Q1.अनुमान के बारे में न्याय मत के अनुसार निम्नलिखित में से कौन। से अनुमान कार्य-कारण भाव पर आधारित हैं?
1. काले बादलों से भावी वर्षा का अनुमान करना।
2. नदी में द्रुतगामी कीचड़ भरे जल से विगत की वर्षा का अनुमान करना।
3. किसी पशु के सींगों से विदीर्ण खुरों का अनुमान करना।
4. जब हम किसी व्यक्ति के घर के बाहर उसका अस्तित्व होने का अनुमान करते हैं क्योंकि यह व्यक्ति अपने घर में सहवर्ती रूप से उपस्थित नहीं है।
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनें: (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
(a) केवल 1 और 3
(c) केवल 1 और 2
(b) केवल 3 और 4
(d) केवल 2 और 3
Ans: 1. ( C)
व्याख्या-1. 1- काले बादलों से सहज ही भावी वर्षा का अनुमान किया जा सकता है।
2- नदी में दुतगामी कीचड़ भरे जल को देखकर विगत की वर्षा का अनुमान किया जा सकता है।
3- किसी पशु के सींगों से विदीर्ण खुरों का अनुमान नहीं किया जा सकता।
4- यदि कोई व्यक्ति अपने घर में उपस्थित नहीं है तो यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि वह अपने घर के बाहर ही होगा।
Q2. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन न्याय तर्कशास्त्र के बारे में सही है?
1.अनुमान केवल सामान्य से विशेष तक होता है।
2.अनुमान केवल विशेष से सामान्य तक होता है।
3. अनुमान केवल विशेष से विशेष तक होता है।
4. अनुमान विशेष से सामान्य के माध्यम से विशेष तक होता है।
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर चुनेः (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
(a) कंवल 4
(b) केवल 1
(c) केवल 1 और 2
(d) केवल 2 और 4
उत्तर : 2. (a)
व्याख्या-2. अनुमान विशेष से सामान्य के माध्यम से विशेष तक होता है।
Q3. निम्नलिखित में से कौन-सा क्लासिको भारतीय न्याय मत के संस्थापक का नाम है? (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
(A) कुमारिल
(b) कौटिल्य
(c) गौतम
(d) ईश्वरकृष्ण
उत्तर : 3. ( C)
व्याख्या-3. क्लासिकी भारतीय न्यायमत के संस्थापक गौतम है।
Q4. नीचे दो कथन दिये गए हैं: (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
कश्चन 1: अरस्तूवादी न्यायवाक्य में आधार वाक्य में मुख्य पद और लघु पद अलग होते हैं यद्यपि वे मध्यम पद द्वारा एक दूसरे से जुड़े होते हैं।
कथन II: नैयायिक न्यायवाक्य में सभी तीनों पद उपनय में सश्लेषित होते हैं।
उपर्युक्त कथनों के आलोक में निम्नलिखित विकल्पों में से सही उत्तर चुनें:
(a) कथन । और ।। दोनों सही हैं।
(b) कथन । और ।। दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, किंतु कथन ।। गलत है।
(d) कथन । गलत है, किंतु कथन 11 सही है।
उत्तर : 4. (a)
व्याख्या-4. अरस्तू न्यायवाक्य में तीन पद होते हैं- मुख्य पद, मध्यम पद एवं लघु पद। वैयायिक न्यायवाक्य में सभी तीनों पद उपनय में संश्लेषित होते हैं। दोनों कथन सत्य हैं।
Q5. नीचे दो कथन दिये गए हैं- (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
कथन ।: अरस्तूवादी न्यायवाक्य में तीन पद होते हैं।
कथन ।।: नैयायिक न्यायवाक्य में पाँच पद होते हैं।
उपर्युक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिये गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिये:
(a) कथन । और ।। दोनों सही हैं।
(b) कथन । और ।। दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, लेकिन कथन ।। गलत है।
(d) कथन । गलत है, लेकिन कथन ।। सही है।
उत्तर : 5. ( C)
व्याख्या-5. अरस्तूवादी न्यायवाक्य में तीन पद होते हैं (1) मुख्य पद (2) मध्यम पद (3) लघु पद। नैयायिक न्यायवाक्य में सभी तीनों पद उपनय में संश्लेषित होते हैं।
Q6. नीचे दो कथन दिये गए हैं: (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
कथन ।: न्याय दर्शन के अनुसार सुप्रमाणित विषयों पर तर्क आगे नहीं बढ़ता है।
कथन II: न्याय दर्शन के अनुसार तर्क उन्हीं विषयों पर आगे बढ़ सकता है जो पूर्णतः और निरपेक्षतः अज्ञात हों।
उपर्युक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) कथन । और ।। दोनों सही है।
(b) कथन । और ।। दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, लेकिन कथन II गलत है।
(d) कथन । गलत है, लेकिन कथन II सही है।
उत्तर : 6. ( C)
व्याख्या-6. न्यायदर्शन के अनुसार सुप्रमाणित विषयों पर तर्क आगे नहीं बढ़ता। तर्क के आगे बढ़ने के लिये आवश्यक है कि विषय पूर्ण रूप से प्रमाणित ना हुआ हो और विषय पूर्ण रूप से अज्ञात भी ना हो।
Q7. निम्नलिखित में से कौन-से नियत साहचर्य के न्याय दृष्टिकोण के संबंध में सत्य हैं? (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
1. यह तर्क की आगमनात्मक प्रक्रिया से निर्धारित होता है जो मिल की अन्वय प्रणाली और व्यतिरेक प्रणाली के समरूप होता है।
2. यह अस्तिवाचकों के साहचर्य पर आधारित है जहाँ कभी भी परिणाम का अस्तित्व होता है, वहाँ उसके भौतिक कारण का भी अस्तित्व होता है।
3.यह नकारात्मकों के साहचर्य पर आधारित है जहाँ कहीं भी भौतिक कारणों का अस्तित्व नहीं होता, वहाँ उसके परिणाम का अस्तित्व नहीं होता है।
4. आगमनात्मक प्रक्रिया का न्याय दृष्टिकोण मिल की अन्वय प्रणाली और व्यतिरेक प्रणाली के समरूप नहीं होता है।
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) केवल 1,3 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 2 और 3
(d) केवल 1,2 और 3
उत्तर : 7. (d)
व्याख्या-7. आधुनिक काल में कुछ दार्शनिकों, विशेष रूप से फ्रांसिस बेकन और जे.एस. मिल, ने ‘आगमनात्मक तर्क’ पर ध्यान केंद्रित किया जो हमें ‘नव ज्ञान’ का आभास उत्पन्न करता है, इसलिये वे केवल आगमनात्मक युक्ति को एकमात्र युक्तियुक्त तर्क के रूप में प्रस्तावित करते हैं। आगमनात्मक युक्ति में निष्कर्ष आधार से अधिक व्यापक होता है।
Q8. तर्क के शास्त्रीय भारतीय मत के अनुसार निम्नलिखित में से किस/ किन चरण चरणों में विशेष वर्तमान प्रकरण में सार्वभौम सहवर्तन का अनुप्रयोग सन्निहित होता है? (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
1. सुकरात मय है
2. क्योंकि वह मनुष्य है
३. जो भी मनुष्य है. वह मत्यं है जैसे पाइथागोरस
4. सुकरात मनुष्य है जो अनिवार्यतः मर्त्य है
5 अत: सुकरात मर्त्य है
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) केवल 1,2 और 5
(b) केवल 3 और 4
(c) केवल 2 और 4
(d) केवल 4
उत्तर : 8. (d)
व्याख्या-8. प्रश्नानुसार जो भी मनुष्य है, वह मत्यं है अतः ‘सुकरात मनुष्य है जो अनिवार्यतः मर्त्य है”।
Q9. नीचे दो कथन दिये गए हैं- (NTA/UGC-NET Oct., 2022)
कथन ।: तर्कशास्त्र के शास्त्रीय भारतीय मत के अनुसार शाब्दिक रूप अनुमान का अभिन्न अंग है।
कञ्चन II : तर्क संबंधी शास्त्रीय भारतीय मत पृथक् अनुमान प्रक्रिया के रूप में आगमन और निगमन के बीच अंतर करता है। उपर्युक्त कथनों के आलोक में. नीचे दिये गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिये:
(३) कथन । और II दोनों सही हैं।
(b) कथन । और II दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, लेकिन कथन II गलत है।
(d) कथन । गलत है, लेकिन कथन II सही है।
9. (b)
व्याख्या-9. न्याय तर्कशास्त्र, मानव और दिव्य दोनों को ‘शब्द’ के रूप में स्वीकार करता है। अनुमान एक ऐसा ज्ञान है जो हमें प्रत्यक्ष के बाद प्राप्त होता है। तर्क संबंधी शास्त्रीय भारतीय मत पृथक अनुमान प्रक्रिया के रूप में आगमन और निगमन के बीच अंतर नहीं करता है।
Q10. नीचे दो कथन दिये गए हैं: (NTA/UGC-NET Nov, 2021)
कथन 1: न्याय दर्शन के अनुसार, तर्क-वितर्क केवल उन विषय में होता है जो पूर्णतः अज्ञात हैं।
कारण II: न्याय दर्शन के अनुसार, तर्क-वितर्क उन विषयो नहीं होता जो सुस्थापित हैं।
उपर्युक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिये गए विकल्पों में में सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिये:
(a) कथन । और ।। दोनों सही हैं।
(b) कथन । और ।। दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, लेकिन कथन ।। गलत है।
(d) कथन । गलत है, लेकिन कथन ।। सही है।
उत्तर : 24. (d)
व्याख्या-10-. “न्याय दर्शन के अनुसार, तर्क-वितर्क उन विषयों में नहीं जो सुस्थापित हैं।” यह कथन सत्य है। जबकि कथन (1) र नहीं है। अतः विकल्प (d) सही है।
Q11. न्याय दर्शन के संदर्भ में, निम्नांकित में से कौन-सा कथन सत्य है? (NTA/UGC-NET Nov., 2021)
(a) लिंग अथवा हेतु करण अथवा अनुमान का प्रचालित कारण नहीं है।
(b) हेतु वर्तमान की वस्तु हो सकता है, किंतु भूत अथवा भविष्य का नहीं।
(c) हेतु भूत अथवा भविष्य होने पर अनुमान में प्रकार्य कर सकते हैं।
(d) व्याप्ति अथवा हेतु और साध्य के बीच पूर्ण संबंध के ज्ञान के अतिरिक्त हेतु निष्पत्ति तक पहुँचा सकता है।
उत्तर : (a)
व्याख्या-11. न्याय दर्शन के संबंध में ‘लिंग अथवा हेतु करण अथवा अ का प्रचलित कारण नहीं है।’ अतः विकल्प (a) सही है।
Q12. नीचे दो कथन दिये गए हैं: (NTA/UGC-NET Nov., 2021)
कथन I: मीमांसक और वेदांती नैयायिकों के साथ इस बात पर सहमत हैं कि न्यायवाक्य में पाँच सदस्य अथवा प्रतिज्ञप्ति होती है।
कथन II: मीमांसक और वेदांती नैयायिकों के सथ इस बात पर सहमत हैं कि न्यायवाक्य केवल परार्थानुमान अथवा प्रदर्शनकारी अनुमान के लिये आवश्यक है, न कि स्वार्थानुमान अथवा स्वानुमान के लिये।
उपर्युक्त कथनों के आलोक में, नीचे दिये गए विकल्पों में से सही
उत्तर का चयन कीजिये:
(a) कथन । और II दोनों सही हैं।
(b) कथन I और II दोनों गलत हैं।
(c) कथन । सही है, लेकिन कथन II गलत है।
(d) कथन । गलत है, लेकिन कथन II सही है।
उत्तर : 12. (d)
व्याख्या-12. “मीमांसक तथा वेदांती नैयायिकों के साथ इस बात पर सहमत है कि न्यायवाक्य केवल परार्थानमान अथवा प्रदर्शनकारी अनुमान के लिये आवश्यक है, न कि स्वार्थानुमान अथवा स्वानुमान के लिए।” यह कथन सत्य है। कथन (1) सही नहीं है। अतः विकाप ( सही है।
Q13. तर्क शास्त्र के भारतीय शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार अनुमान के संबंध में निम्नलिखित विकल्पों में से कौन सत्य है? (NTA/UGC-NET Nov., 2021)
1. यह निगमनात्मक है।
2. यह आगमनात्मक है।
3. इसे औपचारिक रूप से वैध होना चाहिये।
4. इसे वस्तुपरक रूप से सत्य होना चाहिये।
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिये:
(a) केवल 1.2 और 4
(b) केवल 1,2 और 3
(c) केवल 1,3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4
उत्तर : 13. (d)
व्याख्या-13. तर्क शास्त्र के भारतीय शास्त्रीय सिद्धांत के अनुसार अनुमान निगमनात्मक या आगमनात्मक हो सकता है। अनुमान का औपार रूप से वैध तथा वस्तुपरक रूप से सत्य होना अनिवार्य है। आ विकल्प (d) सही है।
Q14. उन सारी वस्तुओं का संग्रह जिसके लिये एक पद का सही रूप में प्रयोग किया जा सकता है, कहलाता है:(NTA/UGC-NET Nov., 2021)
1. उस पद का गुणार्थ
3. उस पद का वस्त्वर्थ
2. उस पद का लक्ष्यार्थ
4. उस पद का वाच्यार्थ
नीचे दिये गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिये :
(a) केवल । और 2
(b) कंवल 2 और 3
(c) केवल । और 4
(d) कंवल 3 और 4
Ans : 14. (d)
व्याख्या-14. उन सारी वस्तुओं का संग्रह जिसके लिये एक पद का सहीं कर में प्रयोग किया जा सकता है, उस पद का वस्त्वर्थ या उस पर का वाच्यार्थ कहलाता है। अतः विकल्प (d) सही है।
Q15. तर्कवाक्य “सभी भारतीय चावल का सेवन करते हैं” और “कुछ भारतीय चावल का सेवन करते हैं.” किसका एक उदाहरण है: (NTA/UGC-NET Nov., 2020)
(a) उपाश्रयण
(b) विपरीतार्थक शब्द
(c) विरोधाभास
(d) उप विपरीतार्थक शब्द
Ans : 15. (a)
व्याख्या-15. दिया गया तर्क-वाक्य उपाश्रयण का उदाहरण है।
Q16. भारतीय तर्कशास्त्र में ज्ञान के किस साधन से दो वस्तुओं के बीच समानता प्राप्त की जाती है? (NTA/UGC-NET Nov., 2020)
(a) तुलना
(b) अनुमिति
(c) प्रत्यक्षण
(d) निहितार्थ
Ans : 16. (b)
व्याख्या-16. भारतीय तर्क शास्त्र में ‘अनुमति’ से दो वस्तुओं के बीच समन्त प्राप्त की जाती है।
Q17. “मिस्टर एक्स कंगाल है। इसलिये उसको महाविद्यालय में प्रवेश देने में वरीयता दिया जाना चाहिये।” यह तर्क दोष किस प्रकार के दोष का द्योतक है? (NTA/UGC-NET Nov., 2020)
(a) एड होमिनेन
(b) एड मिजरकोर्डियम
(c) एड बेकुलम
(d) इग्नोरेशियो इलेन्काई
उत्तर : 17. (b)
व्याख्या- दिये गए वाक्य में एड मिजरकोर्डियम तर्क दोष का द्योतक है।
Q18. निम्नलिखित में से कौन प्रत्येक श्रेणीबद्ध प्रस्ताव की विशेषता को संदर्भित करता है कि जो इस बात से निर्धारित होता है कि क्या प्रस्ताव वर्गीकरण को शामिल करता है या निरूपित करता है।
(a) गुणवत्ता
(b) मात्रा
(c) वितरण
(d) तुलना
उत्तर : (b)
व्याख्या-निम्नलिखित में से मात्रा प्रत्येक श्रेणीबद्ध प्रस्ताव की विशेषत के संदर्भित करता है कि जो इस बात से निर्धारित होता है कि ना प्रस्ताव वर्गीकरण को शामिल करता है या निरूपित करता है।
Q19. निम्नलिखित में से किस प्रमाण के संबंध में संविकल्पक और निर्विकल्पक के बीच अंतर किया जाता है?
(NTA/UGC-NET Dec., 2019)
(a) अनुमान
(b) प्रत्यक्ष
(c) अतिथि
(d) उपमान
उत्तर : 19. (a)
व्याख्या- निम्नलिखित में से अनुमान के संबंध में संविकल्पक और निर्विकल्पक के बीच अंतर किया जाता है।
Q20. भारतीय शास्त्रीय तार्किक विचारधारा के अनुसार ‘पक्ष’ शब्द अनुमान की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से किस शब्द को संदर्भित करता है? (NTA/UGC-NET Dec., 2019)
(8) वृहद शब्द
(b) अपरिभाषित शब्द
(c) लघु शब्द
(d) मध्य शब्द
उत्तर : (a)
व्याख्या- भारतीय शास्त्रीय तार्किक विचारधारा के अनुसार ‘पक्ष’ शब्द अनुशासन की प्रक्रिया में निम्नलिखित में से वृहद शब्द को संदर्भित करता है।
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