धरती धन न अपना -जगदीश चंद्र (1972) pdf download
धरती धन न अपना -जगदीश चंद्र (1972) pdf download
Learn Simple, Learn Better.
धरती धन न अपना -जगदीश चंद्र (1972) pdf download
परीक्षागुरुद्वारा लाला श्रीनिवासदास प्रकरण १ → परीक्षागुरुद्वारा लाला श्रीनिवासदासप्रकरण १→ परीक्षागुरु pdf download
मनुष्य अपने भावों, विचारों और व्यापारों को लिए दिए दूसरों के भावों, विचारों और व्यापारों के साथ कहीं मिलाता और कहीं लड़ाता हुआ अंत तक चला चलता है और इसी को जीना कहता है। जिस अनंत-रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत्। जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ता की भावना … Read more
अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूं शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाडक़र एक ढेर बना दिया। बाहर आते-आते उसने फिर एक बार और खप्पर में झांककर देखा, जैसे यह जानने के लिए कि इतनी देर में कितनी … Read more
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है। पृष्णभूमि में स्वाधीनता आंदोलन का वह चरण है जब पहले विश्वयुद्ध के बाद गांधीजी ने आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ली थी। यही समय था जब शिक्षित और संपन्न समाज के अनेक लोग आंदोलन … Read more
by Sankrityayan Rahul विस्मृति के गर्भ में pdf download
वृन्दावनलाल वर्मा की रचना “विराटा की पद्मिनी” एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपन्यास है। वृन्दावनलाल वर्मा हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक हैं, जिन्होंने ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों पर अनेक कृतियों की रचना की है। “विराटा की पद्मिनी” में उन्होंने महाभारत के एक प्रकरण को लेकर कथा की रचना की है। यह उपन्यास महाराज विराट की पुत्री उत्तरा … Read more
“लिटरेरिया बायोग्राफिया” (Literaria Biographia) अंग्रेजी कवि और समीक्षक सैमुअल टेलर कोलरिज (Samuel Taylor Coleridge) की एक प्रमुख साहित्यिक कृति है। यह पुस्तक 1817 में प्रकाशित हुई थी और इसमें कोलरिज के साहित्यिक सिद्धांतों, आलोचनात्मक विचारों और उनकी कविता की समझ का विस्तृत विश्लेषण है। प्रमुख बिंदु: महत्त्व: इस प्रकार, “लिटरेरिया बायोग्राफिया” सैमुअल टेलर कोलरिज की … Read more
रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘संस्कृति के चार अध्याय’ भारतीय संस्कृति के विस्तृत और गहन विश्लेषण का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पुस्तक को दिनकर जी ने 1956 में लिखा था और इसके लिए उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुस्तक न केवल उनके साहित्यिक कौशल का प्रमाण है, बल्कि … Read more
कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदासकई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पासकई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्तकई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बादधुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बादचमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के … Read more