Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 01-11 ]

by Hazari Prasad

Kuch Ansh ..

आचार्यजो की इन्ही अद्वितीय प्रवृत्तियों को स्थायी रूप देने के लिए इस ग्रन्थावली की योजना बनायी गयी है। विपय और विधा दोनों दृष्टि- कोणों को साथ रयकर विभिन्न खण्डो का विभाजन किया गया है। कुल मिलाकर के ग्यारह khand हैं-

  1. पहला खण्ड : उपन्यास-1
  2. दूसरा खण्ड : उपन्यास-2
    3 तीसरा खण्ड : हिन्दी साहित्य का इतिहास
  3. चौथा खण्ड : प्रमुख सन्त कवि
  4. पाँचवाँ खण्ड : मध्यकालीन साधना
  5. छठवाँ खण्ड मध्यकालीन साहित्य
  6. सातवां खण्ड : लालित्य तत्त्व एवं साहित्य ममं
    8 आठर्यां खण्ड : कालिदास और रवीन्द्र
  7. नाँ खण्ड : निवन्ध-1
  8. दसवाँ खण्ड : निवन्ध-2
  9. ग्यारहवां खण्ड: विविध साहित्य । ग्रन्थावली को क्रमवद्ध करने में अनेकों म
    विभाजन भी

3 तीसरा खण्ड : हिन्दी साहित्य का इतिहास me –

साहित्य का इतिहास

हिन्दी साहित्य की भूमिका

हिन्दी साहित्य : उद्भव और विकास

हिन्दी साहित्य का आदिकाल

DOWNLOAD OPTIONS


download 1 fileCHOCR download
EPUB
download 1 fileFULL TEXT download
download 1 fileHOCR download
download 1 fileITEM TILE download
download 1 fileOCR PAGE INDEX download
download 1 fileOCR SEARCH TEXT download
download 1 filePAGE NUMBERS JSON download
download 1 filePDF download
download 1 filePDF WITH TEXT download
download 1 fileSINGLE PAGE PROCESSED JP2 ZIP download
download 1 fileTORRENT download

To download click on the links below


Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 3 ]

Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 3 ]

Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 3 ]

Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 3 ]