MPPSC सहा.प्राध्यापक परीक्षा-2022 हिंदी SET-B Q.41-45


41. “मरे हुए मुहूतों की गूंगी आवाजें मुखर होना चाहती हैं।” उक्त पंक्ति किस कहानी से उधृत है ?

(A) टोकरी भर मिट्टी

(B) नशा

(C) परिन्दे

(D) तीसरी कसम

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (D) तीसरी कसम

https://hi.wikibooks.org/wiki/हिंदी_कहानी/तीसरी_कसम

मारे गये ग़ुलफाम उर्फ तीसरी कसम

फणीश्वरनाथ रेणु

(Tisri kasam kahani ka ek chhota ansh.)

हिरामन गाड़ीवान की पीठ में गुदगुदी लगती है…

पिछले बीस साल से गाड़ी हाँकता है हिरामन।

BBB को! एक बार चार खेप सीमेंट और कपड़े की गाँठों से भरी गाड़ी, जोगबानी में विराटनगर पहुँचने के बाद हिरामन का कलेजा पोख्ता हो गया था। फारबिसगंज का हर चोर-व्यापारी उसको पक्का गाड़ीवान मानता। उसके बैलों की बड़ाई बड़ी गद्दी के बड़े सेठ जी खुद करते, अपनी भाषा में।

…….. ……. ….. ……. 

हिरामन ने लालमोहर से पूछा, ‘तुम कब तक लौट रहे हो गाँव?’

लालमोहर बोला, ‘अभी गाँव जा कर क्या करेंगे? यहाँ तो भाड़ा कमाने का मौका है! हीराबाई चली गई, मेला अब टूटेगा।’

– ‘अच्छी बात। कोई समाद देना है घर?’

लालमोहर ने हिरामन को समझाने की कोशिश की। लेकिन हिरामन ने अपनी गाड़ी गाँव की ओर जानेवाली सड़क की ओर मोड़ दी। अब मेले में क्या धरा है! खोखला मेला!

रेलवे लाइन की बगल से बैलगाड़ी की कच्ची सड़क गई है दूर तक। हिरामन कभी रेल पर नहीं चढ़ा है। उसके मन में फिर पुरानी लालसा झाँकी, रेलगाड़ी पर सवार हो कर, गीत गाते हुए जगरनाथ-धाम जाने की लालसा। उलट कर अपने खाली टप्पर की ओर देखने की हिम्मत नहीं होती है। पीठ में आज भी गुदगुदी लगती है। आज भी रह-रह कर चंपा का फूल खिल उठता है, उसकी गाड़ी में। एक गीत की टूटी कड़ी पर नगाड़े का ताल कट जाता है, बार-बार!

उसने उलट कर देखा, बोरे भी नहीं, बाँस भी नहीं, बाघ भी नहीं – परी …देवी …मीता …हीरादेवी …महुआ घटवारिन – को-ई नहीं। मरे हुए मुहर्तों की गूँगी आवाजें मुखर होना चाहती है। हिरामन के होंठ हिल रहे हैं। शायद वह तीसरी कसम खा रहा है – कंपनी की औरत की लदनी…।

हिरामन ने हठात अपने दोनों बैलों को झिड़की दी, दुआली से मारते हुए बोला, ‘रेलवे लाइन की ओर उलट-उलट कर क्या देखते हो?’ दोनों बैलों ने कदम खोल कर चाल पकड़ी। हिरामन गुनगुनाने लगा – ‘अजी हाँ, मारे गए गुलफाम…!’

42. प्रेमचंद की ‘नशा’ कहानी मानसरोवर के किस भाग में संकलित है ?

(A) 1

(B) 4

(C) 2

(D) 5

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (A) 1

मानसरोवर (कथा संग्रह) प्रेमचंद द्वारा लिखी गई कहानियों का संकलन है। उनके निधनोपरांत मानसरोवर नाम से ८ खण्डों में प्रकाशित इस संकलन में उनकी दो सौ से भी अधिक कहानियों को शामिल किया गया है। कॉपीराइट अधिकारों से प्रेमचंद की रचनाओं के मुक्त होने के उपरांत मानसरोवर का प्रकाशन अनेक प्रकाशकों द्वारा किया गया है।

मानसरोवर, भाग-१

इस संकलन में कुल २७ कहानियाँ हैं।

१ अलगोझा २ ईदगाह ३ माँ ४ बेटों वाली विधवा ५ बड़े भाई साहब ६ शांति ७ नशा ८ स्वामिनी ९ ठाकुर का कुआँ १० घर जमाई ११ पूस की रात १२ झांकि १३ गुल्ली डंडा १४ ज्योति १५ दिल की रानी १६ धिक्कार १७ कायर १८ शिकार १९ सुभागी २० अनुभव २१ लांछन २२ आखिरी हिला २३ तावान २४ घासवाली २५ गिला २६ रसिक संपादक २७ मनोवृत्ति.

43. चार खण्डों में प्रकाशित हरिवंशराय बच्चन की आत्मकथा का प्रकाशन की दृष्टि से सही क्रम कौन-सा है ?

(A) क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक

(B) क्या भूलूँ क्या याद करूँ, बसेरे से दूर, नीड़ का निर्माण फिर, दशद्वार से सोपान तक

(C) बसेरे से दूर, नीड़ का निर्माण फिर, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, दशद्वार से सोपान तक

(D) दशद्वार से सोपान तक, क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (A) क्या भूलूँ क्या याद करूँ, नीड़ का निर्माण फिर, बसेरे से दूर, दशद्वार से सोपान तक

बच्चन की आत्मकथा हरिवंश राय बच्चन द्वारा चार खण्डों में लिखी गई आत्मकथात्मक कृतियां-क्या भूलूं क्या याद करूं’ (1969); ‘नींड़ का निर्माण फिर’ 1970); ‘बसेरे से दूर’ (1977); ‘दशद्वार से सोपान तक’ (1985) है।

44.’अध्याम शब्द की मेरी समझ में काव्य या कला के  क्षेत्र में कोई कहीं जरुरत नहीं ।’ उपर्युक्त कथन किस आलोचक का है ?

(A) रामचन्द्र शुक्ल

(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी

(C) रामविलास शर्मा

(D) नन्द दुलारे वाजपेयी

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (A) रामचन्द्र शुक्ल

काव्य में लोक-मंगल की साधनावस्था

रामचंद्र शुक्ल

……  … Ek paragraph …. 

टाल्सटाय के मनुष्य-मनुष्य में भ्रातृ-प्रेम-संचार को ही एकमात्र काव्यतत्त्व कहने का बहुत कुछ कारण साम्प्रदायिक था। इसी प्रकार कलावादियों का केवल कोमल और मधुर की लीक पकड़ना मनोरंजन मात्र की हलकी रुचि और दृष्टि की परिमिति के कारण समझना चाहिए। टाल्सटाय के अनुयायी प्रयत्न-पक्ष को लेते अवश्य हैं पर [ २२५ ]केवल पीड़ितों की सेवा-शुश्रूषा की दौड़धूप, आततायियों पर प्रभाव डालने के लिए साधुता के लोकोत्तर प्रदर्शन, त्याग, कष्ट-सहिष्णुता इत्यादि में ही उसका सौन्दर्य स्वीकार करते हैं। साधुता की इस मृदुल गति को वे ‘आध्यात्मिक शक्ति’ कहते हैं। पर भारतीय दृष्टि से हम इसे भी प्राकृतिक शक्ति—मनुष्य की अन्तःप्रकृति की सात्त्विक विभूति—मानते हैं। विदेशी अर्थ में इस ‘आध्यात्मिक’ शब्द का प्रयोग हमारी देशभाषाओं में भी प्रचार पा रहा है। ‘अध्यात्म’ शब्द की, मेरी समझ में, काव्य या कला के क्षेत्र में कहीं कोई ज़रूरत नहीं है।

https://hi.wikibooks.org/wiki/हिंदी_आलोचना/काव्य_में_लोकमंगल_की_साधनावस्था

45. किस आलोचक ने स्वयं के बारे में कहा, “मेरा आगमन हिंदी के छायावादी कवि प्रसाद, निराला और पंत की कविता के विवेचक के रूप में हुआ था ?

(A) नगेन्द्र

(B) रामविलास शर्मा

(C) नन्द दुलारे वाजपेयी

(D) नामवर सिंह

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उत्तर – (C) नन्द दुलारे वाजपेयी

प्रमुख समीक्षक नन्ददुलारे वाजपेयी