2.4 पेपर, लेख, कार्यशाला, संगोष्ठी, सम्मेलन और प्रारूप / विचार समिति।
शोध प्रपत्र (Research paper)
एक उत्तम प्रकार का शोध प्रपत्र आलोचनात्मक, सृजनात्मक तथा चिन्तन स्तर का कार्य है। इसमें एक विशिष्ट प्रक्रिया को अपनाकर समुचित क्रम में कार्य किया जाता है ताकि अनुसन्धानकर्ता की शक्ति तथा समय का न्यूनतम अपव्यय हो।
शोध प्रपत्र के अन्त में सन्दर्भ सूची अवश्य होनी चाहिए, जिससे शोधकार्य की वैधता बढ़ती है।
लेख (Essay).
एक अच्छा लेख संक्षिप्त, सारगर्भित और चिन्तन स्तर का होता है। इसमें किसी विषय विशेष के सम्बन्ध में क्रमिक रूप से लेखन किया जाता है।
कार्यशाला (Workshop)
शिक्षा-प्रक्रिया के दो पक्ष प्रमुख माने जाते हैं- सैद्धान्तिक तथा व्यावहारिक ।
उच्च ज्ञानात्मक और भावात्मक पक्ष के विकास के लिए विचार- गोष्ठी तथा सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। क्रियात्मक पक्ष के विकास के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। कार्यशाला का प्रयोग क्रियात्मक पक्ष के विकास के लिये किया जाता है।
विचारगोष्ठी (Seminar)
विचारगोष्ठी अनुदेशन की ऐसी प्रविधि है, जिससे चिन्तन स्तर के अधिगम के लिए अन्त: प्रक्रिया की परिस्थिति उत्पन्न की जाती है। इस प्रविधि का विभिन्न स्तरों पर अनुदेशन परिस्थितियों के लिए प्रयुक्त किया जाता है। यह अधिक सीमित एवं औपचारिक प्रकृति की होती है, जबकि सम्मेलन अधिक विस्तृत एवं अनौपचारिक प्रकृति का होता है। विचारगोष्ठी में परिचर्चा सीमित समय में अधिक विषयों पर होती है।
सम्मेलन (Conference)
सम्मेलन व्यक्तियों की एक सभा होती है, जिसमें उन्हें एक निश्चित समय में एक साथ किसी विशिष्ट कार्य या समस्या पर चिन्तन करना होता है। ये क्षेत्रीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय हो सकते हैं। सम्मेलन का उद्देश्य समूह के व्यक्तियों के ज्ञान, अनुभव, विचार, भावनाओं एवं राय के आधार पर एक समान उद्देश्य के लिए सलाह, सलाह-मशविरा एवं परिचर्चा करना है।
परिसंवाद (Symposium)
‘सिम्पोजियम’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम प्लेटो ने एक सुन्दर आदान-प्रदान के लिए किया था, जिसमें ईश्वर के प्रति विचार प्रस्तुत किए गए थे।
*”यह एक ऐसा समूह है जिसमें श्रोता को उत्तम प्रकार के विचारों से अवगत कराया जाता है। श्रोता प्रकरण सामान्य तैयारी के अपने मंजे हुए विचारों को सम्मिलित करते हैं और नीति, मूल्यों तथा बोधगम्यता के सम्बन्ध में निर्णय लेते हैं।”
एक से अधिक व्यक्तियों की राय के अनुसार कोई निर्णय लेना होता है तो इसे सभी व्यक्तियों को आपस में बैठकर उस विषय पर वार्तालाप करना होता है। ऐसे वार्तालाप को परिसंवाद या Symposium की संज्ञा दी जा सकती है। प्रबंध संस्थानों तथा नौकरियों की तलाश कर रहे शिक्षार्थियों की संप्रेषणशीलता की जाँच करने के लिए परिसंवाद एक सशक्त माध्यम है। परिसंवाद की प्रक्रिया का लक्ष्य किसी समस्या के विभिन्न पक्षों को समझना होता है।