UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024 Q.91-95


91. सूची-I के साथ सूची-II का मिलान कीजिए : 

(1) А-І, В-III, C-IV, D-II 

(2). А-IV, В-III, С-II, D-I

(3) A-II, B-IV, C-III, D-I 

(4) А-ІІІ, В-ІІ, C-I, D-IV 

UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024

उत्तर –  (2) A-IV, B-III, C-II, D-I

सूची-I में दिए गए कहानीकारों और उनकी कहानियों का मिलान सूची-II में इस प्रकार होता है:

A. राजेंद्र यादव – IV. अपने पार

B. अज्ञेय – II. चित्र लिखे पत्थर

C. जयशंकर प्रसाद – III. जिज्ञासा

D. माधवराव सप्रे – I. एक पथिक का स्वप्न

इसका मिलान विकल्पों में दिया गया है:

(2) A-IV, B-III, C-II, D-I

92. “चकित चकत्ता चौंकि चौंकि उठै बार बार,

दिल्ली दहसति चितै चाहि करषति है। 

बिलखि बदन बिलखत बिजैपुर पति, 

फिरत फिरंगिन की नारी फरकति है।।” – ये पंक्तियाँ किस कवि की हैं? 

(1) मतिराम 

(2). भूषण 

(3) कुलपति मिश्र 

(4) नेवाज 

UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024

उत्तर – (2). भूषण 

शिवा-बावनी – ५ / Shiva Baavani – 5

चकित चकत्ता चौंकि चौंकि उठै बार बार, दिल्ली दहसति चितै चाहि करषति है.

बिलखि बदन बिलखत बिजैपुर पति, फिरत फिरंगिन की नारी फरकति है.

थर थर काँपत क़ुतुब साहि गोलकुंडा, हहरि हवस भूप भीर भरकति है.

राजा सिवराज के नगारन की धाक सुनि, केते बादसाहन की छाती धरकति है.

जिहि फन फुत्कार उड़त पहाड़ भार, कूरम कठिन जनु कमल बिदगिलो.

विवजल ज्वालामुखी लवलीन होत जिन, झारन विकारी मद दिग्गज उगलिगो.

कीन्हो जिहि पण पयपान सो जहान कुल, कोलहू उछलि जलसिंधु खलभलिगो.

खग्ग खगराज महराज सिवराज जू को, अखिल भुजंग मुगलद्द्ल निगलिगो.

93. ‘एक साहित्यिक की डायरी’ के अध्यायों के शीर्षकों को, पहले से बाद के क्रम में लगाइए। 

A. वीरकर 

B. डबरे पर सूरज का बिम्ब 

C. विशिष्ट और अद्वितीय 

D. तीसरा क्षण 

E. नये की जन्म कुण्डली 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए : 

(1) B, D, A, E, C 

(2) D, B, E, A, C 

(3) C, E, A, B, D 

(4), E, A, C, B, D 

UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024

उत्तर – (2) D, B, E, A, C 

एक साहित्यक की डायरी

अनुक्रम


तीसरा क्षण 7

एक लम्बी कविता का अन्त 29

डबरे पर सूरज का बिम्ब 40

हाशिये पर कुछ नोट्स 46

सड़क को लेकर एक बातचीत 51

एक मित्र की पत्नी का प्रश्न चिह्न 57

नये की जन्म कुण्डली : एक 64

नये की जन्म कुण्डली दो 70

वीरकर 77

विशिष्ट और अद्वितीय 85

कुटुयान और काव्य-सत्य 96

कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी: एक 102

कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी दो 113


94. छायावाद के संबंध में इनमें से कौन-से कथन आचार्य रामचंद्र शुक्ल के हैं? 

A. ‘छायावाद की शाखा के भीतर धीरे-धीरे काव्य शैली का बहुत अच्छा विकास हुआ, इसमें संदेह नहीं।’ 

B. ‘छायावाद के लिए ‘मिस्टिसिज्म’ शब्द के आते ही ‘रहस्यवाद’ शब्द की बुनियाद पड़ गयी।’ 

C. ‘छायावाद जहाँ तक आध्यात्मिक प्रेम लेकर चला वहाँ तक तो रहस्यवाद के ही अंतर्गत रहा।’ 

D. ‘छायावाद व्यक्तिवाद की कविता है, जिसका आरंभ व्यक्ति के महत्व को स्वीकार करने और करवाने से हुआ।’ 

E. ‘छायावाद के पहले नये मार्मिक विषयों को और हिंदी कविता प्रवृत्त होती आ रही थी।’ 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सबसे उपयुक्त उत्तर का चयन कीजिए : 

(1) केवल A, C, E 

(2) केवल A, B, D 

(3) केवल B, D, E 

(4) केवल A, B, C 

UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024

उत्तर – (1) केवल A, C, E 

✅ 

A. ‘छायावाद की शाखा के भीतर धीरे-धीरे काव्य शैली का बहुत अच्छा विकास हुआ, इसमें संदेह नहीं।’ ✅

B. ‘छायावाद के लिए ‘मिस्टिसिज्म’ शब्द के आते ही ‘रहस्यवाद’ शब्द की बुनियाद पड़ गयी।’ 

C. ‘छायावाद जहाँ तक आध्यात्मिक प्रेम लेकर चला वहाँ तक तो रहस्यवाद के ही अंतर्गत रहा।’  ✅

D. ‘छायावाद व्यक्तिवाद की कविता है, जिसका आरंभ व्यक्ति के महत्व को स्वीकार करने और करवाने से हुआ।’ 

E. ‘छायावाद के पहले नये मार्मिक विषयों को और हिंदी कविता प्रवृत्त होती आ रही थी।’  ✅

95. निम्नलिखित उपन्यासों को, उनके प्रथम प्रकाशन वर्ष के अनुसार, पहले से बाद के क्रम में लगाइए। 

A. चित्रलेखा 

B. राम रहीम

C. विराटा की प‌द्मिनी 

D. विस्मृति के गर्भ में 

E. अलका 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए: 

(1) D, E, A, C, B 

(2) B, C, D, A, E 

(3) E, C, B, A, D 

(4) A, B, D, C, E 

UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024

उत्तर –    (4) A, B, D, C, E (possibly)

A. चित्रलेखा (1934)

B. राम रहीम ()

C. विराटा की प‌द्मिनी (1930)

D. विस्मृति के गर्भ में (1923)

E. अलका  (1933)

अलका एक उपन्यास है। इसकी रचना भारत के महान कवि एवं साहित्यकार सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ ने की यह उपन्यास पहली बार ई॰ सन् १९३३ में प्रकाशित हुआ।

https://hi.wikipedia.org/wiki/वृंदावनलाल_वर्मा