जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी का TV9 पर इंटरव्यू। उस पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर l 

विषय – धर्म, हिंदू राष्ट्र, उग्रता, हिंसा व अहिंसा, क्षमा व कायरता का सही स्थान आदि। हिंदू शब्द की भारतीय उत्पत्ति, धर्म परिवर्तन आदि महत्वपूर्ण विषय।

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी       image source: GOOGLE.COM

1.

पत्रकार -स्वामी जी धर्म क्या है?

जगद्गुरु – जो करना चाहिए वह धर्म है जो नहीं करना चाहिए वह अधर्म है। अपने कर्तव्यों का निष्ठा पूर्वक पालन करना वही धर्म है।

2.

पत्रकार – इतिहास के नाम पर आजकल बहुत कुछ सही बताया जाता है किंतु कुछ चीजें अप्रासांगिक होती हैं

 कृपया संविधान सम्मत उत्तर दीजिए।

जगद्गुरु – सबसे पहले संविधान क्या है? इस पर चर्चा कर ली जाए । इतिहास है क्या?  सबसे पहले इस पर चर्चा करें। अतीत की किसी घटना को इतिहास नहीं कहते। 

धर्मार्थ काम मोक्षाणां उपदेश समन्वितम् पूर्ववृत्त कथोपितम् इतिहासं प्रचक्षते। 

धर्म अर्थ काम मोक्ष से युक्त पूर्व की घटना के कथोपकथन को इतिहास कहते हैं। दुर्भाग्य है कि हमारा इतिहास अंग्रेजों ने बनाया। रामायण को प्रागैतिहासिक मान लिया गया। महाभारत को प्रागैतिहासिक मान लिया गया। इतिहास शाश्वत सत्य की व्याख्या है। इतिहास है इति-ह-आस-यह ऐसा था। इति यानी इस प्रकार हा अर्थात निश्चय और आस का अर्थ था। जहां पूर्व वृत्त घटना को प्रामाणिक रूप से प्रस्तुत किया जाता है इस प्रस्तुतीकरण को इतिहास कहा जाता है।

3.

पत्रकार – स्वामी जी धर्म के नाम पर इतिहास में बहुत जघन्यताएं हुई हैं इस पर आप क्या कहेंगे।

जगद्गुरु -प्रथम तो मैं यह मानता हूं कि हमारे यहां धर्म के नाम पर जघन्यता हुई नहीं। संप्रदाय के नाम पर हुई हो तो बात अलग है। धर्म तो एक ही है सनातन। धर्म के नाम पर कभी जघन्यता नहीं हुई, पंथ के नाम पर जघन्यता हुई होगी। सनातन धर्म के नाम पर कभी अत्याचार नहीं हुआ कभी जघन्यता नहीं हुई।

मजहब में और धर्म में बहुत अंतर है। मजहब के नाम पर जो घटनाएं हुई होगी उसे वे जाने इसका उत्तरदाई मैं नहीं हूं। मैं मानता हूं सनातन धर्म के नाम पर कभी भी किसी भी प्रकार का कदाचार मैंने नहीं देखा।

4.

पत्रकार हर्षवर्धन जी- आपने जब शुरू किया, आपने ऐसा नंबर दे दिया, ऐसी संख्या दे दी । ज्ञानवापी पर जो कुछ हुआ वह तो छूट जाएगा आप 30000 की संख्या दे रहे हैं। अयोध्या में भव्य मंदिर बन रहा है काशी में विश्वनाथ धाम बन गया, मथुरा । यह तीन स्थान दिखते हैं कि हिंदुओं की आस्था से जुड़े हुए हैं अब यदि आप 30000 की संख्या होगी तो आज के आधुनिक भारत में यह कैसे संभव हो सकेगा?

जगतगुरु-  मैं यह कहने जा रहा हूं कि जितना हो सके कम से कम तीन तो हमें मिल जाएंँ। भा.. र ..त ..। भारत शब्द में तीन अक्षर हैं। कम से कम तीन हमें मिल जाएं अयोध्या काशी मथुरा। फिर आगे सोचेंगे। 

5.

पत्रकार-  इन तीन स्थानों पर जो धर्म गुरु हैं इनकी ओर से कोई भरोसा जाएगा (कि इसके बाद हम और लेने की बात नहीं करेंगे )इसके बाद हम बाकी बात करेंगे या नहीं करना चाहिए?

जगद्गुरु – ये तीन मिल जाएंँ पहले।  फिर परिणाम आने पर देखा जाएगा। परिणाम बताएगा आगे क्या हो सकता है।

6.

पत्रकार – प्रश्न यह है कि कुछ समय पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि अयोध्या हो गया बस मैं काशी मथुरा की बात नहीं करता।

जगद्गुरु – मैं यहां धर्माचार्य की हैसियत से काम कर रहा हूं और मोहन भागवत धर्माचार्य नहीं हैं। ही इस नॉट धर्माचार्य। इसलिए उनसे इस बात का कोई लेना-देना नहीं है।

7.

पत्रकार – जगद्गुरु जी 1991 का एक कानून भी है इस देश में,  ‘प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट’ वो कहता है कि अयोध्या को छोड़कर जो धार्मिक स्थल जिस स्वरुप में हैं वे वैसे ही रहेंगे।

जगद्गुरु-  ऐसा नहीं है। कानून में परिवर्तन भी होते रहे हैं। भारतीय संविधान में 127 परिवर्तन हो गए हैं। जो हमारा है शाश्वत, वो हमें मिलना चाहिए। ज्ञानवापी भारतीय प्रतिभा का पुंज है और मथुरा गीता गायत्री जन्म स्थल।  यह तो हमें चाहिए ही चाहिए। इस पर समझौते का प्रश्न ही नहीं उठता। जैसे शंकराचार्य होते हैं वैसे मैं भी जगद्गुरु हूं। छ; जगतगुरु हैं और छहों के समान अधिकार होते हैं। चाहे शंकराचार्य हों, चाहे रामानुजाचार्य हों, चाहे मैं रामानंदाचार्य हूं, चाहे मध्वाचार्य हों चाहे निम्बकाचार्य हों। हम उस धर्माचार्य के अधिकार से, हम कहते हैं कि यह हमारा अधिकार है हमें मिलना चाहिए। भारत में सबका सह अस्तित्व बना रहे भारत की अखंडता बनी रहे भारत में कटुता न हो।

8.

पत्रकार – जगद्गुरु जी इससे तो बहुत कुछ बदलना पड़ेगा, इस कानून को हटाना पड़ेगा।  क्या आप इस कानून को हटाना चाहते हैं?

जगद्गुरु – हम तो बहुत कुछ मांग करेंगे। हम तो चाहते हैं कि कानून में ‘इंडिया दैट इस भारत’ लिखा है वही गलत है। हम तो कहेंगे ‘भारत दैट इस इंडिया’ यह होना चाहिए।

9.

पत्रकार- क्या आप हिंदू राष्ट्र से भी सहमत हैं कि हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए?

जगद्गुरु जब यह हिंदू स्थान है। तो हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए। मैं पत्रकार महोदय से हिंदुस्तान नहीं बोल रहा हिंदुस्थान बोल रहा हूं।

10.

पत्रकार – वैसे हमारे शास्त्रों में तो हिंदू शब्द नहीं है।

जगद्गुरु- किसने कहा? किसने कहा ??मैं आपको यह बता रहा हूं कि शुक्ल यजुर्वेद की कौथुमीय संहिता में एक मंत्र आया है। उसको मध्यान्दिनी शाखा में कहा गया है, 

मधुवातारितायते मधु: क्षरन्ते सिन्धव:

तो वहां फिर आया है,

मधुवातारितायते मधु: क्षरन्ते हिन्दव:।।

जहां सिन्धव: है वहां हिंदव: भी आया है।

सुमेरु तंत्र में भी हिंदू शब्द आया है।

हिमाचलं समारभ्य यावत् इंदू सरोवरं तत् प्रतिष्ठाया जनता यातु सा हिंदूरिति कथ्यते।

हिमालय से लेकर इंदू सरोवर पर्यंत रहने वाली जनता को हिंदू कहते हैं। 

हुम कुरू हुम कुरू हुम कुरू हुम कुरू यत्‌ तस्य दुह्यन्ति गावो यत्र समादृता गो विपृ प्रतिमा अस्ति। स हिंदू कथ्यते। ….आदि। हिंदू शब्द के लिए सैकड़ों श्लोक दिए गए हैं सुमेरू तंत्र में।

11.

पत्रकार – यदि हिंदू राष्ट्र बनेगा तो, लोग पोस्टर लेकर रास्तों पर आते हैं कहते हैं बाकी लोग पाकिस्तान चले जाएं हिंदू राष्ट्र बनेगा तो मुसलमान कहां जाएंगे??

जगद्गुरु-  पहली बात मजहब के नाम पर बटा था यह देश। पहली बात इनको चला जाना चाहिए था। था। नहीं गए । यहां रहें। यदुवर और रघुवर के होके रहें बाबर के होके न रहें। वंदे मातरम तो इनको कहना पड़ेगा।

12.

पत्रकार – आप कह रहे हैं इनको धर्म परिवर्तन करना पड़ेगा? इन्हें धर्म परिवर्तन कर लेना चाहिए।

जगद्गुरु-  नहीं मैंने कभी नहीं कहा कि इनको धर्म परिवर्तन कर लेना चाहिए। वे करवा रहे हैं। लव जिहाद के नाम पर वे हजारों हिंदू लड़कियों का शील भंग कर रहे हैं। वे कर रहे हैं। वे सब कर रहे हैं हम नहीं कर रहे हैं। आप जानते हैं लव जिहाद के नाम पर कितना कितना हुआ ? क्या-क्या नहीं हो रहा है। अभी क्या हुआ श्रद्धा के 32-35 टुकड़े कर दिए गए।  किसी पत्रकार की जूं नहीं रेंगी।  अत्याचार की पराकाष्ठा हो गई। मानवता का खून पिया जा रहा है।  तब तो किसी पत्रकार ने कुछ नहीं कहा। तो पत्रकार की परिभाषा है जो वास्तविक व निष्पक्ष हो। vahi kahen. 

13.

पत्रकार -हिंदू राष्ट्र बनेगा तो मुसलमान कहां जाएंगे?

जगद्गुरु- पहली बात राष्ट्र बटा था तो धर्म के नाम पर बटा था, उनको चले जाना चाहिए था। पर यदि वे यहां पर हैं तो फिर यदुवर और रघुवर के होकर रहें बाबर के होकर न रहें।

14.

पत्रकार – क्या आप कह रहे हैं कि वे धर्म परिवर्तन कर लें?

जगद्गुरु- नहीं मैंने कभी नहीं कहा कि वे धर्म परिवर्तन कर लें। वह करवा रहे हैं, वह हजारों हिंदू लड़कियों का शील भंग कर रहे हैं वे कर रहे हैं।    

15.

पत्रकार -यह बताइए वीरेंद्र शास्त्री कहते हैं कि भारत को छोड़िए मैं पाकिस्तान को भी हिंदू राष्ट्र बना दूंगा।

जगद्गुरु-  हांँ कहने दीजिए, क्या बुरा है। बन जाए अच्छा ही है।

16.

पत्रकार – आप जगतगुरु हैं।आपके जगत में मुसलमान हैं कि नहीं हैं?

जगतगुरु- हां मैं हूं।हैं बिल्कुल हैं।  गुरु का अर्थ होता क्या है गु शब्द का अर्थ है अंधकार और रु शब्द का अर्थ प्रकाश। अंधकार को दूर करने वाला जो प्रकाश है वह गुरु है। जो हृदय के अंधकार को  हृदय कि कुंठा को दूर करने वाला जो है वह जगतगुरु है। सबके लिये स्थान है। मेरे वक्तव्य से मुसलमान को भी अपने हृदय की कुंठा मिटा देनी चाहिए। सब सह अस्तित्व कि भावना से रहें।

17.

पत्रकार – एक दूसरा मुद्दा यह है, अभी तीन-चार महीने पहले, देवबंद में एक बैठक हुई। वहांँ अरशद मदनी साहब ने एक बहुत अच्छी बात कही, उन्होंने एकता की बात कही, कहा कि जो ओमकार है और जो अल्लाह है एक ही है. इसलिए दोनों को मिलकर रहना चाहिए। मैं सुनना चाहता हूं समझना चाहता हूं क्योंकि मंच पर विवाद खड़ा हो गया है।

आचार्य – मैं तो यह नहीं कहना चाहता मैं यह कहना चाहता हूं कि ओमकार शब्द शास्त्रीय है किंतु अल्लाह शब्द किस तरह शास्त्रीय है?उनका वे जानें। यह मैं नहीं जानता। यह उन्हें बताना चाहिए। वह जो कह रहे हैं उससे मैं सहमत नहीं हूं।

18.

पत्रकार – आचार्य जी नूह जैसी घटना देश में हो रही है और कुछ लड़के जय श्री राम करके रोड पर निकलते हैं। वे यह परिभाषाएं नहीं जानते। वे सिर्फ इतना जानते हैं कि हिंदू राष्ट्र बनेगा। दूसरे मजहब की गाड़ियां और दुकानें जला देंगे।

जगद्गुरु-  मेरा वक्तव्य ध्यान से सुनें, मैंने ऐसा कभी नहीं कहा, मैंने चमत्कार को नमस्कार कभी नहीं किया। हमेशा प्रतिभा का पक्ष लिया है। मेरे प्रतिभा संपन्न वक्तव्यों को लोग सुनें। सुनकर शास्त्रीय व्याख्याएं समझें। संतों से भी मैं कहूंगा कि वे खूब पढ़ें, संत पढ़ नहीं रहा।

19.

पत्रकार-  आचार्य जी, निराकारं  ओमकार मूलं तुरीयम्  …. तो आप बताइए कि ओमकार बड़ा या राम ?

आचार्य –  निराकारम ओमकार मछलम तुरीयम्  का अर्थ, पहले यह तो देखिए की निराकार शब्द का अर्थ क्या होता है? आप पहले संस्कृत पढ़ कर आइये। जहां निषेध होता है वहां पर अ लगता है या अन लगता है आपने कभी आवश्यक को कभी निरावश्यक सुना है यदि ना आवश्यक को निराश्यक नहीं कहा जा सकता।

जिसका आकार नहीं है उसे निराकार नहीं कहा जा सकता उसे  अनाकार कहना पड़ेगा। तो निराकार शब्द का अर्थ है निर्गत: आकार: यस्म: जिनसे सभी आकार निकले हैं उसे निराकार कहते हैं। यदि आपने अनाकार शब्द ईश्वर के लिए कहीं  सुना हो तो मैं त्रिदंड  फेंक दूंगा अपना।

20.

पत्रकार – हिंदू और मुसलमान को लेकर काफी उलझन भरी स्थिति बनी हुई है उनको लेकर आप कोई संदेश देना चाहेंगे।

जगद्गुरु – मैं यही कहना चाहूँगा, बच्चों से, बचपन को …करो । युवकों से, यौवन को प्रबुद्ध करो । वृद्धो से, बुढ़ापे को सिद्ध करो।

21.

पत्रकार – राम राज्य के विषय में चौपाई है कि दैहिक दैविक भौतिक तापा राम राज्य नहीं काहूंहि  व्यापा।  तो क्या आप इसे देख रहे हैं ? इस बारे में आप क्या कहेंगे?

पत्रकार – हां मैं इसे देख रहा हूं। यही हिंदुत्व है, यही स्वराज है, यही राम राज्य है। हमारे यहांँ कहा गया है वसुधैव कुटुंबकम्। कुरान में लिखा है 33 बार, कि काफिरों को काट डालो। अहिंसा परमो धर्म: का अर्थ ठीक तरह से लगाना चाहिए। यदि कोई हमारी बहन बेटी को लूट रहा हो वह बलात्कार कर रहा हो तब अहिंसा परमो अधर्म:। वहां पर हिंसा ही धर्म है। वहां पर हिंसा न करना सबसे बड़ा अधर्म है

22.

पत्रकार – यदि आप ऐसा कहेंगे तो नूह जैसे स्थान पर फिर से लोग रात में हिंसा पर उतारू हो जाएंगे?

आचार्य – नहीं मैं किसी को भी हिंसा करने के लिए नहीं कहता मैं कहता हूं कि सहनशील बनो किंतु हम कितने सहनशील बनेंगे। कितना सहेंगे। नहीं एक सीमा से अधिक सहना नपुंसकता है। जहां पर आवश्यक है क्रोध करना ही चाहिए। उन्होंने राम जी का दृष्टांत देते हुए कहा कि जब उन्होंने समुद्र से 3 दिनों तक प्रार्थना की और समुद्र ने अनसुनी की तब उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि हे लक्ष्मण ! लाओ मेरा धनुष! यह मुझे मेरी सहनशीलता को मेरी क्षमता को, मेरी शांति को, मेरी कमजोरी समझ रहा है।

23.

पत्रकार- संगीता जी का प्रश्न – गुरु जी!  पिछले एक दशक में हिंदू बहुत उग्र हो गया है? इस बारे में आप क्या कहेंगे ?

आचार्य – बेटी! अपने अधिकारों की रक्षा करना अपने अधिकारों को मांगना यह उग्रता नहीं है। हिंदू जागरुक हो गया है, उग्र नहीं हुआ है। याचना नहीं अब रण होगा। 

हमको तो सिखाया जा रहा है कि तुम  सहनशील बनो, उनसे कोई कुछ नहीं कहता। हम तो चाहते हैं कि समान नागरिक संहिता बने और जनसंख्या नियंत्रण पर भी कानून बने। उन्होंने आगे कहा कि, सह अस्तित्व रखना चाहिए। वह अपने धर्म का पालन करें और हमें अपने धर्म का पालन करने देना चाहिए। यदि वह हमें छेड़ते हैं तो हम कहते हैं यदि कोई हमें छेडेगा तो फिर हम उसे छोड़ेंगे नहीं।

हमारा सिद्धांत है-

भूलकर भी किसी को न छेड़ेंगे हम,

और कोई हमें छेड़ेगा,

तो उसे नहीं छोड़ेंगे हम।

24.

पत्रकार-आचार्य जी 23 अगस्त को हो सकता है हमारा चंद्रयान चंद्रमा पर उधर उतर जाए, दूसरी और हम धर्म के नाम पर अपने ही देश में ऐसा संघर्ष क्यों करे?

आचार्य – सह अस्तित्व रखें।  हमें अपने धर्म का पालन करने दें। वे अपने धर्म का पालन करें। 

25.

पत्रकार – वे तो सब करने को तैयार हैं।

जगद्गुरु – वे नहीं कर रहे हैं। हम तो सब कुछ करने को तैयार हैं। पर वे भी तो कभी राम कहने को तैयार हो जाएंँ। वे यह नहीं कर रहे हैं बिल्कुल नहीं कर रहे हैं। जितना अत्याचार हिंदुओं पर हो रहा है आप ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। आपकी दृष्टि आपका दृष्टिकोण कैसा है मैं नहीं जानता पर आप ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। इतना अत्याचार  हो रहा है वर्णन मत करो। श्रद्धा का अत्याचार क्या कम हुआ।

26.

पत्रकार – अच्छा ओमकार बड़े की राम बड़े?

जगद्गुरु-  दोनों एक राम का पर्यायवाची ओमकार और ओमकार का पर्यायवाची राम है।

27.

पत्रकार -महाराज जी रुक जाइए निराकरं ओमकारं मूलं तुरीयम् ….. दोनों एक कैसे हो जाएगा? राम साकार हैं। ओम निराकार है।

जगतगुरु – (छंद)

निराकारमोंकारमूलं तुरीयं। गिरा ग्यान गोतीतमीशं गिरीशं॥

करालं महाकाल कालं कृपालं। गुणागार संसारपारं नतोऽहं॥2॥

भावार्थ :-

निराकार, ओंकार के मूल, तुरीय (तीनों गुणों से अतीत), वाणी, ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलासपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे आप परमेश्वर को मैं नमस्कार करता हूँ॥2॥

यह रामचरितमानस के उत्तरकांड के 108 वें दोहे का तीसरा श्लोक है। निराकार का अर्थ होता क्या है ? जहांँ निषेध होता है वहांँ अ लगता है अथवा अन लगता है। जैसे जो उचित नहीं है उसको अनुचित कहते हैं। क्या आपने कभी निरुचित कभी सुना है आपने? या न आवश्यक को निरावश्यक सुना है आपने। नहीं सुना है। तो इसी प्रकार न आकार को निराकार नहीं कहा जा सकता है। निराकार का अर्थ होता है निर्गत: आकारात् यस्मात् । सभी आकर जिससे निकले हैं उसे निराकार कहते हैं। और यह मैं बहुत आत्मविश्वास से कह रहा हूं राकेश जी बहुत पढ़ा लिखा व्यक्ति हूं मैं सुनिए। यदि अनाकार शब्द आपने कहीं ईश्वर के लिए सुना हो तो मैं त्रिदंड फेंक दूंगा अपना। 

28.

पत्रकार – आचार्य जी आपने जितने अच्छे ढंग से यह बताया सनातन धर्म की व्याख्या की हिंदू राष्ट्र के बारे में बताया। बहुत अच्छा लगा।

पत्रकार- कुछ लोग कहते हैं कि जो यहां नहीं रहना चाहते वे पाकिस्तान चले जाएं। 

आचार्य  –  नियम तो यही था बंटवारा तो इस आधार पर हुआ था, वे चले जाते।

29.

पत्रकार-  महाराज हमनें कभी इतना नहीं देखा, हम मुसलमानों को पराया क्यों मानते हैं? हमारे गुरुओं ने तो सबको एक किया है।

जगद्गुरु- हमने पराया माना होता तो चित्रकूट में रहीम क्यों होते, वृंदावन में रसखान की समाधि नहीं होती। वह भी तो राम कहें। वह नहीं मान रहे हैं। कभी नहीं मान रहे हैं। जितना अत्याचार हिंदुओं पर हो रहा है आप ध्यान नहीं दे पा रहे हैं या तो आप किस दृष्टि से देख रहे हैं आपका चश्मा कैसा है मैं नहीं जानता। जितना अत्याचार हो रहा है वर्णन मत करो।

30.

पत्रकार – हम एक कैसे होंगे!

जगद्गुरु- हम एक तब होंगे जब हम एक दूसरे का सम्मान करेंगे।

31.

पत्रकार -(संगीता) – गुरु जी मेरा एक प्रश्न है कि राम वे हैं जो नीति मानते हैं मर्यादा मानते हैं कोमल हैं सहृदय हैं। पर हम हम विभिन्न जगहों पर देखते हैं वे क्रोधित भी होते हैं।

आचार्य – देखो बेटी! जब क्षमा को कायरता माना जाने लगता है तब राम जी का क्रोधित होना उचित होता है। तीन दिनों तक सागर से मार्ग मांगा जब नहीं तब उन्होंने कहा लाओ लक्ष्मण मेरा धनुष। क्षमा से युक्त होने पर यह समुद्र मुझे कर कायर मान रहा है। लाओ मेरा धनुष। जब जब क्षमता को कायरता माना जाने लगे क्रोध आवश्यक है और उचित है।

32.

पत्रकार (संगीता)का प्रश्न – क्या क्रोधित होना उचित है और अपने बल का प्रदर्शन करना उचित है?

आचार्य –  हां ऐसे समय पर जब आवश्यक हो क्रोध करना उचित है। और अपने बल का प्रदर्शन करना भी उचित है।

33.

पत्रकार – मैं यह पूछना चाहता हूं कि क्या अपने संविधान पढ़ा है?

आचार्य-  जी हां मैंने संविधान पढ़ा है, पूरा संविधान मुझे कंठस्थ है, पूरा संविधान।

34.

पत्रकार – देखिए मौर्या जी रामायण जला रहे हैं और वे कहते हैं कि रामायण में सह अस्तित्व से विपरीत बातें लिखी हुई हैं।

आचार्य – मौर्य तो सठिया गए हैं। उनको रामचरितमानस का क ख ग भी नहीं आता। वे सठिया गए हैं।

35.

पत्रकार – उनकी आपत्ति जिस दोहे पर है उस पर आपका क्या कहना है? उन्होंने ढोल गवार… को लेकर सवाल उठाया है।

आचार्य – ढोल गंवार शूद्र पशु नारी …सकल ताड़ना के अधिकारी। सबसे पहले तो यह पाठ गलत है ढोल गंवार शूद्र पशु नारी यह सब ताडन के अधिकारी है। सकल ताड़ना के अधिकारी यह पाठ गलत है। और चाणक्य ने ताडन का अर्थ शिक्षा दिया है अर्थात इन्हें शिक्षा दी जानी चाहिए यह उसका सही अर्थ है।

ढोल अर्थात वाद्य यंत्र गवार जो गांव में रहता है और शूद्र शौचाद राति इति शूद्र: अर्थात् जो चिंता से द्रवित हो जाए वह शूद्र है।और स्त्री।  इन सबको शिक्षा दी जानी चाहिए यह उसका सही अर्थ है। इनको पढ़ाना चाहिए ये सभी पढ़ने के अधिकारी हैं यह इसका सही अर्थ है। नारी की शिक्षा अनिवार्य है।

36.

पत्रकार- क्या आज के समय में जो साधु सन्यासी है वे राजनीति में ज्यादा रुचि लेने लगे हैं ऐसे आप आप पर भी कभी-कभी लगते हैं

आचार्य – हां मैं तो रुचि लेता हूं मैं महाराज हूं तो महाराज की तरह व्यवहार करता हूं। और राजनीति तो साधु लोग करते ही रहे हैं। ऋषियों ने राजनीति किया। नारद ने वशिष्ठ ने राजनीति किया तो रावण को दंडित किया। चाणक्य ने राजनीति की तो महापद्मनंद  को दंडित किया और गोस्वामी ने राजनीति  की तो उन्होंने मुगल शासन को दंडित किया।

37.

पत्रकार- आचार्य जी लेकिन वह सभी लोग सत्ता की सीकरी से दूर थे ।आप किसी को दंडित करने वाले हैं कि नहीं यह बताइए?

आचार्य -मैं तीन लोगों को दंडित करने वाला हूं। एक तो राष्ट्र विरोधियों को, राम विरोधियों को और हिंदुत्व विरोधियों को।

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लेखक : मनोज।