रे रे जीव अपनां दुःख न सँभारा

कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास (रमैणी ) ।।निरंतर।। रे रे जीव अपनां दुःख न सँभारा, रे रे जीव अपनां दुःख न सँभारा, जिहिं दुःख व्याप्या सब संसारा ।।  माया मोह भूले सब लोई, कयंचित लोभ माँनिक दीयौ खोई ।।  मैं मेरी करि बहुत बिगूता, जननीं उदर जनम का सूता ।।  बहुतैं रूप भेष बहु कीन्हाँ, जुरा … Read more

भरा दयाल विषहर जरि जागा 

कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास (रमैणी ) ||  दुपदी रमैंणी  || भरा दयाल विषहर जरि जागा,  भरा दयाल विषहर जरि जागा, गहगहान प्रेम बहु लागा ।।  भया अनंद जीव भयै उल्हासा, मिले राम मनि पूगी आसा ।।  मास असाढ़ रवि धरनि जरावै, जरत-जरत जल आइ बुझावै ।।  रुति सुभाइ जिमीं सब जागी, अंमृत धार होइ झर … Read more

जिहि दुरमति डोल्यौ संसारा 

कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास (रमैणी ) कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास (रमैणी ) ।।निरंतर।। जिहि दुरमति डोल्यौ संसारा,  जिहि दुरमति डोल्यौ संसारा, परे असूझि वार नहिं पारा ।।  बिख अमृत एक करि लीन्हों, जिनि चीन्हा सुख तिहकूँ हरि दीन्हा ।।  सुख दुख जिनि चीन्हा नही जानाँ, ग्रासे काल सोग रुति माँनाँ ।।  होइ पतंग दीपक मैं … Read more

इन दोऊ संसार भुलावा,

कबीर ग्रंथावली- डॉ. श्यामसुंदरदास (रमैणी ) ।।निरंतर।। इन दोऊ संसार भुलावा, इन दोऊ संसार भुलावा, लागें ग्याँन गँवावा ।।  इनकौ मरम पै सोई बिचारी, सदा अनंद लै लीन मुरारी ।।  ग्याँन दिष्टि निज पेखे जोई, इनका चरित जाँनै पै सोई ।।  ज्यूँ रजनी रज देखत अँधियारी, इसे भुवंगम बिन उजियारी ।।  तारे अगिनत गुनहि अपारा, … Read more