21. – नर्मदा नदी का साहित्यिक सन्दर्भ सर्वप्रथम कहाँ मिलता है?
(A) शतपथ ब्राह्मण
(B) मनुस्मृति
(C) वराहमिहिर संहिता
(D) अग्नि पुराण
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(A) शतपथ ब्राह्मण
सामान्य सारांश : नर्मदा महात्मय का समीक्षात्मक अध्ययन
कल्पान्तस्थाईनी नर्मदा प्रलय काल में भी अक्षय बनी रहती है। स्कंद पुराण के रेवा खण्ड में युधिष्ठिर को नर्मदा माहात्म्य बताते हुए महामुनि मार्कण्डेय जी कहते हैं कि सभी सरिताएं तथा समुद्र प्रलय काल में भी नष्ट हो जाते हैं, केवल नर्मदा ही सातों कल्पों में स्थित रही है। स्कंद पुराण ने प्रारम्भ में ही नर्मदा के लिए वेदगर्भा विशेषण प्रयुक्त किया है।
वेदगर्भा शब्द इंगित करता है कि नर्मदा वेदों की रचना के दौरान वैदिक साहित्य के गर्भ में छिपी थी। साथ ही यदि बहुव्रीहि समास द्वारा वेदगर्भा शब्द का अर्थ निकाला जाए तो “वेदा गर्भ यस्या सा इति वेदगर्भा” अर्थात् वेद थे. जिसके गर्भ में, वह वेदगर्भा। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के आदिम साहित्य के स्रोत ऋग्वेद में वर्णित सप्त सैंधव” जिस स्थान पर ऋग्वैदिक संस्कृति जन्मी, जो क्षेत्र आर्यों की साधनास्थली था, वह क्षेत्र सिंधु, बिपाशा. शूत्रुद (सप्तजल), विपाशा, झेलम, अक्सीनी (चनाव), परुशणी (रावी) और सरस्वती आदि सात नदियों में युक्त था। सप्त सैधव की नदियों के अन्तर्गत नर्मदा का समावेश नहीं था, जिसका कारण नर्मदा क्षेत्र का सप्त सैधव की सीमा से दूर दक्षिण दिशा में स्थित होना था। प्राचीन वैदिक साहित्य के महत्वपूर्ण ब्राम्हण ग्रंथ शतपथ ब्राम्हण में रेवा या रेवोत्तरसम” शब्द का प्रयोग मिलता है। वैदिक कोश में इस शब्द से जुड़े कथानक को इस प्रकार उल्लेखित किया गया है-सृजय वैदिक काल की एक जाति है, इनके मित्र त्रस्त हैं, जो मध्य देश के निवासी थे। सृजियों ने अपने राजा दुष्ट रीतु पौसायन को दस पीढ़ियों की परम्परा तोड़कर राज सिंहासन ने हटा दिया था और उनके मंत्री रेवोत्तर पाटव चक्रस्यपति को भी मार भगाया था, किन्तु मंत्री ने कुरु राजा बल्हिक प्रातीप्य के विरोध करने पर भी दृष्टरीतु पाँसायन को फिर से राज गद्दी पर बैठाया था। यहां यह भी बहुत सम्भव है, कुरु राजा ही इस विरोध के मूल में रहा हो। इस आख्यान में रेवोत्तर या रेवोत्तरसम व्यक्तिवाचक संज्ञा है, जिससे मंत्री का नाम, पता चलता है। परंतु बेबर’ ने रेवोत्तर में प्रयुक्त पूर्वार्ध रेवा को रेवा या नर्मदा माना है। रेवोत्तर का बहुव्रीहि समास करने पर रेवा है, जिसके उत्तर में अर्थात् रेवा के दक्षिण में रहने वाला। इस तरह रेवोत्तर नामक व्यक्ति जो रेवा के दक्षिण तट या दिशा में रहता था। Source of this content is :
22. किस ताम्रपाषाणयुगीन स्थल को वराहमिहिर का जन्म स्थल भी कहा जाता है?
(A) दंगवाड़ा
(B) कायथा
(C) नावदाटोली
(D) इन्द्रगढ़
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(B) कायथा
कायथा भारत के मध्य प्रदेश राज्य के उज्जैन ज़िले में स्थित एक गाँव और पुरातत्व स्थल है। यह उज्जैन से लगभग 25 किमी पूर्व दिशा में चम्बल नदी की सहायक नदी काली सिन्ध नदी के दाहिने तट पर काली मिट्टी के मैदान में स्थित है। विकिपीडिया
23. निम्नलिखित स्वतन्त्रता सेनानियों को उनके क्रान्ति क्षेत्र से सुमेलित कीजिए।
(1) राजा मर्दन सिंह (i) नेमावर
(2) राजा दौलत सिंह (ii) भानपुर
(3) राजा बख्तवली (iii) शाहगढ़
(4) मुराद अली (iv) महू
कूट : (1) (2) (3) (4)
(A) (ii) (i) (iii) (iv)
(B) (i) (ii) (iii) (iv)
(C) (iii) (iv) (i) (ii)
(D) (iv) (iii) (i) (ii)
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(A) (ii) (i) (iii) (iv)
1842 इ्र्र. में मोद प्रहलाद की मृत्यु उपरान्त मर्दन सिंह बानपुर के राजा बने। मर्दन सिंह ने बखतवली के सहयोग से चन्देरी में सिंधिया के प्रतिनिधि जसवंतराय से चन्देरी प्राप्त कर लिया। क्रांतिकारियों के भय से 370 अंग्रेजों (173 पुरूष, 63 महिलाएं एवं 134 बच्चे) को शनिवार 27 जून, 1857 को सागर के किले में शरण लेनी पडी।
24. मोहनखेड़ा जैन तीर्थ निम्न में से किस जिले में स्थित है ?
(A) देवास
(B) धार
(C) बुरहानपुर
(D) खरगौन
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
25. निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म ग़लत है?
अभयारण्य जिला
(A) बोरी होशंगाबाद
(B) गंगऊ पन्ना
(C) करैरा शिवपुरी
(D) घाटीगाँव इन्दौर
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(D) घाटीगाँव इन्दौर
घाटीगाँव भारत के मध्य प्रदेश के ग्वालियर ज़िले में स्थित शहर है। यह ग्वालियर से 35 किमी दूर स्थित है।
26. गम्मत लोकनाट्य का सूत्रधार क्या कहलाता है?
(A) घूघरमाल
(B) ठोठ्या
(C) कुडग
(D) खमरास
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(A) घूघरमाल
लोक नाट्य शैली “गम्मत” में कथावाचक या मुख्य अभिनेता को घुघरामल कहा जाता है।
27. शंकर राव पंडित का सम्बन्ध किस विधा से था ?
(A) सितार वादन
(B) मृदंग वादन
(C) ख्याल गायकी
(D) कत्थक नृत्य
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(C) ख्याल गायकी
ग्वालियर घराने के शंकर राव पंडित शास्त्रीय गायन की ख्याल शैली से जुड़े थे।
28. कोहबर क्या है ?
(A) वैवाहिक आनुष्ठानिक भित्तिचित्र
(B) वैवाहिक वस्त्र
(C) भोजन
(D) आभूषण
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(A) वैवाहिक आनुष्ठानिक भित्तिचित्र
कोहबर का तात्पर्य विवाह के दौरान बनाई जाने वाली अनुष्ठानिक दीवार पेंटिंग से है।
29. कुमारगुप्त और बन्धुवर्मन के दशपुर अभिलेख के सम्बन्ध में कौन-सा कथन ग़लत है?
(A) इस अभिलेख में रेशम बुनकरों की श्रेणी द्वारा सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख है।
(B) यह भारत में विज्ञापन परम्परा का प्राचीनतम उदाहरण है।
(C) इस अभिलेख में दशपुर को पश्चिमपुर भी कहा गया है।
(D) इस अभिलेख की रचना भवभूति ने की थी।
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(D) इस अभिलेख की रचना भवभूति ने की थी।
भवभूति ने अपने बारे में महावीरचरित की प्रस्तावना में लिखा है। वे विदर्भ देश के ‘पद्मपुर’ नामक स्थान के निवासी थे और श्री भट्टगोपाल के पोते थे।मंदसौर का प्राचीन नाम दशपुर है। इसे प्राचीन काल में दशपुर के नाम से जाना जाता था। गुप्त सम्राट कुमारगुप्त द्वितीय के शासनकाल (472 ई.) का एक प्रसिद्ध अभिलेख मंदसौर से प्राप्त हुआ है, जिसमें लाट देश के रेशम व्यापारियों के दशपुर में आकर बसने का उल्लेख है। उन्होंने दशपुर में एक सूर्य मंदिर का निर्माण कराया था। गुप्त युग से पहले दशपुर का कोई महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उल्लेख नहीं मिलता। कुमारगुप्त प्रथम और द्वितीय तथा बंधुवर्मा का मंदसौर में 436 ई. (वि.सं. 493) और 472 ई. (वि.सं. 529) का वत्सभट्टि द्वारा रचित लेख मिलता है, जिससे ज्ञात होता है कि जब बंधुवर्मा कुमारगुप्त प्रथम का दशपुर में प्रतिनिधि था (436 ई.), तब वहाँ के तंतुवायों ने एक सूर्य मंदिर का निर्माण कराया और उसके खर्च का प्रबंध किया।
30. यशोधर्मन के सौंदनी अभिलेख के रचयिता कौन हैं?
(A) कवि मदन
(B) वासुल कवि
(C) कक्क
(D) रविकीर्ति
(MPPSC-PRE-2024-EXAM DATE-23-06-2024)
उत्तर –
(B) वासुल कवि
९. इति तुष्टुषया तस्यांरूपते: पुण्यकर्मणा: | वासुलेनोपरचित: श्लोक:कक्कस्य सूनुनना || उत्कीर्णा गोविंदेन ||
9. इस प्रकार पुण्यकर्म करने वाले राजा की स्तुति करने की इच्छा से कक्कपुत्र वसु ने इन श्लोकों की रचना की है। (यह स्तुति) गोविंद ने उत्कीर्ण की है।— यशोधर्मन का मंदसौर स्तंभ शिलालेख