Hazari Prasad Dwivedi Granthavali [ Prat – 01-11 ]

by Hazari Prasad Kuch Ansh .. आचार्यजो की इन्ही अद्वितीय प्रवृत्तियों को स्थायी रूप देने के लिए इस ग्रन्थावली की योजना बनायी गयी है। विपय और विधा दोनों दृष्टि- कोणों को साथ रयकर विभिन्न खण्डो का विभाजन किया गया है। कुल मिलाकर के ग्यारह khand हैं- 3 तीसरा खण्ड : हिन्दी साहित्य का इतिहास me – … Read more

श्रृंखला की कड़ियाँ  pdf download

अपनी बातविचार के क्षणों में मुझे गद्य लिखना ही अच्छा लगता रहा है,, क्योंकि उसमें अपनी अनभूति ही नहीं बाह्य परिस्थितियों के विश्लेषण के’ लिए भी पर्याप्त अवकाश रहता है। मेरा सबसे पहला सामाजिक निबन्ध तब लिखा गया था जब मैं सातवीं कक्षा की विद्यार्थिनी थी अतः जीवन की वास्तविकता से मेरा परिचय कुछ नवीन … Read more

Ramayana (Ramcharita Manas) by tulsidasji PDF DOWNLOAD

गोस्वामी तुलसीदास भक्तिकालीन रामभक्ति शाखा के महत्त्वपूर्ण कवि हैं। बिल्कुल सही कहा। गोस्वामी तुलसीदास भारतीय साहित्य के वे महान कवि हैं, जिन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से रामभक्ति की अद्वितीय और गहरी भावना को साझा किया। उन्होंने अपनी कृति में राम के लीलाओं, भक्ति के रस, और मानवता के मूल्यों को अद्वितीय रूप से व्यक्त किया। … Read more

परीक्षागुरु pdf download

परीक्षागुरुद्वारा लाला श्रीनिवासदास प्रकरण १ → परीक्षागुरुद्वारा लाला श्रीनिवासदासप्रकरण १→ परीक्षागुरु pdf download

कविता क्या है -आचार्य रामचन्द्र शुक्ल

मनुष्य अपने भावों, विचारों और व्यापारों को लिए दिए दूसरों के भावों, विचारों और व्यापारों के साथ कहीं मिलाता और कहीं लड़ाता हुआ अंत तक चला चलता है और इसी को जीना कहता है। जिस अनंत-रूपात्मक क्षेत्र में यह व्यवसाय चलता रहता है उसका नाम है जगत्। जब तक कोई अपनी पृथक् सत्ता की भावना … Read more

शेखर जोशी-कोसी का घटवार-कहानी

अभी खप्पर में एक-चौथाई से भी अधिक गेहूं शेष था। खप्पर में हाथ डालकर उसने व्यर्थ ही उलटा-पलटा और चक्की के पाटों के वृत्त में फैले हुए आटे को झाडक़र एक ढेर बना दिया। बाहर आते-आते उसने फिर एक बार और खप्पर में झांककर देखा, जैसे यह जानने के लिए कि इतनी देर में कितनी … Read more

अलका  उपन्यास(1933)-निराला pdf download

इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है। पृष्णभूमि में स्वाधीनता आंदोलन का वह चरण है जब पहले विश्वयुद्ध के बाद गांधीजी ने आंदोलन की बागडोर अपने हाथों में ली थी। यही समय था जब शिक्षित और संपन्न समाज के अनेक लोग आंदोलन … Read more