Sengol

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Sengol In New Parliament Building.

स्थापना दिवस: 24 मई 2023

Sengol – Wikipedia

File:PM installs ‘Sengol’ at new Parliament building, in New Delhi on May 28, 2023.jpg

सेंगोल संसद में (Sengol in Parliament) :

आज का दिन महत्वपूर्ण है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक नया इतिहास रचा है। पूर्व की कई सरकारों ने नए संसद भवन की आवश्यकता पर चर्चा की थी। माननीय प्रधानमंत्री ने इस पर विचार किया और नए भारत के निर्माण की अपनी दूरदर्शिता के साथ, उन्होंने नए संसद भवन का निर्माण कराया जो हमारी विरासत और परंपराओं को आधुनिकता से जोड़ती है। 

प्रधानमंत्री – साथियों नए संसद भवन का निर्माण

नूतन और पुरातन के सह-अस्तित्व का उदाहरण है। यह नई संरचना लगभग उनसठ हजार श्रमवीरों के योगदान से बनाई गई है।

माननीय प्रधानमंत्री ने राष्ट्र की ओर से उनका आभार प्रकट किया है। पचहत्तर वर्ष पहले की स्वतंत्रता की भावना को पुनर्जीवित करते हुए माननीय प्रधान मंत्री ने आज तमिलनाडु की आदि नमों से सेंगोल (Sengol) को स्वीकार किया है। Sengol राष्ट्र के लिए न्याय पूर्ण और निष्पक्ष शासन का स्मरण कराता है। 

सेंगोल (Sengol) तमिल शब्द सेन्मई से लिया गया है, जिसका अर्थ है नीति परायणता। इसके शीर्ष पर न्याय के प्रति पवित्र नंदी अपनी अचल दृष्टि में विराजित हैं।

सेंगोल और अन्नादुरई (Annadurai SENGOL) :

 ये वही Sengol है जिसे श्री जवाहर लाल नेहरू ने चौदह अगस्त उन्नीस दो सैंतालीस की रात को थिडुआवरथुरई से आधिनम  से एक अनुष्ठान के माध्यम से स्वीकार किया था। जिसका आयोजन भारतीय सभ्यता के अनुसार किया गया था। उसके बाद इस पवित्र सेंगोल (Sengol) को यथोचित सम्मान और स्थान न मिल सका, जो मिलना चाहिए था।

कांची मठ और सेंगोल :(Sengol tamil nadu)

 कहानी मुडती है तमिलनाडु के कांचीपुरम की ओर जहां पूजनीय कांची मठ का आसन है। पंद्रह अगस्त उन्नीस सौ अठहत्तर, मठ के अड़सठवें  प्रमुख परमपावन श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती स्वामी गण जो महापेरयबा अर्थात् प्रबुद्ध ज्येष्ठ के रूप में जाने जाते हैं। वे Sengol वृतांत को स्मरण करते हुए अपने अनुयायी डॉक्टर आर. सुब्रमण्यम से इसका वर्णन करते हैं। 

जिसे उन्होंने अपनी किताब में स्थान दिया है।

महापेरियबा ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर सेंगोल (Sengol) ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। हमारे इतिहास की किताबों में यह तथ्य अवश्य होना चाहिए था लेकिन गत कई वर्षों में कहीं भी इसका उल्लेख नहीं किया गया है।

एक बार इस अद्भुत संस्मरण के सार्वजनिक होने पर तमिल मीडिया व प्रकाशनों ने इसे अपने संपादन और वेबसाइटों में वरीयता दी।

माननीय प्रधानमंत्री एक परंपरागत प्रतीक की खोज में थे तत्पश्चात sengol ने उनका ध्यान आकर्षण किया। उन्होंने इसकी जांच करवाई जिसका प्रमाण मीडिया विश्लेषणों और पुस्तकों में मिला। आखिरकार Sengol की खोज पूरी हुई।  यह ऐतिहासिक Sengol इलाहाबाद संग्रहालय में मिला। ये चोला साम्राज्य से चली आ रही हमारी भारतीय सभ्यता की महान प्रथा है। चोल सदियों तक हमारे उप महाद्वीप के अग्रणी साम्राज्यों में से एक थे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है के Sengol के प्राप्तकर्ता के पास न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने का आदेश होता है। जिसे तमिल में आणेय कहा जाता है। 

इस विचार से माननीय प्रधान मंत्री प्रभावित हुए।

उनके अनुसार जनता के लिए चुने गए लोगों को इस आदेश को कभी नहीं भूलना चाहिए। उन्होंने यह निश्चय किया कि इस अद्वितीय प्रतीक को अमृतकाल के  प्रतिबिंब के रूप में अपनाया जाना चाहिए। ताकि राष्ट्र अनंत संभावनाओं से परिपूर्ण रहे। Sengol को आज सुबह संसद में उसके सुयोग्य स्थान पर स्थापित किया गया।  यह सभी के लिए भारत सरकार के न्यायपूर्ण और निष्पक्ष शासन के अटूट संकल्प का स्मरण कराता है।

इस दृढ़ता के साथ भारत विश्व गुरु के रूप में अपना यथोचित स्थान ग्रहण करने की ओर बढ़ रहा है।

सेंगोल (Sengol)  क्या है?(What is sengol.)

सेंगोल (Sengol)  एक ऐतिहासिक राजदंड है जो तमिलनाडु में महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्य धारण करता  है।

सेंगोल का अर्थ (Sengol Meaning)

 तमिल शब्द “सेम्मई” से व्युत्पन्न है, जिसका अर्थ है “नीतिपरायणता”, सेंगोल (Sengol)  न्याय और सुशासन के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है। चोल युग में, एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण अधिकार के प्रतीक के रूप में राजदंड सौंपने और निष्पक्षता और न्याय के साथ शासन करने की जिम्मेदारी के रूप में पवित्र किया गया था।

भारत की स्वतंत्रता के समय ब्रिटिशों से भारतीय लोगों को सत्ता हस्तांतरण के दौरान इसे प्रमुखता मिली।

सेंगोल का इतिहास (Sengol History)

ऐतिहासिक प्रथा(Historical Practice): 

सेंगोल (Sengol)  की प्रस्तुति पारंपरिक चोल प्रथा से मेल खाती है जहां समयाचार्य (आध्यात्मिक नेता) राजाओं के राज्याभिषेक का नेतृत्व करते थे, सत्ता के हस्तांतरण को पवित्र करते थे और प्रतीकात्मक रूप से शासक को पहचानते थे।

न्याय और सुशासन का प्रतीक: 

सेंगोल (Sengol) , न्याय और सुशासन का प्रतीक है, यह सांस्कृतिक महत्व रखता है जैसा कि सिलापथिकारम और मणिमेकलाई जैसे प्राचीन तमिल ग्रंथों में दर्ज है।

सेंगोल (Sengol)  का वर्तमान संदर्भ और रचना

लॉर्ड माउंटबेटन का प्रश्न: स्वतंत्रता से पहले, भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू से उस समारोह के बारे में पूछा जो सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक होना चाहिए।

चोल राजवंश से प्रेरणा: 

भारत के अंतिम गवर्नर-जनरल राजगोपालाचारी ने चोल राजवंश से जुड़े हुए एक समारोह का सुझाव दिया, जहां सत्ता के हस्तांतरण को उच्च पुजारियों द्वारा पवित्र किया जाता और आशीर्वाद दिया जाता था।

सेंगोल (Sengol)  का निर्माण: 

राजगोपालाचारी ने तमिलनाडु के तंजौर जिले के एक प्रसिद्ध शैव मठ, थिरुवदुथुराई एथेनम से संपर्क किया, जिसने चेन्नई स्थित ज्वैलर्स, “वुम्मिदी बंगारू चेट्टी” से सेंगोल (Sengol)  के निर्माण का आदेश दिया था।

शिल्प कौशल: 

वुम्मिदी एथिराजुलु और वुम्मिदी सुधाकर ने कुशलतापूर्वक पांच फुट लंबे सेंगोल (Sengol)  को तैयार किया, जिसमें न्याय का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रतीकात्मक ‘नंदी’  शामिल है।

‘सेंगोल (Sengol) ‘ का महत्व

 प्रतीकात्मक महत्व: तमिल शब्द “सेम्मई” से व्युत्पन्न, जिसका अर्थ है “नीति परायणता”, ‘सेंगोल (Sengol)’ स्वतंत्रता के एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक का प्रतिनिधित्व करता है।

सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक: 

14 अगस्त, 1947 को, पहले प्रधान मंत्री, पंडित नेहरू को तमिलनाडु के अधीनम से ‘सेन्गोल’ प्राप्त हुआ, जो ब्रिटिशों से भारतीय लोगों के पास सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक था।

समर्पण समारोह :

सेंगोल (Sengol)  का आगमन: अधीनम के उप महायाजक, एक नादस्वरम वादक और एक ओडुवर (गायक) सहित तीन व्यक्ति, तमिलनाडु से नव निर्मित सेंगोल (Sengol)  लाए।

समारोह: 14 अगस्त, 1947 को, सेंगोल (Sengol)  को एक जुलूस के दौरान लॉर्ड माउंटबेटन को सौंप दिया गया था , और बाद में जवाहरलाल नेहरू के घर ले जाया गया, जहां इसे आधिकारिक तौर पर उन्हें प्रस्तुत किया गया।

पवित्र गीत और उपस्थित लोग: 

7वीं शताब्दी के तमिल संत तिरुज्ञान संबंदर द्वारा रचित एक विशेष गीत, जैसा कि महायाजक द्वारा निर्दिष्ट किया गया था, समारोह के साथ गाया गया।  इस कार्यक्रम के दौरान भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

निष्कर्ष

सेंगोल (Sengol)  को भारत की स्वतंत्रता के प्रतिनिधित्व के रूप में सम्मानित किया जाता है और यह देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और इसके द्वारा निर्मित किए गए मूल्यों के एक मूर्त अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है।

 नए संसद भवन में इसकी स्थापना इसके महत्व पर और जोर देती है और इसका उद्देश्य लोगों को इस ऐतिहासिक घटना और इसके सिद्धांतों के बारे में शिक्षित और प्रेरित करना है।