Q&A-UNIT-06-24-sep-2020-Part-01

यू.जी.सी. NTA नेट / जेआरएफ परीक्षा, जून- 2020 शिक्षण एवं शोध अभियोग्यता प्रथम प्रश्न-पत्र :  (व्याख्या सहित हल प्रश्न-पत्र ) (परीक्षा तिथि 24 सितम्बर, 2020 Shift – I   ) : Question-26. Given below are propositions: philosophers are fallible Socrates is not fallible  In the classical section of opposition, which one of the following is … Read more

Pratyaksha Praman – प्रत्यक्ष  प्रमाण-Part-05-सारांश

तत्त्वचिन्तन की प्रक्रिया में प्रमाणमीमांसा का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान है क्योंकि प्रमाणों की सहायता से ही प्रमेयो (तत्त्वों) का ज्ञान सम्भव होता है। दर्शनसरणियो में यह प्रसिद्ध उक्ति भी है – मानाधीना मेयसिद्धि अर्थात् मेय (प्रमेय) की सिद्धि मान (प्रमाण) के अधीन होती है। प्रमा या यथार्थज्ञान की उपलब्धि किसी साधन की सहायता से ही … Read more

Pratyaksha Praman-प्रत्यक्ष  प्रमाण-Part-04

प्रत्यक्ष ज्ञान प्रत्यक्ष ज्ञान के भेदों का निरूपण करते हुए आचार्य कहते है कि प्रत्यक्ष दो प्रकार का होता है (1) निर्विकल्पक प्रत्यक्ष, (2) सविकल्पक प्रत्यक्ष । निर्विकल्पक प्रत्यक्ष का स्वरूप है निष्प्रकारकं ज्ञानं निर्विकल्पकम्’ अर्थात् निष्प्रकारक ज्ञान को निर्विकल्पक प्रत्यक्ष कहते है। न्याय-वैशेषिक मत में प्रकार का अर्थ विशेषण होता है, अतः प्रकारता का … Read more

Pratyaksha Praman-प्रत्यक्ष  प्रमाण-Part-03

कारण  कारणं त्रिविधम्-रामवाय्यमवायिनिमित्तभेदात् । यत्समवेत कार्यमुत्पद्यते तत्समवायिकारणम्। यथा तन्तव पटस्य, पटश्च स्वगतरूपादे। कार्येण कारणेन वा सहैकस्मिन्नर्थे समवेत सत् कारणम् असमवायिकारणम्। यथा तन्तु संयोग पटस्य, तन्तुरूपं पटगतरूपस्य च। तदुभयभिन्न कारणं निगितकारणम्, यथा-तुरीवेमादिक पटस्य । तदेत्त्रिविधकारणमध्ये यदसाधारण कारणम् तदेव करणम्। व्याख्या: आचार्य अन्नम्मभट्ट कारण का लक्षण करते है कारणम्’। जो कार्य का नियत पूर्ववर्ती हो उसे कारण … Read more

Pratyaksha Praman-प्रत्यक्ष प्रमाण-Part-02

अनुभव प्रमाण  अनुभव दो प्रकार का होता है – (1) यथार्थ अनुभव, (2) अयथार्थ अनुभव यथार्थ अनुभव का लक्षण करते हुए आचार्य कहते हैं ‘तद्वति तत्प्रकारको ऽनुभव यथार्थः जिसमें जो है, वहाँ उसी प्रकार का जो अनुभव होता है, उसे यथार्थानुभव कहते है। आशय यह है कि कोई भी पदार्थ जिस स्वरूप या स्वभाव का … Read more

Pratyaksha Praman-प्रत्यक्ष प्रमाण-Part-01

(Source : IGNOU) तर्कसंग्रह (अन्नम्भट्ट) आचार्य अन्नम्भट्टकृत् तर्कसंग्रह’ यद्यपि वैशेषिक दर्शन का प्रकरण ग्रन्थ है तथापि इसमें न्यायदर्शनसम्मत चतुर्विध प्रमाणव्यवस्था का विवेचन किया गया है। इन्द्रिय तथा अर्थ (विषय) के सन्निकर्ष से उत्पन्न ज्ञान को प्रत्यक्ष प्रमाण कहते है। अनुमान प्रमाण लिगपरामर्श से जन्य होता है। सज्ञासझिसम्बन्ध का ज्ञान कराने वाला प्रमाण उपमान कहलाता है। … Read more

Q&A-Indian-Logic

Q1.अनुमान के बारे में न्याय मत के अनुसार निम्नलिखित में से कौन। से अनुमान कार्य-कारण भाव पर आधारित हैं? 1. काले बादलों से भावी वर्षा का अनुमान करना। 2. नदी में द्रुतगामी कीचड़ भरे जल से विगत की वर्षा का अनुमान करना। 3. किसी पशु के सींगों से विदीर्ण खुरों का अनुमान करना। 4. जब … Read more

Indian Logic

1.Indian Logic: Means of knowledge. Indian philosophy has a rich tradition of logical reasoning, and the Indian philosophical systems, particularly those of the Nyaya and Vaisheshika schools, provide comprehensive discussions on the means of knowledge. These systems have their roots in ancient texts such as the Nyaya Sutras and Vaisheshika Sutras, which outline the principles … Read more

Analogies 

Analogies (उपमाएँ) सादृश्य एक अलंकार है जो दो अवधारणाओं या विचारों के बीच समानता के आधार पर संबंध स्थापित करता है। इसमें साझा विशेषताओं को उजागर करने और एक समानांतर रेखा खींचने के लिए एक चीज़ की दूसरे से तुलना करना शामिल है। सादृश्यों का उपयोग आमतौर पर संचार, साहित्य और रोजमर्रा की भाषा में … Read more

Argument forms

तर्क रूप (Argument forms) तर्क प्रपत्र विशिष्ट संरचनाएं या पैटर्न हैं जो तर्कों में परिसर और निष्कर्ष के बीच तार्किक संबंधों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ये फॉर्म यह समझने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करते हैं कि किसी विशेष दावे का समर्थन या औचित्य साबित करने के लिए विभिन्न प्रकार के तर्कों का उपयोग कैसे … Read more