Pratyaksha Praman – प्रत्यक्ष प्रमाण-Part-05-सारांश
तत्त्वचिन्तन की प्रक्रिया में प्रमाणमीमांसा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि प्रमाणों की सहायता से ही प्रमेयो (तत्त्वों) का ज्ञान सम्भव होता है। दर्शनसरणियो में यह प्रसिद्ध उक्ति भी है – मानाधीना मेयसिद्धि अर्थात् मेय (प्रमेय) की सिद्धि मान (प्रमाण) के अधीन होती है। प्रमा या यथार्थज्ञान की उपलब्धि किसी साधन की सहायता से ही … Read more