101. निम्नलिखित पंक्तियों में से कौन-सी पंक्तियाँ आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध ‘कविता क्या है’ से उद्धृत हैं:
A. “मैं अशेष मंगलकामनाओं की पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आँखों में झाँकता हूँ।”
B. “जिनके रूप या कर्म-कलाप जगत और जीवन के बीच में उसे सुंदर लगते हैं, उन्हीं के वर्णन में वह ‘स्वान्तः सुखाय’ प्रवृत्त होता है।”
C. “वर्ण्य वस्तु और वर्णन प्रणाली बहुत दिनों से एक-दू -दूसरे से अलग कर दी गई हैं।”
D. “उत्कर्ष की ओर उन्मुख समष्टि का चैतन्य अपने ही घर से बाहर कर दिया गया।”
E. “सुंदर अर्थ की शोभा बढ़ाने में जो अलंकार प्रयुक्त नहीं वे काव्यालंकार नहीं।”
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
(1) केवल A, B, C
(2) केवल B, C, E
(3) केवल C, D, E
(4) केवल B, D, E
UGCNET-EXAM-SECOND-PAPER-HINDI- परीक्षा तिथि -18/06/2024
उत्तर – (2), केवल B, C, E
A. “मैं अशेष मंगलकामनाओं की पीछे से झांकती हुई दुर्निवार शंकाकुल आँखों में झाँकता हूँ।” ❌
B. “जिनके रूप या कर्म-कलाप जगत और जीवन के बीच में उसे सुंदर लगते हैं, उन्हीं के वर्णन में वह ‘स्वान्तः सुखाय’ प्रवृत्त होता है।” ✅
C. “वर्ण्य वस्तु और वर्णन प्रणाली बहुत दिनों से एक-दू -दूसरे से अलग कर दी गई हैं।” ✅
D. “उत्कर्ष की ओर उन्मुख समष्टि का चैतन्य अपने ही घर से बाहर कर दिया गया।” ❌
E. “सुंदर अर्थ की शोभा बढ़ाने में जो अलंकार प्रयुक्त नहीं वे काव्यालंकार नहीं।” ✅
अधिक पढने के लिए क्लिक करें – आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध ‘कविता क्या है’
102. “भीतर कदम तो रख दिया, पर सहसा सहम महै, जैसे वह किसी अंधेरे कुएँ में अपने-आप कूद पड़ी हो, ऐसा कुआँ जो निरंतर पतला होता गया है…. और जिसमें पानी की गहराई पाताल की पर्तों तक चली गई हो, जिसमें पड़कर वह नीचे धँसती चली जा रही हो….।” – यह कथन किस कहानी से लिया गया है:
(1) कोसी का घटवार
(2). राजा निरबसिया
(3) अपना-अपना भाग्य
(4) परिंदे
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उत्तर – (2). राजा निरबसिया
…. … और जब चन्दा अँधेरा होते उठकर अपनी कोठरी में सोने के लिए जाने को हुई, तो कहते-कहते यह बात दबा गई कि बचनसिंह ने उसके लिए एक खाट का इन्तजाम भी कर दिया है। कमरे से निकली, तो सीधी कोठरी में गई और हाथ का कड़ा लेकर सीधे दवाखाने की ओर चली गई, जहाँ बचनसिंह अकेला डॉक्टर की कुर्सी पर आराम से टाँगें फैलाए लैम्प की पीली रोशनी में लेटा था। जगपती का व्यवहार चन्दा को लग गया था, और यह भी कि वह क्यों बचनसिंह का अहसान अभी से लाद ले, पति के लिए जेवर की कितनी औकात है ! वह बेधड़क-सी दवाखाने में घुस गई। दिन की पहचान के कारण उसे कमरे की मेज़-कुर्सी और दवाओं की अलमारी की स्थिति का अनुमान था, वैसे कमरा अँधेरा ही पड़ा था, क्योंकि लैम्प की रोशनी केवल अपने वृत्त में अधिक प्रकाशवान होकर कोनों के अँधेरे को और भी घनीभूत कर रही थी।
16/ मेरी प्रिय कहानियाँ
बचनसिंह ने चन्दा को घुसते ही पहचान लिया। वह उठकर खड़ा हो गया। चन्दा ने भीतर कदम तो रख दिया, पर सहसा सहम गई, जैसे वह किसी अँधेरे कुएँ में अपने-आप कूद पड़ी हो, ऐसा कुआँ, जो निरन्तर पतला होता गया है… और जिसमें पानी की गहराई पाताल की पर्तों तक चली गई हो, जिसमें पड़कर वह नीचे धँसती चली जा रही हो, नीचे… अँधेरा… एकान्त घुटन… पाप !
बचनसिंह अवाक् ताकता रह गया और चन्दा ऐसे वापस लौट पड़ी, जैसे किसी काले पिशाच के पंजों से मुक्ति मिली हो। बचनसिंह के सामने क्षण-भर में सारी परिस्थिति कौंध गई और उसने वहीं से बहुत संयत आवाज में जबान को दबाते हुए जैसे वायु में स्पष्ट ध्वनित कर दिया “चन्दा !” वह आवाज इतनी बे-आवाज थी और निरर्थक होते हुए भी इतनी सार्थक थी कि उस खामोशी में अर्थ भर गया।
चन्दा रुक गई।
बचनसिंह उसके पास जाकर रुक गया।
सामने का घना पेड़ स्तब्ध खड़ा था, उसकी काली परछाईं की परिधि जैसे एक बार फैलकर उन्हें अपने वृत्त में समेट लेती और दूसरे ही क्षण मुक्त कर देती। दवाखाने का लैम्प सहसा भभककर रुक गया और मरीजों के कमरे से एक कराह की आवाज़ दूर मैदान के छोर तक जाकर डूब गई।
103. सूची-1 के साथ सूची-II का मिलान कीजिए :
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए :
(1) A-III, B-I, C-IV, D-II
(2) A-II, B-IV, C-I, D-III
(3) A-IV, B-III, C-I, D-II
(4) A-III, B-IV, C-I, D-II
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उत्तर –
Unknown Sources
mani madhukar ki kahani ki paatra hai दम्मो
Ratan premchand ke upanyas ki ek mahila patra hai. प्रेमचंद गबन उपन्यास
104. सूची-1 के साथ सूची-II का मिलान कीजिए:
नीचे दिए गए विकल्पों में से सही उत्तर का चयन कीजिए:
(1) A-IL, B-L, C-IV, D-III
(2) A-IV, B-1, C-II, D-III
(3) A-L B-IV, C-IL, D-III
(4) A-IIC BAV, C-IL, D-1
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उत्तर – (2) A-IV, B-1, C-II, D-III
105. पहले राजभाषा आयोग का गठन कब हुआ ?
(1) सन् 1952
(2) सन् 1955
(3) सन् 1960
(4) सन् 1963
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उत्तर – (2). सन् 1955
भारत के राष्ट्रपति(राजेंद्र प्रसाद) ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी. जी. खेर की अध्यक्षता में आयोग का गठन किया
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