MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B Q.101-102-103-104-105

101. “सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि । ते नर पाँवर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि ।।”

‘रामचरितमानस’ में यह कथन किसने कहा था ?

(A) राम

(B) सुग्रीव

(C) लक्ष्मण

(D) सीता

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उत्तर – (A) राम

सरनागत कहुँ जे तजहिं निज अनहित अनुमानि। ते नर पावँर पापमय तिन्हहि बिलोकत हानि॥43॥ भावार्थ:-(श्री रामजी फिर बोले-) जो मनुष्य अपने अहित का अनुमान करके शरण में आए हुए का त्याग कर देते हैं, वे पामर (क्षुद्र) हैं, पापमय हैं, उन्हें देखने में भी हानि है (पाप लगता है)॥43॥

102. ‘रामचरितमानस’ के ‘अरण्यकांड’ में नवधा भक्ति पर उपदेश करते हुए पहली भक्ति बताई है

(A) कथा प्रसंग में प्रेम

(B) मंत्र जाप

(C) गुरु सेवा

(D) संतों का सत्संग

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उत्तर –   (D) संतों का सत्संग

रामचरितमानस (अरण्य काण्ड ) में नवधा भक्ति

भगवान् श्रीराम जब भक्तिमती शबरीजी के आश्रम में आते हैं तो भावमयी शबरीजी उनका स्वागत करती हैं, उनके श्रीचरणों को पखारती हैं, उन्हें आसन पर बैठाती हैं। इसके पश्चात् भगवान राम शबरीजी के समक्ष नवधा भक्ति का स्वरूप प्रकट करते हुए उनसे कहते हैं कि-

103. “अटपटि बात तिहारी ऊधो सुनै सो ऐसी को है ? हम अहीरि अबला सठ, मधुकर ! तिन्हें जोग कैसे सौहै ? बूचिहि खुभी आँधरी काजर नकटी पहिरै बेसरि ।” सूरदास के इस पद में प्रयुक्त ‘खुभी’ शब्द का अर्थ है

(A) मिट्टी का बरतन

(B) चित्त की वृत्ति

(C) कान में पहनने का आभूषण

(D) नाक में पहनने का आभूषण

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उत्तर – C) कान में पहनने का आभूषण

नवधा भकति कहउँ तोहि पाहीं।

सावधान सुनु धरु मन माहीं।।

प्रथम भगति संतन्ह कर संगा।

दूसरि रति मम कथा प्रसंगा।।

गुर पद पकंज सेवा तीसरि भगति अमान।

चौथि भगति मम गुन गन करइ कपट तजि गान। ( चौपाई - दोहा 35)

मन्त्र जाप मम दृढ़ बिस्वासा।

पंचम भजन सो बेद प्रकासा।।

छठ दम सील बिरति बहु करमा।

निरत निरंतर सज्जन धरमा।।

सातवँ सम मोहि मय जग देखा।

मोतें संत अधिक करि लेखा।।

आठवँ जथालाभ संतोषा।

सपनेहुँ नहिं देखइ परदोषा।।

नवम सरल सब सन छलहीना।

मम भरोस हियँ हरष न दीना।। (1-5 चौपाई दोहा 36)

104. “बिरह सैचान भवै तन चाँड़ा ।  जीयत खाइ मुएँ नहिं छाँड़ा।” यहाँ ‘सँचान’ शब्द से अभिप्राय है

(A) सर्प

(B) बाज

(C) अग्नि

(D) मिट्टी

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उत्तर – (B) बाज

105. “जैसे सोनहा काँच मंदिर मैं।” पंक्ति में कबीर द्वारा X प्रयुक्त ‘सोनहा’ शब्द का अर्थ है

(A) तोता

(B) मन

(C) खरगोश

(D) कुत्ता

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उत्तर – (D) कुत्ता