विषय-सूची १- माथ-संप्रदाय का विस्तार सप्रदाय का नाम उसकी विशेषता- अनेक बौद्ध शाक्तादि मतो का उसमे अतर्भाव – कापालिक और नाथ- मत-जालघर और कृष्णाचार्य का प्रतित सप्रदाय – कर्णकुण्डल की प्रया-गोरखनाथी शाखा- उनकी जनसख्या- वारह पथ- पथो का मूल उद्गम वारह पथो के बाहर के योगी- नाथ योगी का वेश- पद्मावत का योगी वर्णन – विभिन्न चिह्नो का अर्थ-नाद-सेली – पवित्री-सिगीनाद-हालमटगा धधारी रुद्राक्ष सुमिरनी- अधारी- गुदरी-सोटा-छप्पर- इन चिह्नो के धारण का हेतु – इब्नबतूता की गवाही-फवीरदास की गवाही- गृहस्य योगी- वचन जीवियो का धर्म- वगाल के योगी- समूचे भारत मे विस्तार। १-२४ २- संप्रदाय के पुराने सिद्ध- हठयोग प्रदीपिका के सिद्ध- नवनारायण और नवनाथ-नवनाथो की विभिन्न परपरा- गोरखनाथ क्या नव- नाथ से भिन्न हैं? – तत्रग्रथो की गवाही वर्णरत्नाकर के चौरासी सिद्ध-सहजयानी सिद्ध के साथ नाथ सिद्धो की तुलना-शानेश्वर की परपरा-नाना मूलो से प्राप्त सिद्धो के नाम – मध्ययुग के सिद्ध । २५-३५ ३- मत्स्येंद्रनाथ कौन थे? – मत्स्येद्रनाथ के नाम पर विचार- मच्छद विभु और मछदरनाथ- मत्स्येद्रनाथ और मीननाय लुईपाद और मत्स्येंद्र नाथ-अवलोकितेश्वर के अवतार – मत्स्येन्द्रनाथ और मीननाथ अभिन्न- नित्याह्निकतिलकम् की सूची – मत्स्येद्रनाथ का स्थान । ३६-४२ ४- मत्स्येंद्रनाथ विषयक कथाएँ और उनका निष्कर्ष – फोलज्ञाननिर्णय की कथा-वगाल में प्रचलित कथा नेपाल की कथाएँ उत्तर भारत