UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024 Q.81-85


81. ‘तमस’ उपन्यास के अनुसार फेरीवाले इत्रफरोश पर हमला कुस्-उसे घायल करने वाले पात्र का नाम है : 

(1) रणवीर 

(2) शम्भू 

(3) तेजासिंह 

(4) इन्द्र 

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उत्तर – (4) इन्द्र 

तमस भीष्म साहनी का सबसे प्रसिद्ध उपन्यास है। इसका प्रकाशन 1973 में हुआ था। वे इस उपन्यास से साहित्य जगत में बहुत लोकप्रिय हुए थे। तमस को १९७५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस पर १९८६ में गोविंद निहलानी ने दूरदर्शन धारावाहिक तथा एक फ़िल्म भी बनाई थी।


…… इत्रफरोश की बातों के ही कारण इन्द्र सँभल गया था और पैर मज़बूती से चल रहे थे और कमानीदार चाकू की मूठ को भी उसने मज़बूती से पकड़ रखा था। उसके मन में एकाग्रता आने लगी थी, उसकी आँखें इत्रफरोश की कमर पर टिकने लगी थीं। वही एकाग्र दृष्टि जिससे अर्जुन ने पेड़ पर बैठे पक्षी की आँख को फोड़ा था। इत्रफरोश के बाएँ कन्धे से झूलता थैला बार-बार घड़ी के पेंडुलम की तरह उसकी कमर के आगे हिल रहा था। उसका गाढ़े का कुरता बोतलों के थैले के नीचे कुछ-कुछ उभरा हुआ था।

नल पार करते ही इन्द्र की सारी चेतना जैसे उसके दाएँ हाथ में आ गई। नल के आगे का फासला एक-एक बालिश्त जैसे उसके मस्तिष्क में गिना जाने लगा था। बोतलों का थैला झूल रहा था, कमर बार-बार सामने आ रही थी और इत्रफरोश के पटपटाते जूते उसके साथ-साथ बज रहे थे।

“बाज़ार में फाहे ज़्यादा बिकते हैं, घरों में इत्र और तेल ज़्यादा बिकता है,” इत्रफरोश कह रहा था। सहसा इन्द्र लपका और उसने पैंतरा मारा। इत्रफरोश को लगा जैसे उसके बाएँ हाथ कोई चीज़ ज़ोर से हिली है। उसे भास हुआ जैसे कोई चीज़ चमकी भी है। पर वह खड़ा होकर घूमकर देखे कि क्या बात है तब तक उसे थैले के नीचे तीखी चुभन का-सा भास हुआ। इन्द्र का निशाना ठीक बैठा था। वार करने के बाद सरदार के आदेशानुसार उसने चाकू को थोड़ा मोड़ दिया था और अंतड़ियों के जाल में फँसा भी दिया था।

इत्रफरोश अभी पूरी तरह से मुड़ नहीं पाया था कि उसने देखा, लड़का पीछे की ओर भागा जा रहा है। उसे फिर भी समझ में नहीं आया कि क्या हुआ है। उसकी इच्छा हुई कि लड़के को आवाज़ देकर बुला ले, लेकिन तभी उसे अपने पैरों पर बहता खून नज़र आया और कमर में कुछ कराहता, कुछ डूबता-सा महसूस हुआ। मीठा-सा दर्द उठा, फिर तेज़ नश्तर-सा दर्द और वह डर के मारे बदहवास हो गया।

“ओ लोको, मार डाला! मुझे मार डाला! ओ लोको!…”

इत्रफरोश इतना घबरा गया था कि उसके मुँह से बोल नहीं फूट रहा था। वह कमर में लगे ज़ख्म से इतना नहीं मर रहा था जितना त्रास और भय से और भोले बालक द्वारा किए गए हमले से। उसके लिए अपने थैलों का बोझ उठा पाना असम्भव हो रहा था और उनके बोझ के नीचे ही वह मुँह के बल धड़ाम से गिरा। ….. 

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82. ‘संस्कृति के चार अध्याय’ के विभिन्न प्रकरणों के शीर्षकों को पहले से बाद के क्रम में लगाइए। 

A. भक्ति-आन्दोलन और इस्लाम 

B. भारतीय राष्ट्रीयता और मुसलमान 

C. प्राचीन भारत और बाह्य विश्व 

D. उर्दू का जन्म 

E. शिक्षा में क्रान्ति 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए: 

(1). C, A, D, E, B 

(2) D, A, B, E, C 

(3) C, E, B, D, A 

(4) E, A, D, C, B 

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उत्तर –  (1). C, A, D, E, B 

विभिन्न प्रकरणों के शीर्षक


A. भक्ति-आन्दोलन और इस्लाम 2.6

B. भारतीय राष्ट्रीयता और मुसलमान 4.17

C. प्राचीन भारत और बाह्य विश्व 2.5

D. उर्दू का जन्म 3.11

E. शिक्षा में क्रान्ति 4.2

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83. निम्नांकित चरित्रों को, तत्संबंधी उपन्यासों के प्रथम प्रकाशन वर्ष के अनुसार, पहले से बाद के क्रम में लगाइए। 

A. सोमराज साहनी 

B. काशीशाह 

C. रूप्पन बाबू 

D. प्यारू 

E. प्रतापी 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए: 

(1) C, E, A, D, B 

(2), D, A, C, E, B 

(3) B, E, A, D, C 

(4) E, C, A, D, B 

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उत्तर – (2), D, A, C, E, B 

A. सोमराज साहनी – झूठा सच (1958-60)

B. काशीशाह – ज़िंदगीनामा(1979 ई.)

C. रूप्पन बाबू – रागदरबारी (1968)

D. प्यारू 

E. प्रतापी 

84. ‘जिन्दगीनामा’ उपन्यास में आए इन गीतों / मुखड़ों को, उपन्यास में आने के अनुसार, पहले से बाद के क्रम में लगाइए। 

A. आले दवाले मेरी गुड्डियाँ 

मैंनू नहीं खेलन दा चाव रे 

B. मैं सूरज अगन जलाऊँगी 

मैं प्यारा यार मनाऊँगी 

C. अव्वल हमद खुदा दा विरज कीजे 

इश्क कीता सू जग दा मूल मियाँ 

D. मियाँ मजनुआँ ओ 

चिट्टे तेरे दन्द दिक्खी हस्सियाँ ओ 

E. चढ़ गए चेत पड़ी फुहार 

यारो बहुत बड़ी सरकार 

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए : 

(1) C, E, B, D, A 

(2), B, D, C, E, A 

(3) D, A, C, E, B 

(4) E, A,B, D, C 

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उत्तर –

85. ‘बकरी’ नाटक के इन गीतों को, नाटक में आने के क्रम से, पहले से बाद के क्रम में लगाइए।

नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए : 

(1) C, B, A, E, D 

(2) C, A, E, B, D 

(3) B, C, D, E, A 

(4) D, A, E, B, C 

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उत्तर – (2) C, A, E, B, D

85. ‘बकरी’ नाटक के इन गीतों को, नाटक में आने के क्रम से, पहले से बाद के क्रम में लगाइ

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9-A. युगल गीत -जा तेरी मेरी ना पटनी कैसी बनाई चटनी ।

B. पूजा गीत –  तन मन धन उन्नायुक जय हेजय जय बकरी

7-C. वंदना – हे संकट मोचू बना दे हमें घोंचू माता 

38-D. समूह गान – बकरी मैया तोरे चरनन अरज करूँ गाँधी बाबा तोरे चरनन अरज करूँ

17-E. डंडा गीत – डंडा ऊँचा रहे हमारा सबसे प्यारा सबसे न्यारा

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