Eye Opening Views of Rabindranath Tagore on Islam & Communism


Rabindranath Tagore 

rabindranath tagore,

Eye Opening Views of Rabindranath Tagore on Islam & Communism

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00:00:05 महान कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रबींद्रनाथ टैगोर हिंदू धर्म इस्लाम और ईसाई मजहब के बारे में क्या सोचते थे ?  यह हम सभी को जानना चाहिए। यह महत्त्वपूर्ण है।  क्योंकि सेकुलरिज्म के नाम पर जो कुछ बताया जा रहा है, उसने हमें एक मति भ्रमित समाज बनाकर रख दिया है, जिसे अपने हित aहित का भी बोध नहीं।  स्वतंत्रता के बाद वामपंथी प्रोपेगेंडा तंत्र ने एक और मुसलमानों को बढ़ावा दिया ताकि वे भारत को पूरी तरह से हड़पने के अपने अधूरे एजेंडे को जारी रख सके, दूसरी ओर हिंदुओं को गंगा जमुनी तहजीब जैसी काल्पनिक बातों में बहला कर रखा।

00:00:53 रखा इसके लिए उनका सबसे बड़ा हथियार था हमारे महापुरुषों के विचारों को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करना । 1921 में हुआ मोपला हिंदू नर संघार बीती शताब्दी की सबसे प्रमुख सांप्रदायिक घटनाओं में से एक था।  वीर सावरकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और एनी बेसेंट उन नेताओं में प्रमुख थे जिन्होंने उसके पीछे की इस्लामी मानसिकता को पहचाना, और उसके विरुद्ध खुलकर बोला।  लेकिन एक साहित्यकार के रूप में रबींद्रनाथ टैगोर ने जो कुछ लिखा है वह सबसे महत्त्वपूर्ण है।  यही कारण है कि कांग्रेस द्वारा पाले गए वामपंथी प्रोपेगेंडा तंत्र ने उनके कथनों को ढकने छिपाने का पूरा प्रयास किया ।

00:01:42 रबींद्रनाथ टैगोर अपने लेख समस्या में श्रृंगेरी शारदा पीठ के जगतगुरु शंकराचार्य को सौंपी एक रिपोर्ट को उद्धृत करते हुए लिखते हैं, मालाबार के हिंदू सामान्य रूप से अत्यंत सौम्य और विनम्र हैं । मोपला मुसलमानों से वे इतना डरते हैं कि जैसे ही कोई संकट आता है वे अपनी महिलाओं और बच्चों के साथ पलायन शुरू कर देते हैं। उन्हें लगता है कि ईश्वर एक दिन उन अत्याचारiyyon को दंडित करेगा टैगोर आगे लिखते हैं हिंदू सांसारिक समस्याओं का व्यवहारिक हल निकालने के बजाय ईश्वर पर अधिक आश्रित हो गए हैं उनमें यह विवेक ही समाप्त हो गया है कि आत्मरक्षा ना करके वास्तव में वे ईश्वर का अपमान कर रहे हैं ।

00:02:31 केरल के मालाबार में मुसलमानों द्वारा हिंदुओं के नर सिंघार ने पूरे भारत में भारी आक्रोश पैदा कर दिया था। दूसरी ओर गांधी iसे जमींदारों और किसानों का संघर्ष बताकर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास करते रहे।  टैगोर ने लिखा है 800 वर्ष पहले मालाबार के हिंदू राजा ने अपने ब्राह्मण मंत्रियों की सलाह पर अरब से आए व्यापारियों को अपने राज्य में बसने की अनुमति दी थी। उन्होंने जब धर्मांतरण शुरू किया तो राजा ने इसकी अनुमति दे दी।  उस मूर्खता का परिणाम आज भी वहां के हिंदू झेल रहे हैं । 

00:03:22 उन्हें लगता है कि ईश्वर इसके लिए दोषी है, और वही उन्हें बचाएगा रबींद्रनाथ टैगोर ने यहां एक ऐसी बात कही है जो आज हम सबको बहुत ध्यान से सुननी और समझनी चाहिए। उन्होंने लिखा है मूर्खता का ही परिणाम है कि हिंदू आपस में बढते गए और एक दिन गुलाम हो गए।  किंतु यदि हम केवल अत्याचार के बारे में सोचेंगे तो कोई समाधान नहीं मिलेगा। यदि हम अपनी अंतर्निहित मूर्खता से छुटकारा पा लेn तो अत्याचारी हमारे सामने आत्मसमर्पण कर देगा। रविंद्रनाथ टैगोर मानते थे कि हिंदू केवल एकजुट रहेn तो विदेशी अब्रिक abrahmik मजहब उनका कुछ बिगाड़ नहीं पाएंगे।

00:04:15 अपने निबंध संग्रह कालांतर में स्वामी श्रद्धानंद शीर्षक से वि लिखते हैं अल्लाहू अकबर की अपील पर सारे मुसलमान एक हो सकते हैं। कोई प्रति विरोध नहीं होगा। लेकिन जब हम कहेंगे आओ हिंदुओ, तो संभवतः कोई उत्तर नहीं देगा।  हम हिंदू कई छोटे-छोटे समुदायों और प्रांतीयtaa  में बटे हुए हैं । हमने कई खतरों का सामना किया, लेकिन हम कभी एकजुट ना हो सके।  जब मोहम्मद गौरी ने पहला प्रहार किया तो तब हम एकजुट नहीं हो सके। मुसलमानों ने एक के बाद एक मंदिरों को ध्वस्त करना शुरू किया और देवी देवताओं की मूर्तियों को तोड़ा तब हिंदू छोटी-छोटी टुकड़ियों में लड़े और सब मारे गए लेकिन वे एकजुट नहीं हो सके । 

00:05:04 बंगाली साप्ताहिक स्वस्तिक ने हेमंत बाला सरकार को लिखे गुरुदेव के पत्र का उल्लेख अपने 21 जून 1899 के संस्करण में किया है इसमें वे लिखते हैं देश की भयावह स्थिति मेरे मन को बेचैन कर रही है और मैं चुप नहीं रह सकता।  निरर्थक कर्मकांड में फंसकर हिंदू सैकड़ों संप्रदायों में बंटा हुआ है।  हम लगातार हार रहे हैं, हम आंतरिक व बाहरी शत्रुओं की मार से थक चुके हैं आप बच्चों की मां है एक दिन आप मर जाएंगी अपने बच्चों के कमजोर कंधों पर हिंदू समाज का भविष्य सौंप देंगी उनके भविष्य के बारे में सोचे n ।

00:05:53 स्वामी श्रद्धानंद पर लेख में टैगोर लिखते हैं जब हवा में कम दबाव बनता है तो तूफान अपने आप आ जाता है उसी प्रकार यदि हम अपनी कमजोरी को पोषित करते रहेंगे तो अत्याचारी स्वतः ही आ जाता है उसे कोई रोक नहीं सकता।  हिंदू और मुसलमान कुछ समय के लिए एक दूसरे से झूठी दोस्ती कर सकते हैं, लेकिन यह हमेशा के लिए नहीं चल सकता। जब तक आप उस मिट्टी को शुद्ध नहीं करते जिसमें केवल कांटेदार झाड़ियां उगती हैं तब तक आप किसी भी फल की आशा नहीं कर सकते। विश्व भारती द्वारा वर्ष 1922 में

00:06:46 प्रकाशित ओरिजिनल वर्क्स ऑफ रबींद्रनाथ वॉल्यूम 24 में पेज 375 पर रबींद्रनाथ टैगोर का एक कथन है- “धरती पर केवल दो ऐसे मजहब हैं जो अन्य सभी के प्रति शत्रुता रखते हैं- यह दोनों हैं ईसाई और इस्लाम। वे केवल अपने मजहब के पालन से संतुष्ट नहीं होते, बल्कि अन्य सभी को नष्ट करने के लिए उतावले रहते हैं। उनके साथ शांति का केवल एक मात्र रास्ता है कि आप भी उनके मजहब को अपना लेn वे दूसरा कोई विकल्प नहीं देते। अब्राहम एक मजहब ही नहीं रबींद्रनाथ टैगोर कम्युनिस्टों या बोलशविज्म के खतरे से भी आगाह करते हैं अपनी पुस्तक परिचय के

00:07:38 अध्याय आत्म परिचय में टैगोर लिखते हैं जब दो-तीन अलग-अलग मजहब दावा करते हैं कि केवल वे ही सत्य हैं और अन्य सभी झूठे हैं उनका धर्म ही स्वर्ग का मार्ग है तो संघर्ष होना तय है।  किसी भी प्रकार की कट्टरता अन्य सभी विचारों को नष्ट करने पर आधारित होती है। वामपंथ भी इसी नीति पर चलता है। विश्व को ऐसी संकुचित मानसिकता से केवल हिंदू धर्म ही बचा सकता है। इस्लाम की असली बीमारी गुरुदेव रबींद्रनाथ टैगोर ने तब पकड़ ली थी जब इस बारे में कोई बात करने को तैयार नहीं होता था । टाइम्स ऑफ इंडिया में 18 अप्रैल 1924 को एक साक्षात्कार में टैगोर कहते हैं

00:08:29 हिंदू मुस्लिम एकता में सबसे बड़ी बाधा यह है कि मुसलमान अपनी निष्ठा किसी एक देश तक सीमित नहीं रख सकते। मैंने कई मुसलमानों से स्पष्ट रूप से पूछा कि क्या किसी मुस्लिम शक्ति के भारत पर आक्रमण की स्थिति में वे अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अपनी मातृभूमि की रक्षा करेंगे ??  मुझे जो उत्तर मिले वे संतोषजनक नहीं है । यहां तक कि मुसलमानों के बड़े नेता भी खुलकर कहते हैं कि उनके लिए मजहब बड़ा है,  देश या पड़ोसी नहीं।  टैगोर ने दोनों ही विदेशी मजहब के बारे में जो कुछ भी कहा है उस पर स्वतंत्रता के बाद यदि अमल किया जाता या

00:09:20 कम से कम भारतीय जनमानस को पता चलने दिया गया होता, तो आज देश बेहतर स्थिति में होता।  सोचिए वो कौन लोग थे जिन्होंने हिंदुओं से यह सारी बातें छिपा ली और उल्टा यह प्रचारित किया गया कि टैगोर तो अंग्रेजों के एजेंट थे।  यह भी एक विडंबना है कि रबींद्रनाथ टैगोर जैसी महान विभूति की नई पीढ़ी में आज तैमूर जहांगीर आलमगीर जन्म ले रहे हैं।  इंक्स ऑनलाइन (INDIX ONLINE) के वीडियो समाज को समर्पित हैं आप इनको डाउनलोड करके जैसे चाहेn वैसे प्रयोग कर सकते हैं चाहे तो आप हमारे टेलीग्राम चैनल से जुड़ सकते हैं वहां सारे नए पुराने वीडियो आपको मिल जाएंगे

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