बाबासाहेब डॉ. अम्बेडकर
सम्पूर्ण बाङ्मय खंड-2
संवैधानिक सुधार एवं आर्थिक समस्याएं
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संवैधानिक सुधार एवं आर्थिक समस्याएं
बुद्धिजीवी वर्ग वह है, जो दूरदर्शी होता है, सलाह दे सकता है और नेतृत्व दान कर सकता है। किसी भी देश की अधिकांश जनता विचारशील एवं क्रियाशील जीवन व्यतीत नहीं करती। ऐसे लोग प्रायः बुद्धिजीवी वर्ग का अनुकरण और अनुगमन करते हैं। यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि किसी देश का संपूर्ण भविष्य उसके बुद्धिजीवी वर्ग पर निर्भर होता है। यदि बुद्धिजीवी वर्ग ईमानदार, स्वतंत्र और निष्पक्ष है तो उस पर यह भरोसा किया जा सकता है कि संकट की घड़ी में वह पहल करेगा और उचित नेतृत्व प्रदान करेगा। यह ठीक है कि प्रज्ञा अपने आपमें कोई गुण नहीं है। यह केवल साधन है और साधन का प्रयोग उस लक्ष्य पर निर्भर है, जिसे एक बुद्धिमान व्यक्ति प्राप्त करने का प्रयत्न करता है। बुद्धिमान व्यक्ति भला हो सकता है, लेकिन साथ ही वह दुष्ट भी हो सकता है। उसी प्रकार बुद्धिजीवी वर्ग उच्च विचारों वाले व्यक्तियों का एक दल हो सकता है, जो सहायता करने के लिए तैयार रहता है और पथ भ्रष्ट लोगों को सही रास्ते पर लाने के लिए तैयार रहता है।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर
जातिप्रथा-उन्मूलन
विषय सूची
संदेश
प्राक्कथन
vii
प्रस्तावना
IX
X
अस्वीकरण
संपादकीय
V
भाग-1
संवैधानिक सुधार
- साउथबरो कमेटी के समक्ष दिया गया साक्ष्य
3 - संघ बनाम स्वतंत्रता
41 - सांप्रदायिक गतिरोध और उसके समाधान के उपाय
123 - राज्य और अल्पसंख्यक
153 - भाग-II
आर्थिक समस्याएं
भाग-II
आर्थिक समस्याएं
- भारत में छोटी जोतों की समस्या और उसका निवारण
229 - श्री रसल की दृष्टि में सामाजिक पुनर्निर्माण
261 - अनुक्रमाणिका
रियायत नीति (Discount Policy)
275