वृन्दावनलाल वर्मा-विराटा की प‌द्मिनी pdf download

वृन्दावनलाल वर्मा की रचना “विराटा की पद्मिनी” एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उपन्यास है। वृन्दावनलाल वर्मा हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध लेखक हैं, जिन्होंने ऐतिहासिक और पौराणिक विषयों पर अनेक कृतियों की रचना की है। “विराटा की पद्मिनी” में उन्होंने महाभारत के एक प्रकरण को लेकर कथा की रचना की है। यह उपन्यास महाराज विराट की पुत्री उत्तरा … Read more

लिटरेरिया बायोग्राफिया(Literaria Biographia)

“लिटरेरिया बायोग्राफिया” (Literaria Biographia) अंग्रेजी कवि और समीक्षक सैमुअल टेलर कोलरिज (Samuel Taylor Coleridge) की एक प्रमुख साहित्यिक कृति है। यह पुस्तक 1817 में प्रकाशित हुई थी और इसमें कोलरिज के साहित्यिक सिद्धांतों, आलोचनात्मक विचारों और उनकी कविता की समझ का विस्तृत विश्लेषण है। प्रमुख बिंदु: महत्त्व: इस प्रकार, “लिटरेरिया बायोग्राफिया” सैमुअल टेलर कोलरिज की … Read more

संस्कृति के चार अध्याय pdf download

रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित ‘संस्कृति के चार अध्याय’ भारतीय संस्कृति के विस्तृत और गहन विश्लेषण का उत्कृष्ट उदाहरण है। इस पुस्तक को दिनकर जी ने 1956 में लिखा था और इसके लिए उन्हें 1959 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। यह पुस्तक न केवल उनके साहित्यिक कौशल का प्रमाण है, बल्कि … Read more

अकाल और उसके बाद / नागार्जुन

कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदासकई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पासकई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्तकई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बादधुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बादचमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के … Read more

सतपुड़ा के जंगल

सतपुड़ा के जंगलभवानीप्रसाद मिश्र सतपुड़ा के घने जंगल नींद में डूबे हुए-से, ऊँघते अनमने जंगल। झाड़ ऊँचे और नीचे चुप खड़े हैं आँख भींचे; घास चुप है, काश चुप है मूक शाल, पलाश चुप है; बन सके तो धँसो इनमें, धँस न पाती हवा जिनमें, सतपुड़ा के घने जंगल नींद में डूबे हुए-से ऊँघते अनमने … Read more

गजानन माधव मुक्तिबोध-भूल-गलती कविता

भूल-गलती आज बैठी है जिरहबख्तर पहनकर तख्त पर दिल के; चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक, आँखें चिलकती हैं नुकीले तेज पत्थर सी, खड़ी हैं सिर झुकाए           सब कतारें                    बेजुबाँ बेबस सलाम में, अनगिनत खंभों व मेहराबों-थमे                            दरबारे आम में। सामने बेचैन घावों की अजब तिरछी लकीरों से कटा चेहरा कि जिस पर काँप … Read more

भारतेंदु हरिश्चंद्र-भारतदुर्दशा नाटक

 प्रहसनभारतदुर्दशा नाट्यरासक वा लास्य रूपक , संवत 1933 ।। मंगलाचरण ।। जय सतजुग-थापन-करन, नासन म्लेच्छ-आचार।कठिन धार तरवार कर, कृष्ण कल्कि अवतार ।। पहिला अंक स्थान – बीथी(एक योगी गाता है)(लावनी)रोअहू सब मिलिकै आवहु भारत भाई।हा हा! भारतदुर्दशा न देखी जाई ।। धु्रव ।।सबके पहिले जेहि ईश्वर धन बल दीनो।सबके पहिले जेहि सभ्य विधाता कीनो ।।सबके … Read more

सरोज-स्मृति

सरोज-स्मृति(सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)ऊनविंश पर जो प्रथम चरण तेरा वह जीवन-सिंधु-तरण; तनय, ली कर दृक्-पात तरुण जनक से जन्म की विदा अरुण! गीते मेरी, तज रूप-नाम वर लिया अमर शाश्वत विराम पूरे कर शुचितर सपर्याय जीवन के अष्टादशाध्याय, चढ़ मृत्यु-तरणि पर तूर्ण-चरण कह—“पितः, पूर्ण आलोक वरण करती हूँ मैं, यह नहीं मरण, ‘सरोज’ का ज्योतिःशरण—तरण— अशब्द … Read more

Asadhya Veena-असाध्य वीणा

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