कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) के पद संख्या 181-183 अर्थ सहित
kabir ke pad arth sahit. कबीर के पद पद: 181 अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे ज्यूँ भावै त्यूँ होहु हमारे॥ बहुत दिननके बिछुरे हरि पाये,, भाग बड़े घर बैठे आये। चरननि लागि करौं बरियाई। प्रेम प्रीति राखौं उरझाई। इत मन-मंदिर रहौ नित चोपै, कहै कबीर करहु मति घोषैं॥ भावार्थ :- संत कबीर दास … Read more