कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) पद संख्या 194 अर्थ सहित
पद: 194 इहि बिधि रामसूं ल्यौ लाइ।। चरन पाषै निरति करि, जिभ्या बिनाँ गुंण गाइ। जहाँ स्वाँति बूँद न सीप साइर, सहजि मोती होइ। उन मोतियन मै पोय, पवन अम्बर धोई जहाँ धरनि बरषै गगन भीजै, चन्द-सूरज मेल। दोई मिलि तहाँ जड़न लागे, करत हंसा केलि। एक बिरष भीतरि नदी चाली, कनक कलस समाइ। पंच … Read more