कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) के पद संख्या 210 अर्थ सहित
पद संख्या 210 दरस दिवाना बावरा अलमस्त फकीरा । एक अकेला ह्वै रहा अस मत का धीरा || हिरदे में महबूब है हर दम का प्याला । पोयेगा कोई जौहरी गुरु मुख मतवाला || पियत पियाला प्रेम का सुधरे सब साथी साथी। आठ पहर झूमत रहै जस मैगल हाथी || बंधन काटे मोह के बैठा … Read more