भारतेंदु हरिश्चंद्र-भारतदुर्दशा नाटक

 प्रहसनभारतदुर्दशा नाट्यरासक वा लास्य रूपक , संवत 1933 ।। मंगलाचरण ।। जय सतजुग-थापन-करन, नासन म्लेच्छ-आचार।कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार ।। पहिला अंक स्थान – बीथी(एक योगी गाता है)(लावनी)रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई।हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। धु्रव ।।सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो।सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ।।सबके … Read more