कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 203 अर्थ सहित

kabir ke pad arth sahit. पद: 203 ऐ कबीर, तै उतरि रहु, संबल परो न साथ। संबल घटे न पगु थके, जीव बिराने हाथ।।1।। कबीरा का घर सिखरपर, जहाँ सिलहली मैल। पाँव न टिकै पिपीलिका, खलकन लादे बैल।।2।। शब्दार्थ :- सिलहली = पिच्छिल, फिसलने लायक। गैल = रास्ता । खलकन = दुनिया |  भावार्थ :- … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 204-205 अर्थ सहित

kabir ke pad arth sahit. पद: 204 काल खड़ा सिर उपरे, जागु बिराने मीत जाका घर है गैलमे, सो कस सोय निचीत।।1।। भावार्थ  :  मोह की निद्रा में सोए हुए लोगों को वे कहते हैं कि हे मित्र! सर पर काल खड़ा है किसी भी समय मृत्यु आ सकती है इसलिए अब परमार्थ को प्राप्त … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 206 अर्थ सहित

kabir ke pad arth sahit. पद: 206 सब दुनी सयानी मैं बौरा, हम बिगरे बिगरौ जनि औरा। मैं नहिं बौरा राम कियो बौरा, सतगुरु जार गयौ भ्रम मोरा। बिद्या न पढूँ वाद नहिं जाँनूं, हरि गुण कथत-सुनत बौ बौराँनुं।। काम-क्रोध दोऊ भये बिकारा, आपहि आप जरै संसारा।। मिठो कहा जाहि जो भावे, दास कबीर रांम … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 207 अर्थ सहित

कबीर पद: 207 नैहरमें दाग लगाय आई चुनरी। ऊ रँगगरेजवा कै मरम न जानै, नहिं मिलै धोबिया कौन करै उजरी। तनकै कूंडी ज्ञान का सौदन, साबुन महँगा बिचाय या नगरी। पहिरि-ओढ़ीके चली ससुरारिया, गौवाँ के लोग कहै बड़ी फुहरी। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, बिन सतगुरु कबहूँ नहिं सुधरी।।  भावार्थ :- नैहरमें दाग लगाय आई … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 208 अर्थ सहित

पद: 208 सील-संतोखते सब्द जा मुखबसै, संतजन जौहरी साँच मानी। बदन बिकसित रहै ख्याल आनंदमे, अधरमें मधुर मुस्कात बानी। साँच गेलै नहीं झूठ बोलै नैन, सूरतमें सुमति सोई श्रेष्ठ ज्ञानी। कहत हौ ज्ञान पुक्कारि कै सबनसो, देत उपदेस दिल दर्द ज्ञानी। ज्ञान को पूर है रहनिको सूर है, दया की भक्ति दिलमाही ठानी। औरते छोर … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 209 अर्थ सहित

पद: 209 अपनपौ आप ही बिसरो। जैसे सोनहा काँच मंदिरमें भरमत भूंकि मरो। जो केहरि वपु निरखि कूप-जल प्रतिमा देखी परो। ऐसे हि मदगज फाटिक शिलापर दसननि आनि अरो।  मरकर मुठी स्वाद ना बिसरै घर-घर नटत फिरो। कह कबीर नलनीकै सुनवा तोहि कौन पकरो।। शब्दार्थ :-  सोनहा = कुत्ता । काँच के मन्दिर में कुत्ता … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 210 अर्थ सहित

पद संख्या 210 दरस दिवाना बावरा अलमस्त फकीरा । एक अकेला ह्वै रहा अस मत का धीरा || हिरदे में महबूब है हर दम का प्याला । पोयेगा कोई जौहरी गुरु मुख मतवाला || पियत पियाला प्रेम का सुधरे सब साथी साथी। आठ पहर झूमत रहै जस मैगल हाथी || बंधन काटे मोह के बैठा … Read more

धूमिल (DHUMIL)

(From IGNOU) प्रस्तावना धूमिल नयी कविता के बाद की हिंदी कविता के उस दौर के कवि हैं जब हिंदी कविता बिब, प्रतीकों के जाल में उलझकर अत्यधिक कलात्मक, मूर्त और व्यक्तिवादी होती जा रही थी और जीवन के ठोस, जीवंत यथार्थ से उसका सम्पर्क टूटता जा रहा था। दूसरी ओर देश आजादी के बाद एक … Read more

केदारनाथ अग्रवाल (kedarnath agrawal)

(Source : Ignou Study Material ) जन्म :1 अप्रैल 1911 | बाँदा, उत्तर प्रदेश मूल नाम : केदारनाथ अग्रवाल निधन :22 जून 2000 | बाँदा, उत्तर प्रदेश प्रस्तावना केदारजी का जीवन एक मध्यवर्गीय जीवन रहा है। पेशे से वे वकील रहे हैं किन्तु किसानों, मजदूरों से उनका संबंध बहुत करीबी रहा है। उनका सारा कृतित्व … Read more

टोबा टेकसिंह

सआदत हसन मंटो    बंटवारे के दो-तीन साल बाद पाकिस्तान और हिंदुस्तान की हुकूमतों को ख्याल आया कि अख्लाकी कैदियों की तरह पागलों का भी तबादला होना चाहिए, यानी जो मुसलमान पागल हिन्दुस्तान के पागलखानों में हैं उन्हें पाकिस्तान पहुंचा दिया जाय और जो हिन्दू और सिख पाकिस्तान के पागलखानों में है उन्हें हिन्दुस्तान के हवाले … Read more