कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 207 अर्थ सहित

पद: 207 नैहरमें दाग लगाय आई चुनरी। ऊ रँगगरेजवा कै मरम न जानै, नहिं मिलै धोबिया कौन करै उजरी। तनकै कूंडी ज्ञान का सौदन, साबुन महँगा बिचाय या नगरी। पहिरि-ओढ़ीके चली ससुरारिया, गौवाँ के लोग कहै बड़ी फुहरी। कहैं कबीर सुनो भाई साधो, बिन सतगुरु कबहूँ नहिं सुधरी।।  भावार्थ :- नैहरमें दाग लगाय आई चुनरी। … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 208 अर्थ सहित

पद: 208 सील-संतोखते सब्द जा मुखबसै, संतजन जौहरी साँच मानी। बदन बिकसित रहै ख्याल आनंदमे, अधरमें मधुर मुस्कात बानी। साँच गेलै नहीं झूठ बोलै नैन, सूरतमें सुमति सोई श्रेष्ठ ज्ञानी। कहत हौ ज्ञान पुक्कारि कै सबनसो, देत उपदेस दिल दर्द ज्ञानी। ज्ञान को पूर है रहनिको सूर है, दया की भक्ति दिलमाही ठानी। औरते छोर … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 209 अर्थ सहित

पद: 209 अपनपौ आप ही बिसरो। जैसे सोनहा काँच मंदिरमें भरमत भूंकि मरो। जो केहरि वपु निरखि कूप-जल प्रतिमा देखी परो। ऐसे हि मदगज फाटिक शिलापर दसननि आनि अरो।  मरकर मुठी स्वाद ना बिसरै घर-घर नटत फिरो। कह कबीर नलनीकै सुनवा तोहि कौन पकरो।। शब्दार्थ :-  सोनहा = कुत्ता । काँच के मन्दिर में कुत्ता … Read more

कबीर ग्रंथावली (संपादक- हजारी प्रसाद  द्विवेदी) के पद संख्या 210 अर्थ सहित

पद संख्या 210 दरस दिवाना बावरा अलमस्त फकीरा । एक अकेला ह्वै रहा अस मत का धीरा || हिरदे में महबूब है हर दम का प्याला । पोयेगा कोई जौहरी गुरु मुख मतवाला || पियत पियाला प्रेम का सुधरे सब साथी साथी। आठ पहर झूमत रहै जस मैगल हाथी || बंधन काटे मोह के बैठा … Read more