|| निर्मल वर्मा || परिन्दे ||

अँधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी। दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाजा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। “कौन है?” … Read more

HINDI UGC  NET HINDI Syllabus

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नेट-ब्यूरो Code No. 20           विषय-हिन्दी    पाठ्यक्रम (Syllabus) इकाई – I (हिन्दी भाषा और उसका विकास।) 1.हिन्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:  2.हिन्दी का भौगोलिक विस्तार :  3.हिन्दी के विविध रूप : हिन्दी, उर्दू, दक्खिनी, हिन्दुस्तानी हिन्दी का भाषिक स्वरूप। 4.हिन्दी की स्वनिम व्यवस्था –  इकाई – II (हिन्दी साहित्य … Read more

1.भारतेन्दु – दिल्ली दरबार दर्पण, हिन्दी निबंध

सब राजाओं की मुलाकातों का हाल अलग-अलग लिखना आवश्यक नहीं, क्योंकि सब के साथ वही मामूली बातें हुईं। सब बड़े-बड़े शासनाधिकारी राजाओं को एक-एक रेशमी झंडा और सोने का तगमा मिला। झंडे अत्यन्त सुंदर थे। पीतल के चमकीले मोटे-मोटे डंडों पर राजराजेश्वरी का एक-एक मुकुट बना था और एक-एक पटरी लगी थी जिस पर झंडा … Read more

2.  भारतेन्दु – भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है

आज बड़े आनंद का दिन है कि छोटे से नगर बलिया में हम इतने मनुष्यों को एक बड़े उत्साह से एक स्थान पर देखते हैं। इस अभागे आलसी देश में जो कुछ हो जाए वही बहुत है। बनारस ऐसे-ऐसे बड़े नगरों में जब कुछ नहीं होता तो हम यह न कहेंगे कि बलिया में जो … Read more

प्रताप नारायण मिश्र – शिवमूर्ति

शिवमूर्ति निबंध- प्रताप नारायण मिश्र | Shivmurti Nibandh  हमारे ग्रामदेव भगवान भूतनाथ सब प्रकार से अकथ्य अप्रतर्क्य एवं अचिन्त्य हैं। तौ भी उनके भक्त जन अपनी रुचि के अनुसार उनका रूप, गुण, स्वभाव कल्पित कर लेते हैं। उनकी सभी बातें सत्य हैं, अतः उनके विषय में जो कुछ कहा जाय सब सत्य है। मनुष्य की … Read more

4.बाल कृष्ण भट्ट-शिवशंभु के चिट्ठे

(शिवशंभु के चिट्ठे निबंध- बालमुकुंद गुप्त ) 1. बनाम लार्ड कर्जन माई लार्ड! लड़कपन में इस बूढ़े भंगड़ को बुलबुल का बड़ा चाव था। गाँव में कितने ही शौकीन बुलबुलबाज थे। वह बुलबुलें पकड़ते थे, पालते थे और लड़ाते थे, बालक शिवशम्भु शर्मा बुलबुलें लड़ाने का चाव नहीं रखता था। केवल एक बुलबुल को हाथ … Read more

अज्ञेय जी के निबंध

1-त्रिशंकु (1945) पहला निबंध -संग्रह 2-सबरंग और कुछ राग (1956) 3-आत्मनेपद (1960) 4-आलबाल(1971) 5-लिखि कागद कोरे (1972) 6-अद्यतन (1977) 7-जोग लिखी (1977) 8-स्रोत और सेतु (1978) 9-युगसंधियों पर(1982) 10-धार और किनारे (1982) 11-कहाँ है द्वारका (1982) 12-छाया का जंगल (1984) 13-स्मृतिछंदा (1989)          हजारी प्रसाद द्विवेदी के संपूर्ण साहित्य की सूची (कालक्रमानुसार) 1.      सूर … Read more

6. हजारी प्रसाद द्विवेदी – नाखून क्यों बढ़ते हैं

Tag: ( हजारी प्रसाद द्विवेदी नाखून क्यों बढ़ते हैं? निबंध, निबंध – नाखून क्यों बढ़ते हैं?, हजारी प्रसाद द्विवेदी) बच्‍चे कभी-कभी चक्‍कर में डाल देनेवाले प्रश्‍न कर बैठते हैं। अल्‍पज्ञ पिता बड़ा दयनीय जीव होता है। मेरी छोटी लड़की ने जब उस दिन पूछ दिया कि आदमी के नाखून क्‍यों बढ़ते हैं, तो मैं कुछ सोच … Read more

7. विद्यानिवास मिश्र – मेरे राम का मुकुट भीग रहा है 

Tags: ( विद्यानिवास मिश्र मेरे राम का मुकुट भीग रहा है निबंध , निबंध मेरे राम का मुकुट भीग रहा है विद्यानिवास मिश्र) Tags: ( विद्यानिवास मिश्र मेरे राम का मुकुट भीग रहा है निबंध , निबंध मेरे राम का मुकुट भीग रहा है विद्यानिवास मिश्र,) महीनों से मन बेहद-बेहद उदास है। उदासी की कोई … Read more

8.अध्यापक पूर्ण सिंह – मजदूरी और प्रेम 

tag : ( सरदार पूर्ण सिंह मजदूरी और प्रेम निबंध,  सरदार पूर्ण सिंह,अध्यापक पूर्ण सिंह – मजदूरी और प्रेम,मजदूरी और प्रेम , majduri aur prem poorna singh,  ) tag : ( सरदार पूर्ण सिंह मजदूरी और प्रेम निबंध,  सरदार पूर्ण सिंह,अध्यापक पूर्ण सिंह – मजदूरी और प्रेम,मजदूरी और प्रेम , majduri aur prem poorna singh,  … Read more