56. “विस्तृत पथ है मेरे आगे
उस पर ही मुझको चलना है।
चिर शोषित असहायों के संग,
अत्याचारों को दलना है ।।”
यह पंक्तियाँ किस कवि की हैं ?
(A) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
(B) भवानी प्रसाद मिश्र
(C) मुक्तिबोध
(D) शरद जोशी
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (A) शिवमंगल सिंह ‘सुमन’
Madhya Pradesh Sampurna Adhyayan (With Latest Facts and Data)
Printed page No 204 Google Books.
Madhya Pradesh ke prachin madhyakaleen aur adhunik sahityakaro ka accha varnan is granth me milta hai.
57. रमेशचंद्र शाह को ‘पद्मश्री’ से कब सम्मानित किया * गया ?
(A) 2001
(B) 2002
(C) 2003
(D) 2004
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (D) 2004
रमेश चंद्र शाह एक भारतीय कवि, उपन्यासकार, आलोचक [1] [2] और साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता उपन्यास, विनायक के लेखक हैं । उन्हें 2004 में भारत सरकार द्वारा चौथे सर्वोच्च भारतीय नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था
58. तुलसी अकादमी के द्वारा किस प्रकार के विशेष कार्य किए जाते हैं ?
(A) साहित्यकारों का सम्मान
(B) पांडुलिपियों का संरक्षण
(C) पत्रकारों का सम्मान
(D) संतों-महात्माओं का सम्मान
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (B) पांडुलिपियों का संरक्षण
59. श्री कृष्ण साल ने कितने महाकाव्य लिखे हैं ?
(A) 10
(B) 12
(C) 14
(D) 15
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (D) 15
जीवन के उत्तरार्ध में सरल जी आध्यात्मिक चिन्तन से प्रभावित होकर तीन महाकाव्य लिखे— तुलसी मानस, सरल रामायण एवं सीतायन। प्रो॰ सरल ने व्यक्तिगत प्रयत्नों से 15 महाकाव्यों सहित 124 ग्रन्थ लिखे उनका प्रकाशन कराया और स्वयं अपनी पुस्तकों की ५ लाख प्रतियाँ बेच लीं। क्रान्ति कथाओं का शोधपूर्ण लेखन करने के सन्दर्भ में स्वयं के खर्च पर १० देशों की यात्रा की। पुस्तकों के लिखने और उन्हें प्रकाशित कराने में सरल जी की अचल सम्पत्ति से लेकर पत्नी के आभूषण तक बिक गए। पाँच बार सरल जी को हृदयाघात हुआ पर उनकी कलम जीवन की अन्तिम साँस तक नहीं रुकी। (मृत्यु से ठीक एक घण्टे पूर्व लिखा उनका यह मुक्तक)—
यादें नक्श हो जायें किसी पत्थर पर तो
वे पत्थर दिल को पिघला सकती हैं।
यादें होतीं होते उनके पैर नहीं
पर पीढ़ियों तलक वे जा सकती हैं।
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60. ‘ब्रह्म राक्षस’ किस प्रकार की रचना है ?
(A) खण्डकाव्य
(B) महाकाव्य
(C) लंबी कविता
(D) मुक्तक काव्य
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उत्तर – (C) लंबी कविता
लम्बी कविता का सम्बन्ध निश्चय ही केवल आकार से न होकर प्रकार से भी है। इसे संयोग ही कहेंगे कि लेखक द्वारा चुनी गई चारों कविताएँ चार तरह की हैं। ‘सरोज-स्मृति’ के चित्रों को यदि स्मृति का सूत्र गुम्फित करता है, तो ‘राम की शक्ति-पूजा’ कथा के सहारे आगे बढ़ती है। ‘ब्रह्मराक्षस’ और ‘अँधेरे में’ दोनों ही फ़ैंटास्टिक कविताएँ हैं, लेकिन एक की फ़ैंटेसी जहाँ एक अखंड रूपक के रूप में है, वहीं दूसरे की फ़ैंटेसी एक पूरी चित्रशाला है। नवल ने बड़ी सूक्ष्मता से चारों लम्बी कविताओं के शिल्पगत वैशिष्ट्य को उद्घाटित करते हुए उनकी उस अन्तर्वस्तु पर प्रकाश डाला है, जो कि उससे अभिन्न है। Link Source
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