कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 206 अर्थ सहित

kabir ke pad arth sahit. पद: 206 सब दुनी सयानी मैं बौरा, हम बिगरे बिगरौ जनि औरा। मैं नहिं बौरा राम कियो बौरा, सतगुरु जार गयौ भ्रम मोरा। बिद्या न पढूँ वाद नहिं जाँनूं, हरि गुण कथत-सुनत बौ बौराँनुं।। काम-क्रोध दोऊ भये बिकारा, आपहि आप जरै संसारा।। मिठो कहा जाहि जो भावे, दास कबीर रांम … Read more