कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) के पद संख्या 208 अर्थ सहित
पद: 208 सील-संतोखते सब्द जा मुखबसै, संतजन जौहरी साँच मानी। बदन बिकसित रहै ख्याल आनंदमे, अधरमें मधुर मुस्कात बानी। साँच गेलै नहीं झूठ बोलै नैन, सूरतमें सुमति सोई श्रेष्ठ ज्ञानी। कहत हौ ज्ञान पुक्कारि कै सबनसो, देत उपदेस दिल दर्द ज्ञानी। ज्ञान को पूर है रहनिको सूर है, दया की भक्ति दिलमाही ठानी। औरते छोर … Read more