MPPSC-Asst.-Professor-प्रथम प्रश्नपत्र-परीक्षातिथि-09/06/2024-SET-B-Q.N.01-05


1. “सेज हैं सुराही हैं, सुरा हैं और प्याला हैं।” रीतिकाल का चित्रण करती उपरोक्त पंक्ति किस कवि की है ?

(A) बिहारी

(B) मतिराम

(C) पद्माकर्

(D) भिखारीदास

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (C) पद्माकर

गुलगुली गिल मैं ग़लीचा है गुनीजन हैं

(पद्माकर)

गुलगुली गिल मैं ग़लीचा है गुनीजन हैं, 

चाँदनी हैं चिक हैं चिराग़न की माला हैं। 

कहै ‘पद्माकर’ त्यों गजक ग़िज़ा हैं सजी, 

सेज हैं सुराही हैं सुरा हैं और प्याला हैं॥ 

सिसिर के पाला को न व्यापत कसाला तिन्हैं, 

जिन के अधीन एते उदित मसाला हैं। 

तान तुक ताला हैं विनोद के रसाला हैं, 

सुबाला हैं दुसाला हैं बिसाला चित्रसाला हैं॥

स्रोत :पुस्तक : पद्मावत पंचामृत (पृष्ठ 161) संपादक : विश्वनाथप्रसाद मिश्र रचनाकार : पद्माकर प्रकाशन : श्री रामरत्न पुस्तक भवन, काशी

2. रीतिकाल को मिश्रबंधुओं ने ‘अलंकृत काल’ की संज्ञा दी, यहाँ ‘अलंकृत’ अंग्रेजी के किस शब्द के अर्थ में प्रयोग हुआ है ?

(A) आर्नामेंट

(B) आनेंट

(C) आर्नामेंटल

(D) ब्यूटी

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (C) आर्नामेंटल

ADORN, DECORATE, ORNAMENT, EMBELLISH, BEAUTIFY, DECK, GARNISH mean to enhance the appearance of something by adding something unessential.

In English literature, forms of ornamental prose can be found as an ingredient in D. H. Lawrence’s novels The Rainbow (1915) and Women in Love (1920). A high-water mark for the poetization of narrative prose is Virginia Woolf’s The Waves (1931).

Source : Poetic or Ornamental Prose.

3.) रीतिकालीन रचना ‘करुणाभरण’ की विधा क्या है ?

(A) जीवनी

(B) नाटक

(C) आत्मकथा

(D) कहानी

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (B) नाटक

करुणाभरण नाटक ब्रजभाषा का अत्यंत महत्वपूर्ण काव्यनाटक है। इसके रचयिता लछिराम हैं। कृष्णजीवन से संबंधित यह नाटक दोहा, चौपाई छंदों में लिखा गया है और विभिन्न अंगों में विभाजित है। अंगों का नामकरण राधा अवस्था, राधा मिलन आदि शीर्षकों में किया गया है। इसमें कृष्ण का, सूर्यग्रहण के अवसर पर, रुक्मिणी, सत्यभामा आदि के साथ कुरुक्षेत्र आना और वहीं नंद, यशोदा, राधा, गोपियों तथा गोपसमूह से उनका मिलन वर्णित है। करुणभरण का कथानक अत्यंत प्रौढ़ एवं नाट्यधर्मी है। पात्रों को मनोवैज्ञानिक भूमि पर प्रस्तुत किया गया है और उनका अंतर्द्वंद भी उभरकर सामने आता है। नाटक में मानसिक संघर्ष की अधिकता है। सत्यभामा की ईर्ष्या को केंद्रबिदु बनाकर कथानक का ताना बाना बुना गया है। भाषा सीधी सादी, सरस तथा सहज प्रवाहपूर्ण है। संवाद चुटीले हैं तथा वर्णन भी उबाऊ नहीं हैं।

Source : https://hi.wikipedia.org/wiki/करुणाभरण_नाटक

4. ‘सेनापति’ के गुरु का क्या नाम था ?

(A) नागेश भट्ट

(B) गंगाधर दीक्षित

(C) नाभादास

(D) हीरामणि दीक्षित

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (D) हीरामणि दीक्षित

सेनापति ब्रजभाषा काव्य के एक अत्यन्त शक्तिमान कवि माने जाते हैं। इनका समय रीति युग का प्रारंभिक काल है। उनका परिचय देने वाला स्रोत केवल उनके द्वारा रचित और एकमात्र उपलब्ध ग्रंथ ‘कवित्त रत्नाकर’ है।

इसके आधार पर इनके पितामह का नाम परशुराम दीक्षित, पिता का नाम गंगाधर दीक्षित और गुरु का नाम हीरामणि दीक्षित था। ‘गंगातीर बसति अनूप जिनि पाई है’ से इनका अनूपशहर निवासी होना कुछ लोग स्वीकार करते हैं; परंतु कुछ लोग अनूप का अर्थ अनुपम बस्ती लगाते हैं और तर्क यह देते हैं कि यह नगर राजा अनूपसिंह बडगूजर से संबंध रखता है जिन्होंने एक चीते को मारकर जहाँगीर की रक्षा की थी और उससे यह स्थान पुरस्कार स्वरूप प्राप्त किया था और इस प्रकार उसने अनूपशहर बसाया। अनूप सिंह की पाँच पीढ़ी बाद उनकी संपत्ति उनके वंशजों में विभक्त हुई और किन्हीं तारा सिंह को अनूप शहर बँटवारे में मिला। ऐसी दशा में सेनापति के पिता को अनूपशहर कैसे मिल सकता था। परंतु, यह तर्क विषय संबद्ध नहीं है। अनूप बस्ती पाने का तात्पर्य उस बस्ती के अधिकार से नहीं, बल्कि अपने निवास के लिए सुंदर भूमि प्राप्त करने से है। ऐसी दशा में अनूपशहर से ऐसा तात्पर्य लेने में कोई असंभवता नहीं है।

Source : https://hi.wikipedia.org/wiki/सेनापति_(कवि)#:~:text=इसके%20आधार%20पर%20इनके%20पितामह,का%20नाम%20हीरामणि%20दीक्षित%20था।

5. निम्नलिखित में से कौन चिंतामणि के भाई नहीं थे ?

(A) कृपाशंकर

(B) भूषण

(C) मतिराम

(D) जटाशंकर

MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B

उत्तर – (A) कृपाशंकर

ये यमुना के समीपवर्ती गाँव टिकमापुर या भूषण के अनुसार त्रिविक्रमपुर (जिला कानपुर) के निवासी काश्यप गोत्रीय कान्यकुब्ज त्रिपाठी ब्राह्मण थे। इनका जन्मकाल संo १६६६ विo और रचनाकाल संo १७०० विo माना जाता है। ये रतिनाथ अथवा रत्नाकर त्रिपाठी के पुत्र (भूषण के ‘शिवभूषण’ की विभिन्न हस्तलिखित प्रतियों में इनके पिता के उक्त दो नामों का उल्लेख मिलता है) और कविवर भूषण, मतिराम तथा जटाशंकर (नीलकंठ) के ज्येष्ठ भ्राता थे। चिंतामणि कभी-कभी अपनी रचनाओं में अपना नाम ‘मनिलाल’ और ‘लालमनि’ भी रखते थे। इनका संबंध शाहजहाँ, चित्रकूटाधिपति रुद्रशाह सोलंकी, जैनुद्दीन अहमद और नागपुर के भोंसला राजा मकरदशाह के राजदरबारों से था, जहाँ से इन्हें पर्याप्त सम्मान और प्रतिष्ठा मिली। नागपुर में उस समय कोई मकरदशाह संज्ञक भोंसला राजा नहीं था, इसलिये मकरंदशाह नामधारी इस कवि के आश्रयदाता संभवत: शिवाजी के पितामह ही थे, जो ‘मालो जी’ नाम से प्रख्यात हैं और भूषण ने जिनका स्मरण ‘माल मकरद’ कहकर किया है।

चिंतमणि की अब तक कुल छ: कृतियों का पता लगा है –

(१) काव्यविवेक, (२) कविकुलकल्पतरु, (३) काव्यप्रकाश, (४) छंदविचारपिंगल, (५) रामायण और (६) रस विलास (7) श्रृंगार मंजरी (8) कृष्ण चरित

Source Link : https://hi.wikipedia.org/wiki/चिन्तामणि_त्रिपाठी(रीतिग्रंथकार_कवि)