कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) के पद संख्या 209 अर्थ सहित
पद: 209 अपनपौ आप ही बिसरो। जैसे सोनहा काँच मंदिरमें भरमत भूंकि मरो। जो केहरि वपु निरखि कूप-जल प्रतिमा देखी परो। ऐसे हि मदगज फाटिक शिलापर दसननि आनि अरो। मरकर मुठी स्वाद ना बिसरै घर-घर नटत फिरो। कह कबीर नलनीकै सुनवा तोहि कौन पकरो।। शब्दार्थ :- सोनहा = कुत्ता । काँच के मन्दिर में कुत्ता … Read more