|| ज्ञानरंजन || पिता || 

उसने अपने बिस्तरे का अंदाज लेने के लिए मात्र आध पल को बिजली जलाई। बिस्तरे फर्श पर बिछे हुए थे। उसकी स्त्री ने सोते-सोते ही बड़बड़ाया, ‘आ गए’ और बच्चे की तरफ करवट लेकर चुप हो गई। लेट जाने पर उसे एक बड़ी डकार आती मालूम पड़ी, लेकिन उसने डकार ली नहीं। उसे लगा कि … Read more

|| कमलेश्वर || राजा निरबंसिया ||

”एक राजा निरबंसिया थे,” मां कहानी सुनाया करती थीं। उनके आसपास ही चार-पांच बच्चे अपनी मुठ्ठियों में फूल दबाए कहानी समाप्त होने पर गौरों पर चढाने के लिए उत्सुक-से बैठ जाते थे। आटे का सुन्दर-सा चौक पुरा होता, उसी चौक पर मिट्टी की छः गौरें रखी जातीं, जिनमें से ऊपरवाली के बिन्दिया और सिन्दूर लगता, … Read more

|| दुनिया का सबसे अनमोल रत्न ||

(UGCNET HINDI KAHANI) दिलफ़िगार एक कँटीले पेड़ के नीचे दामन चाक किये बैठा हुआ खून के आँसू बहा रहा था। वह सौन्दर्य की देवी यानी मलका दिलफ़रेब का सच्चा और जान देने वाला प्रेमी था। उन प्रेमियों में नहीं, जो इत्र-फुलेल में बसकर और शानदार कपड़ों से सजकर आशिक के वेश में माशूक़ियत का दम … Read more

  || निर्मल वर्मा || परिन्दे ||

अँधेरे गलियारे में चलते हुए लतिका ठिठक गयी। दीवार का सहारा लेकर उसने लैम्प की बत्ती बढ़ा दी। सीढ़ियों पर उसकी छाया एक बैडौल कटी-फटी आकृति खींचने लगी। सात नम्बर कमरे में लड़कियों की बातचीत और हँसी-ठहाकों का स्वर अभी तक आ रहा था। लतिका ने दरवाजा खटखटाया। शोर अचानक बंद हो गया। “कौन है?” … Read more