MPPSC-AP-HINDI-EXAM-2022
31. ‘कहानी नयी कहानी’ पुस्तक में नामवर सिंह ने नयी कहानी की पहली कृति किसे माना है ?
(A) तीसरी कसम
(B) परिन्दे
(C) वापसी
(D) खोई हुई दिशाएँ
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (B) परिन्दे
नामवर सिंह ने नयी कहानी की पहली कृति परिंदे को माना है। प्रकाशन वर्ष-1960ई.
32. निम्नलिखित में से किसके बचपन का नाम आनंदीलाल था ?
(A) अज्ञेय
(B) रेणु
(C) यशपाल
(D) जैनेन्द्र
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (D) जैनेन्द्र
इनका बचपन का नाम आनंदीलाल था। साहित्य-रचना उन्होंने जैनेन्द्र कुमार के नाम से की। हिंदी संसार अब उन्हें जैनेन्द्र कुमार के नाम से ही जानता है।
इकाई 3 जैनेन्द्र और उनका उपन्यास साहित्य
3.2 जैनेन्द्र कुमार का संक्षिप्त जीवन परिचय
जैनेन्द्र कुमार का जन्म जिला अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के एक गाँव कौड़िया गंज में 2 जनवरी 1905 में हुआ और मृत्यु 24 दिसंबर 1988 में हुई। इनका बचपन का नाम आनंदीलाल था। साहित्य-रचना उन्होंने जैनेन्द्र कुमार के नाम से की। हिंदी संसार अब उन्हें जैनेन्द्र कुमार के नाम से ही जानता है। जब उनकी उम्र दो वर्ष की थी तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनका लालन-पालन उनकी माँ रमा देवी और मामा भगवान दीन ने किया। उनकी आरंभिक पढ़ाई अतरौली और अपने मामा के गुरुकुल में हुई। मैट्रिक की परीक्षा उन्होंने पंजाब से पास की और आगे के अध्ययन के लिए बनारस आ गए। 1920 में जब महात्मा गाँधी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया तब उनकी उम्र 15-16 वर्ष की थी। सन 1921 में असहयोग आंदोलन के प्रभाव से जैनेन्द्र ने अपनी पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने कुछ वर्षों तक कांग्रेस का काम किया और स्वाधीनता आंदोलन के दौर में जेल भी गए। उनका आरंभिक जीवन काफी आर्थिक कष्ट में बीता।
उनकी पहली कहानी सन् 1928 में “विशाल भारत” में प्रकाशित हुई। उसका पारिश्रमिक 4 रुपया प्राप्त हुआ। इस पारिश्रमिक से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और वे धीरे-धीरे साहित्य लेखन की ओर प्रवृत्त हुए। सन् 1929 में उनका पहला उपन्यास ‘परख’ प्रकाशित हुआ। साहित्य संसार ने नए लेखक का स्वागत किया। बाद में उन्होंने 12 उपन्यास और अनेक कहानियाँ लिखी, जो अब 7 खंडो में प्रकाशित हैं। नाटक, विचार साहित्य, ललित निबंध, यात्रा साहित्य, बाल साहित्य आदि अनेक गद्यविधाओं में उन्होंने रचनाएँ कीं। उन्होंने आलोचनात्मक रचनाएँ भी लिखीं। अपने वरिष्ट रचनाकार प्रेमचंद पर भी उन्होंने लेखन किया। उनके ‘प्रेमचंद का गोदान यदि मैं लिखता’ शीर्षक निबंध को बहुत सराहा गया। इस निबंध से उनकी और प्रेमचंद की रचनात्मक दृष्टि की भिन्नता का निदर्शन होता है। उनके साहित्य पर उन्हें साहित्य अकादमी सहित अनेक संस्थाओं के पुरस्कार प्राप्त हुए। इन पुरस्कारों से साहित्य की दुनिया में उनकी साहित्यिक स्वीकृति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
हालाँकि जैनेन्द्र कुमार ने विश्वविद्यालय की शिक्षा ग्रहण नहीं की, तब भी उनकी साहित्य सेवा को दृष्टि में रखते हुए और उनके साहित्यिक महत्व को देखते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय ने सन् 1973 में और आगरा विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की मानद उपाधि प्रदान की। हिंदी साहित्य सम्मलेन प्रयाग ने सन् 1973 में साहित्य वाचस्पति और गुरुकुल काँगड़ी विश्वविद्यालय ने विद्या वाचस्पति की उपाधि प्रदान की।
लेखक के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए साहित्य अकादमी की प्राथमिक सदस्यता तथा प्रथम राष्ट्रीय यूनेस्को सदस्यता भी प्रदान की गई। उन्होंने भारतीय लेखक परिषद् की अध्यक्षता करने के साथ दिल्ली प्रादेशिक हिंदी साहित्य सम्मलेन का सभापतित्व भी किया। भारत सरकार ने जैनेन्द्र को सन् 1971 में पद्म भूषण से सम्मानित किया। लेखक के रूप में जैनेन्द्र की स्वीकृति प्रारम्भ से ही हो गई थी। उनके प्रथम उपन्यास ‘परख’ के लिए हिंदुस्तानी अकादेमी ने पुरस्कृत किया। फिर 1952 में ‘प्रेम में भगवान’ अनुवाद के लिए भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इन्हें पुरस्कृत किया। सन् 1961 में इन्हें ‘मुक्ति बोध’ उपन्यास पर प्रतिष्ठित साहित्य
अकादेमी पुरस्कार प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार का शिखर सम्मान “भारत भारती” से इन्हें सुशोभित किया गया। इसके अलावा जैनेन्द्र को 1970 में ‘समय और हम’ पर सम्मानित किया गया। 1974 में इन्हे साहित्य अकादेमी फेलोशिप प्रदान की गई। इन पुरस्कारों और सम्मानों से जैनेन्द्र कुमार के लेखन के महत्व और उनकी लेखन प्रतिबद्धता को जाना जा सकता है।
33, ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक में ‘अरुण यह मधुमय देश हमारा । जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा ।’ गीत किस पात्र के द्वारा गाया जाता है ?
(A) अलका
(B) मालविका
(C) कार्नेलिया
(D) कल्याणी
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (C) कार्नेलिया
“अरुण यह मधुमय देश हमारा”, “कार्नेलिया” ने कहा है।
अरुण यह मधुमय देश हमारा / जयशंकर प्रसाद
अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा।।
सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर।
छिटका जीवन हरियाली पर, मंगल कुंकुम सारा।।
लघु सुरधनु से पंख पसारे, शीतल मलय समीर सहारे।
उड़ते खग जिस ओर मुँह किए, समझ नीड़ निज प्यारा।।
बरसाती आँखों के बादल, बनते जहाँ भरे करुणा जल।
लहरें टकरातीं अनन्त की, पाकर जहाँ किनारा।।
हेम कुम्भ ले उषा सवेरे, भरती ढुलकाती सुख मेरे।
मंदिर ऊँघते रहते जब, जगकर रजनी भर तारा।।
“चंद्रगुप्त, प्रसाद द्वारा रचित एक ऐतिहासिक नाटक है, जो 1931 ई. में लिखा गया। इसकी कथावस्तु सिकंदर के आक्रमण तथा मगध में नंद वंश के पराभव एवं चंद्रगुप्त मौर्य के राजा बनने की घटनाओं पर आधारित है। इस नाटक के गीत बहुत प्रसिद्ध हैं क्योंकि उनमें राष्ट्रीयता का स्वर मुखरित हुआ है। एक अलका का और दूसरा कार्नेलिया का।
अलका जनसाधारण को देश की रक्षा के लिए सन्नद्ध करती हुई गाती है –
“हिमाद्रि तुंग श्रृंग से प्रबुद्ध शुद्ध भारती।
स्वयं प्रभा समुज्जवला स्वतंत्रता पुकारती ।।
अमर्त्य वीर पुत्र हो दृढ़ प्रतिज्ञ सोच लो।
प्रशस्त पुण्य पंथ है, बढ़े चलो बढ़े चलो ।।”
कार्नेलिया सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस की पुत्री है। सिंधु के किनारे Greek शिविर के पास वृक्ष के नीचे बैठी हुई कहती है-
“अरुण यह मधुमय देश हमारा।
जहाँ पहुंँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा”
34.) निम्नलिखित में से कौन-सा नाटक कालिदास कृत ‘कुमार संभव’ पर आधारित है ?
(A) आठवाँ सर्ग
(B) अंधा युग
(C) लहरों के राजहंस
(D) शकुंतला की अंगूठी
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (A) आठवाँ सर्ग
” आठवी सर्ग” नाटक में कालिदास का वैवाहिक जीवन सुख, समृद्धि तथा पति-पत्नी के उन्मादक शृंगार से परिपूर्ण दिखाई देता है। साथ ही कालिदास के साहित्य-सृजन में उसकी प्रेरणा स्वीकार की गई है। सुरेन्द्र वर्मा ने ” आठवी सर्ग” नाटक में कालिदास के मित्रपरिवार में सौमित्र का और परिचारिकाओं में प्रियवंदा और अनसूया का उल्लेख किया है।
सुरेन्द्र वर्मा (जन्म : 7 सितम्बर १९४१) हिन्दी के प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित उपन्यास मुझे चाँद चाहिए के लिये उन्हें सन् 1996 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
सम्मान
केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, 1993
साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1996
व्यास सम्मान, 2016
रचनाएँ
उपन्यास
अंधेरे से परे (1980)
बम्बई भित्त लेख
मुझे चाँद चाहिए (1993)
दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता (2000)
काटना शमी का वृक्ष : पद्य पंखुरी की धार से (2010)
नाटक
सूर्य की अंतिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक (1972)
द्रौपदी (1972)
नायक खलनायक विदूषक (1972)
आठवाँ सर्ग (1976)
छोटे सैयद बड़े सैयद (1978)
क़ैद-ए-हयात (1983)
एक दूनी एक (1987)
शकुंतला की अंगूठी (1990)
रति का कंगन (2011)
तीन नाटक
कहानी संग्रह
प्यार की बातें तथा अन्य कहानियाँ
35. लेखक और उसके द्वारा लिखित यात्रा-वृत्तांत की दृष्टि से कौन-सा युग्म सुमेलित नहीं है ?
(A) अज्ञेय एक बूँद सहसा उछली
(B) दिनकर देश-विदेश
(C) रामवृक्ष बेनीपुरी सागर की लहरों पर
(D) अमृता प्रीतम इक्कीस पत्तियों का गुलाब
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (C) रामवृक्ष बेनीपुरी सागर की लहरों पर
अज्ञेय – अरे यायावर, रहेगा याद ? (1953 ई०), एक बूँद सहसा उछली (1960 ई०)
दिनकर – देश-विदेश यात्रा (1957 ई०), मेरी यात्राएँ (1970 ई०)
राम वृक्ष बेनीपुरी – पैरों में पंख बांधकर (1952 ई०), उड़ते चलो, उड़ते चलो (1954 ई०)
भगवत शरण उपाध्याय – कलकत्ता से पीकिंग (1954 ई०), सागर की लहरों पर (1959 ई०)
- फाउंडेशन कोर्स हिंदी की अध्ययन सामग्री
- संवैधानिक सुधार एवं आर्थिक समस्याएं
- रहीम (1556-1626)
- Sant-Raidas-रैदास (1388-1518)
- CSIR UGC NET JRF EXAM RELATED AUTHENTIC INFORMATION AND LINKS ARE HERE