्तरदायित्व को नहीं निभाता।
दूसरी नीति :-
दूसरी एक विशेष प्रक्रिया या अनोखी प्रक्रिया कहीं जा सकती है कि यह विश्वविद्यालय हमेशा जब भी परीक्षाओं का टाइम टेबल जारी करता है तो वह एक-एक परीक्षाओं को एक समय में लेता है अर्थात स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा लेना है तो 1 महीने के वही स्नातक प्रथम वर्ष की परीक्षा चलेगी। तत्पश्चात दूसरे वर्ष कि, फिर तीसरे अर्थात अंतिम वर्ष की। उसके पश्चात ही स्नातक उत्तर के प्रथम या तृतीय सेमेस्टर कि, उसके पश्चात ही द्वितीय या चतुर्थ सेमेस्टर की। इस विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले सभी संस्थान इन परीक्षाओं की प्रक्रियाओं में ही उलझे रहते हैं। और उनके अध्ययन अध्यापन की सारी प्रक्रिया बाधित हो जाती है। इस प्रकार इस विश्वविद्यालय की यह दूसरी अनोखी विशेषता है।
तीसरी नीति –
तीसरी इसकी अनोखी विशेषता यह है कि यह है जब भी अपने परीक्षा परिणाम घोषित करता है तो कुछ ही दिनों के बाद यह है अपनी वेबसाइट से उनको हटा देता है इस प्रकार का चरित्र किसी भी बड़े संस्थान में नहीं देखा जाता अनेकों ऐसे राष्ट्रीय संस्थान है जिनमें कई वर्षों का परीक्षा परिणाम उसे संस्थान के विद्यार्थी आज भी उनकी वेबसाइट पर लॉगिन करके देख सकते हैं यह छात्र हित में बड़ा अच्छा माना जाता है किंतु यहां पर यदि विद्यार्थी ने उसका स्क्रीनशॉट नहीं लिया है तो उसे अपनी सामान्य जानकारी के लिए बहुत ही परेशान होना पड़ता है पता नहीं इस प्रकार का आचरण करके यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों से क्या चाहता है।
चतुर्थ नीति :-
इसकी चौथी महानता यह है कि यह विश्वविद्यालय कभी भी अपने परीक्षा की समय सारणी में परिवर्तन कर देता है एक दो बार हो तो बात अलग है किंतु यह बार-बार देखा जाता है और इस प्रकार अनेकों विद्यार्थी जब उनकी परीक्षा की तिथि आगे अथवा पीछे पीछे की आ गया अथवा आगे की पीछे हो जाती है तो वह भ्रमित होकर रह जाते हैं और अनेकों बार उनका परीक्षा देना ही रह जाता है क्योंकि उन्हें उसे बात का पता नहीं था ऊपर से यह अपनी वेबसाइट पर इस प्रकार की सूचनाओं को सहजता से अपने विद्यार्थियों को उपलब्ध नहीं कराते।
PhD :-
PhD के पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले अधिकांश विद्यार्थी की यहां पर यूनिवर्सिटी बनी है तो अब हम यहां से PhD करेंगे वह रास्ता ही देखते रह गए हैं किंतु उन्हें अब तक इस विश्वविद्यालय की ओर से एचडी के कर्म में प्रवेश के लिए अवसर प्राप्त नहीं हुए हैं यह बड़ा ही विचित्र है।
इस महाविद्यालय को इतना लंबा समय हो जाने के उपरांत भी इसके पास यूनिवर्सिटी टीचिंग डिपार्टमेंट अर्थात यूटीडी अब तक भी उपलब्ध नहीं हो सका है नहीं इसकी बिल्डिंग आदि के निर्माण का कोई ठिकाना है इसमें राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन दोनों में से किसकी कहां कमी है पता नहीं चलता।
रिचैक और री टोटलिंग की झंझट :-
विश्वविद्यालय रि-टोटलिंग के नाम पर मोटी रकम तो वसूलते हैं है पर जब विद्यार्थी वहां जाते हैं और कहते हैं कि मैं यह उत्तर सही लिखा है पर इस पर मुझे अंक प्राप्त नहीं हुए हैं तो उसकी सुनवाई करने वाला वहां कोई नहीं होता है और कभी-कभी तो यह भी देखा जाता है की रिटोटलिंग में भी समस्याएं होती है किंतु यूनिवर्सिटी प्रशासन उस पर किसी प्रकार का ध्यान नहीं देता।
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