कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास-
ख. रमैणी समग्र । (Ramaini Samagra) (3)रमैंणी तू सकल गेहगरा [ राग सूहौ ] तू सकल गेहगरा, सफ सफा दिलदार दीदार, तेरी कुदरति किनहूँ न जानी, पीर मुरीद काजी मुसलमानी ।। देवी देव सुर नर गण गंध्रप, ब्रह्मा देव महेसुर । तेरी कुदरत तिनहूँ न जाँनी । । टेक । । शब्दार्थ- गहगरा = सर्वव्यापी, … Read more