कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद द्विवेदी) के पद संख्या 203 अर्थ सहित
kabir ke pad arth sahit. पद: 203 ऐ कबीर, तै उतरि रहु, संबल परो न साथ। संबल घटे न पगु थके, जीव बिराने हाथ।।1।। कबीरा का घर सिखरपर, जहाँ सिलहली मैल। पाँव न टिकै पिपीलिका, खलकन लादे बैल।।2।। शब्दार्थ :- सिलहली = पिच्छिल, फिसलने लायक। गैल = रास्ता । खलकन = दुनिया | भावार्थ :- … Read more