96. ‘हरिऔध’ जी द्वारा लिखित ‘भूमिका’ के अनुसार हरिऔध जी ‘प्रियप्रवास’ का नाम पहले क्या रखना चाहते थे ?
(1), गोपी वियोग
(2) गोकूल क्लेश
(3) राधा-कृष्ण लीला
(4) ब्रजांगना-विलाप
UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024
उत्तर – (4) ब्रजांगना-विलाप
भूमिका
विचार-सूत्र
सहृदय वाचकवृन्द!
मैं बहुत दिनों से हिन्दी भाषा में एक काव्य-ग्रन्थ लिखने के लिए लालायित था। आप कहेंगे कि जिस भाषा में ‘रामचरित-मानस’, ‘सूरसागर’, ‘रामचन्द्रिका’, ‘पृथ्वीराज रासो’, ‘पद्मावत’ इत्यादि जैसे बड़े अनूठे काव्य प्रस्तुत हैं, उसमें तुम्हारे जैसे अल्पज्ञ का काव्य लिखने के लिए समुत्सुक होना वातुलता नहीं तो क्या है? यह सत्य है, किन्तु मातृभाषा की सेवा करने का अधिकार सभी को तो है; बने या न बने, सेवा-प्रणाली सुखद और हृदय-ग्राहिणी हो या न हो, परन्तु एक लालायित-चित्त अपनी प्रबल लालसा को पूरी किये बिना कैसे रहे? जिसके कान्त-पादांबुजों को निखिल-शास्त्र-पारंगत पूज्यपाद महात्मा तुलसीदास, कवि-शिरोरत्न महात्मा सूरदास, जैसे महाजनों ने परम सुगंधित अथच उत्फुल्ल पाटल प्रसून अर्पण कर अर्चना की है| कविकुल-मण्डली-मण्डन केशव, देव, बिहारी, पद्माकर इत्यादि सहृदयों ने अपनी विकच-मल्लिका चढ़ा कर भक्ति-गद्गद-चित्त से आराधना की है,क्या उसकी मैं एक नितान्त साधरण पुष्प द्वारा पूजा नहीं कर सकता? यदि ‘स्वान्त: सुखाय’ मैं ऐसा कर सकता हूँ तो अपनी टूटी-फूटी भाषा में एक हिन्दी काव्य-ग्रन्थ भी लिख सकता हूँ; निदान इसी विचार के वशीभूत होकर मैंने ‘प्रियप्रवास’ नामक इस काव्य की रचना की है।
97. निम्नलिखित में से कौन-से पात्र ‘कोसी का ‘घटवार’ कहानी के हैं:
A. रजुआ
B. लछमा
C. बहादुर
D. धरमसिंह
E. गुसाई
नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए:
(1)’ केवल A, C, D
(2) केवल B, C, D
(3) केवल B, D, E
(4) केवल C, D, E
UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024
उत्तर – (3) केवल B, D, E
A. रजुआ
B. लछमा ✅
C. बहादुर
D. धरमसिंह ✅
E. गुसाई ✅
कोसी का घटवार Source Link
शेखर जोशी
कथासार
कोसी का घटवार कहानी में कुल जमा बारह पात्र हैं लेकिन कहानी मुख्य रूप से दो पात्रों पर केंद्रित है, लछमा और गुसाईं। यह एक रिटायर्ड फौजी की कहानी है जिसका नाम गुसाईं है। गुसाईं फ़ौज से रिटायर होने के बाद कोसी नदी के किनारे वक़्त काटने के लिए घट लगवा लेता है। कोसी नाम से दो नदी हैं। एक वह जो तिब्ब्बत से निकलकर नेपाल के रास्ते बिहार आती है और गंगा में मिल जाती है। इसी कोसी को विहार का शोक कहा जाता है। प्रस्तुत कहानी में जिस कोसी का जिक्र है वह एक छोटी-सी पहाड़ी नदी है जो अल्मोड़ा में बहती है। पहाड़ी इलाकों में छोटी नदियों के किनारे पानी को बाँधकर उसके वेग के सहारे पत्थर और लकड़ी से घट का निर्माण किया जाता है। इन घटों में अनाज पीसे जाते हैं। एक दिन ऐसे ही घट में बैठे-बैठे गुसाईं अपने पुराने दिनों की यादों में खो जाता है । वह उन दिनों को हालाँकि याद करना नहीं चाहता लेकिन जैसे ही उसका ध्यान अपनी पहनी हुई पैण्ट पर जाता है, स्मृतियां सिलसिलेवार ढंग से उभरने लगती हैं । उसे याद आता है कि एक बार हवलदार धरम सिंह ऐसी ही लॉड्री की धुली हुई नोकदार क्रीज वाली पै ण्ट पहनकर गाँव आया था और उसने तय किया, वह भी फ़ौजी बनेगा। इस पैण्ट के मोह में वह फ़ौज में भर्ती हुआ लेकिन वापस लौटा तो पैण्ट के साथ-साथ उसके जीवन का अकेलापन भी उसके साथ लिपटा हुआ आया। पहली बार जब वह छुट्टियों में घर आया तो गाँव-जवार के लोग उसे देखने आये थे लेकिन गुसाईं जिसे खोज रहा था वह नहीं दिख रही थी- लछमा, जिससे वह प्यार करता था। लछमा ने उससे वादा किया था, वह जैसा भी कहेगा वैसा ही वह करेगी। लेकिन लछमा के पिता को यह रिश्ता मंजूर नहीं था। बाद में गुसाईं को पता चला कि लछमा की शादी पास के ही गाँव में राम सिंह से हो गयी। उसके बाद अपनी सर्विस के दरम्यान फिर कभी लौटकर वह अपने गाँव नहीं आया। छुट्टियों में भी उसने नौकरी की। आज वह सोचता है, यह सबकुछ इसी पैण्ट की बदौलत हुआ।
98. ‘धर्मशास्त्र रामगुप्त से ध्रुवस्वामिनी के मोक्ष की आज्ञा देता है।’ – इस संवाद में ‘मोक्ष’ शब्द का उचित अर्थ है:
(1) निर्वाण
(2) विवाह
(3) विवाह-विच्छेद अर्थात तलाक
(4) देश निकाला
UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024
उत्तर – (3) विवाह-विच्छेद अर्थात तलाक
99. ‘अंधायुग’ के अंकों को, पहले से बाद के क्रम में लगाइए।
A. अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य
B. प्रभु की मृत्यु
C. गांधारी का शाप
D. पंख, पहिये और पट्टियाँ
E. पशु का उदय
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(1) D, A, C, E, B
(2) B, D, A, E, C
(3) C, A, B, E, D
(4) E, A, D, C, В
UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024
उत्तर – (4) E, A, D, C, В
A. अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य 3
B. प्रभु की मृत्यु 7
C. गांधारी का शाप 5
D. पंख, पहिये और पट्टियाँ 4
E. पशु का उदय 2
यह नाटक 1954 ई. में लिखा गया था । अंधा युग, धर्मवीर भारती द्वारा रचित हिंदी काव्य नाटक है। इस गीतिनाट्य का प्रकाशन सन् 1955 ई. में हुआ था। इसका कथानक महाभारत युद्ध के अंतिम दिन पर आधारित है। इसमें युद्ध और उसके बाद की समस्याओं और मानवीय महत्त्वाकांक्षा को प्रस्तुत किया गया है।
अनुक्रम – अन्धा युग
- पहला अंक – कौरव नगरी
- Dusra अंक – पशु का उदय
- तीसरा अंक – अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य
- अंतराल – पंख, पहिये और पट्टियाँ
- Choutha अंक – गाधारी का शाप
- पांचवी अंक – विजय : एक क्रमिक आत्महत्या
- समापन – प्रभ को मृत्यु
इस नाटक में 5 अंक हैं – 1.कौरव नगरी , 2.पशु का उदय , 3.अश्वत्थामा का अर्द्धसत्य , अंतराल(पंख, पहिये और पट्टियाँ) , 4.गाँधारी का शाप , 5.विजय : एक क्रमिक आत्महत्या , समापन ( प्रभु की मृत्यु ) ।
100. अपभ्रंश के कवि ‘पुष्पदंत’ ईसा की किस शताब्दी में हुए ?
(1) दसवीं
(2) बारहवीं
(3) ग्यारहवीं
(4) तेरहवीं
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उत्तर – (1) दसवीं
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