Bharat mein ganje ka mahatva- Part-01-भारत में गांजे का महत्व-01

(Featured Image Source : TIMESNOWHINDI.COM)

भारत में गांजा का महत्व | Cannabis in India | Priya Mishra | Medicinal Use Of Bhang In Ayurveda

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Yah hempatiya Priya Mishra ji ke is video ki transcript par adharit aalekh hai. 

(Part 01)

आरंभ :

गांजा एक ऐसी चीज थी जो आयुर्वेद में बहुत ही ज्यादा मायने रखती थी। ट्यूबरक्लोसिस का इलाज, टीबी का इलाज है आयुर्वेद के अंदर, बहुत लिखा हुआ है कि कैसे करना चाहिए। उसका मेन component  गाँजा है। नोजिया या लेबर, सुरोयसिस, लेप्रोसी तक के बारे में आपके अथर्ववेद  में लिखा गया है और लेप्रोसी का एक ही इलाज है वो है गाँजा।

विजया नामकरण :

 जब हमारे ऋषि जिन्होंने लिखा था कि जिन्होंने आयुर्वेद लिखा था उनको लगा कि सारे जितने भी हमारे प्लांट हैं। पांच हजार प्लांट, उन सबमें राजा हो तो यही हो। तो उसका नाम हम विजया रखें तो हम कौन होते हैं उसको बैन करने वाले।

प्रिया मिश्रा का परिचय :

नमस्ते! आल ओफ यू, मेरा नाम प्रिया मिश्रा है। मैं एक रिसर्चर हूं शोधकर्ता हूं। मैं गाँजा शोधकर्ता हूँ। 

विजया द कोहिनूर ऑफ हर्ब्स :

आप ये इमेज देख रहे हैं। विजया कोहिनूर ऑफ हर्ब।  ये इमेज है, शिव, शक्ति, कार्तिकेय और गणपति की । यह एक ऐसी इमेज नहीं है जो आजकल के ग्राफिक डिजाइनर ने बनाई हो। यह एक ऐसी पिक्चर है जो ज्यादातर मंदिरों में भी जहां पर आपको ज्योतिर्लिंग मिलेंगे, जो बारह ज्योतिर्लिंग हैं हमारे, वहां पर भी आपको यही सेम पिक्चर मिलेगी। क्योंकि हमारे शिव पुराण में भी बहुत कुछ लिखा है। गाँजे यानी भांग के बारे में। 

कैनबस इन इंडिया :

तो हम आज का जो सैशन है मेनली कैनबस इन इंडिया के बारे में बात करेंगे, कि कैनबिस इन इंडिया कितना इम्पोर्टेंट था। गांजा एक ऐसी चीज है , जो ड्र्ग तो सब कोई जानते होंगे। आप सबने सुना होगा कि इससे काफी सारी इसको सिन्थेटिक ड्रग्स या फिर नशे के लिए जैसे बोला जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को पता है कि गांजा एक ऐसी चीज थी, जो आयुर्वेद में बहुत ही ज्यादा मायने रखती थी। जैसे कि एलोपैथी में एथनॉल बेस होता है, उसी तरह आयुर्वेद में गांजे को यानी कैनबस को एक बेस बनाया गया था। 

ब्रिटिश हेम्प कमीशन :

1895 में  एक ब्रिटिश हेम्प कमीशन रिपोर्ट बनाई गई थी। तीन हजार प्लस पेजेस कि वो रिपोर्ट, ये वो शुरुआत थी। जब हमारे गांजा, आयुर्वेद और यहां तक कि कल्चर पे ठप्पा लगा दें, ताकि बंद कर दें उसे। वहां से उन्होंने वो रिपोर्ट चालू की। 

Now, when You are talking about the hamp commission report i want to you guys to know this is the  same year and you can Google it also you can Google, when you have time. When did Britishers launch their allopathy medicine we can called it angreji dava or alcohol.

 अब गांजे को तो गरीब इंसान का नशा बोला जाता है, तो आपकी (अंग्रेजी)दवाएं कैसे खरीदेंगे, इतनी महंगी महंगी, आपकी दारू कैसे खरीदी जाएगी। तो चलो एक ऐसी

मुहिम छेड़ते हैं जिससे(हमारा बिज़नस बढ़े और ये बर्बाद हो जायें।)एक ऐसा कंपोनेंट, हमारे शिवपुराण में बोला गया है, शिवजी का प्रसाद है। तो मैं आज कहना चाहूंगी, क्योंकि मैं खुद एक, आई डोंट बिलीव इन  दीस थिंग्स। मैं  ब्राह्मण हूँ। जहाँ हमारे वहां पर हमारे जो पिताजी हैं जो दादा जी हैं वो सब पुजारी हुआ करते थे। दादा जी और उनके पूर्वज, हमें पता है कि Jab शिवरात्रि हो, आपको भांग का पत्ता चढ़ाना बहुत जरूरी है। पूरे साल आप उसी इंसान को, उसी प्लांट को गालियां देते रहे। लेकिन शिवरात्रि वाले दिन जाकर उनके ऊपर शिवलिंग पर चढ़ाएं बिना पूजा आपकी कंप्लीट(पूरी) नहीं होगी।

इसकी शुरुआत हुई थी अथर्ववेद में, आई गोन्ना रीड आउट अ पैराग्राफ इन इंग्लिश,  

Text from image :

AYURVEDA

• The earliest written reference to cannabis in India may occur in the Atharvaveda, dating to about 1500 BCE: “We tell of the five kingdoms of herbs headed by Soma; may it, and kusa grass, and bhanga and barley, and the herb saha, release us from anxiety.”

In the Sushruta Samhita (meaning the verses of Sushruta), perhaps dating from the third to the eighth centuries BCE, cannabis was recommended for phlegm, catarrh and diarrhea

Dwarakanath has maintained that cannabis was employed in Indian folk medicine in aphrodisiacs and treatments for pain in the same era, while Sanyal observed that “They also used the fumes of burning Indian Hemp (Canabis Indica) as an anaesthetic from ancient time.

कई है यहां पर सब तो संस्कृत नहीं जानते हैं, इंग्लिश में बहुत क्लियर लिखा है, अथर्ववेद में। 

यहां पर पैंतालीस नाम दिए गए हैं गांजा या भांग को इंद्रसना  से लेकर विजया से लेकर, अजय से लेकर, ऐसे पैंतालीस नाम जो उसकी क्वालिटीज और वैल्यूज के बारे में बात करती हैं। मैं चाहूंगी जो मैंने एक फोल्डर दे रखा है आप सभी के हाथों में वो फ़ोल्डर जाएं और फील करें कि गाँजे से क्या क्या बनता है। 

खाली आयुर्वेद में इसके बारे में नहीं लिखा गया है। या खाली सनातन धर्म  में, इसके बारे में इसके बारे में नहीं लिखा गया है। आपके जितने भी ancient  रिलिजन है चाहे वो taoism ho,  हो चाहे वो बुद्धिज्म ho,  इस्लाम में, जहां कि आपकी यूनानी मेडिसिन है वहां तक में गांजे का प्रयोग लिखा गया है।

अब आप एक चाकू जाकर डॉक्टर को दे दीजिए चाहे वो आप एक चाकू लेकर murder को दे दीजिए।

चाकू से डॉक्टर सर्जरी करके वो इंसान की जान उस इंसान की जान बचा लेगा। वहीं एक क्रिमिनल उसी, उसी वेपन से उसी चीज से जाकर उनकी डैथ कर देगा। उनकी हत्या कर देगा। तो इसमें हम जाकर चाकू बैन कर देते हैं हम आजसे सब्जियां नहीं काटेंगे। हम सब्जियां कच्ची खाएंगे या फिर उनको तोड़ तोड़कर खाएंगे कर सकते हैं हम ऐसा ? नहीं।

ऐल्कोहॉल, पूरी दुनिया में ज्यादा ऐल्कोहॉल और ऐल्कोहॉल ज्यादा लोगों को मार डालता है। गांजे से किसी की मृत्यु नहीं हुई है। और ऐसा कहा जाता है कि दिमागी संतुलन खराब हो जाता है या एडिक्शन होता है। मैं आपको बताना चाहूंगी जो एडिक्शन एक चीज है वो आप एक void  भर  rahe hain है। कुछ लोगों को परफ्यूम का एडिक्शन होता है। कुछ लोगों को कपड़े खरीदने का एडिक्शन होता है। तो कुछ लोगों को खाने का एडिक्शन होता है। तो हम खाना बैन कर दें। कपड़ा बैन कर दें। सब कुछ बैन कर दें।

आयुरष मिनिस्ट्री और आयुर्वेद :

उसी वजह से आज की तारीख में हमारा आयुर्वेद, आयुष मिनिस्ट्री खड़ी होने के बावजूद आयुर्वेद और सिद्ध मेडिसिन आज की तारीख में भी एक्चुअल मेडिसिन सिस्टम की पैरामीटर्स पर क्यों नहीं जा पा रहे हैं । भैया, जब आप अपने मेन कैमिकल कंपोनेंट्स निकाल लेंगे जो आपका बेसिस है, उस मेडिसिन का तो आपका इलाज कैसे होगा ? मैं आपको आज यह बताना चाहूंगी,  कि मैं खुद एक टीबी की पेशेंट थी। ट्यूबरक्लोसिस  एक ऐसी चीज है जो इंडिया में बहुत ही ज्यादा लोग हैं जो इससे अनफॉर्चूनेटली पीड़ित हैं । लेकिन इसके बारे में बोला जाता है कि आप गांव खेड़े जाएंगे, वहां पर होगा(ऐसी बीमारी आपको होगी), ऐसा कुछ नहीं है। मुझे ट्यूबरक्लोसिस नहीं था, मुझे लिम्फ नोड ट्यूबरक्लोसिस था।

मैं वह पूरी स्टोरी नहीं बताउंगी, लेकिन आपको यह कहना चाहूंगी कि उसका इलाज केवल गाँजे से हुआ था।

आयुर्वेद में ट्यूबरक्लोसिस का इलाज :

अब मैं यह भी बताना चाहूंगी कि आयुर्वेद में ट्यूबरक्लोसिस का इलाज,  टीबी का इलाज है। आयुर्वेद के अंदर बहुत लिखा हुआ है।  कि कैसे करना चाहिए उसका मेन कंपोनेंट गाँजा है।लॉज या लेबर सिरोयसिस से लेकर लेप्रोसी तक के बारे में आपके अथर्ववेद  में लिखा गया है। और लेप्रोसी का एक ही इलाज है, वो है गाँजा ।

Westernization of our drugs Purposefully  :

आपने कभी लेप्रोसी पेशेंट को देखा है? अपने आसपास। आपको पता चलेगा कि वह कितने दर्द में होते हैं।  जब एक बैक्टेरिया उनको अंदर से खा रहा होता है।

Now there is a endocannabinoid system in our body. जो हमारे ऋषि मुनियों को तब पता था जो अभी दस बीस साल पहले वेस्टर्न डॉक्टर्स बोलना चालू नहीं हमारे बॉडी में भी एक ऐसा सिस्टम है जो टीएचसी  बनाता है।

आप अगर उन्होंने एक्सेप्ट कर लिया, वो तो रीत है। आप सभी जानते हैं कि यह तो रीत है कि हम लोग डिस्कवर करते हैं नाम नहीं लेते, पेटेंट नहीं लेते अपनी नॉलेज का क्योंकि,  सनातन में नॉलेज खाली हमारी नहीं है, नॉलेज बांटने से बढती है।  इसलिए हमने कभी भी किसी चीज का भी पेटेंट नहीं लिया। तो जाकर उन्होंने पहले बोल दिया कि नहीं ऐसी कोई चीज नहीं होती है। माँ के पहले दूध में जो पीला दूध होता है उस तक में टीएफसी होता है।  अब टी एफ सी है क्या? गाँजे में चालीस नहीं ,  चार सौ,  चार सौ कंपोनेंट होते हैं। खाली टीएचसी है जो आपको ऐसा असर  करता है और ऐसा बोलते हैं,  थोडा सा नशा लाता है।

अब हमारे ऋषि मुनि थे उन्होंने अलग अलग तरीके बताए थे कि उसका एक्सट्रैक्शन कैसे निकाला और जाता है। जो कि इतना सटीक बैठता है, कि कौन सा कंपोनेंट उस बीमारी के लिए निकलेगा, वह आएगा आगे। ये सारी ऐसी चीजें हैं जो हमारे आयुर्वेदिक डॉक्टर जो बीस साल पहले पढ़े थे उनको पता है । लेकिन ऐसा बीस साल में क्या हुआ कि पूरी दुनिया आज कैनबिस को फर्स्ट वर्ल्ड कंट्रीज, बीस से ज्यादा,  लीगल करके बैठी हैं। कैनेडा में तो रिक्रिएशनल  लीगल कर दिया। जोकि इंडिया में सदैव ऐसी चीज थी उसको कभी नीची तौर से देखा नहीं गया था। यह रिपोर्ट भी बनी थी। केनेबस हेल्थ कमीशन रिपोर्ट, हैम्प हेल्थ कमीशन रिपोर्ट उसमें जब इक्कीस सौ लोगों का, approx 1200-2100 लोगों का  इंटरव्यू हुआ था, लिखा है उसमें।  उसमें जो फकीर भी थे उसमें डॉक्टर्स भी थे। उसमें कुली भी थे उन सबसे खाली एक ही सवाल पूछा जाता था। अच्छा गांजा पीते हैं इसका असर क्या होता है ? जो फकीर थे, उन्होंने जाकर बोल दिया कि हम तो पी लेते थे। दो- दो तीन -तीन, चार दिन तक हम लोगों  को भूख प्यास नहीं लगती है। जो कुली वगैरा थे जो लेबर क्लास होती है उनसे पूछा आप क्यों करते हो बोले कि भाई पैसे तो रहते नहीं खाने के लिए, खाना पूरा पेट भर, पीने के लिए, रात को पी लेते हैं, तो दवाई के लिए भी पैसे नहीं होते। सुबह उठते ही बड़े अच्छे से होते हैं। और यह डॉक्युमेंटेड चीज है। ये हेम्पवतिया प्रिया मिश्रा बनाकर नहीं बोल रही है । साढ़े तीन हजार पन्नों की ब्रिटिशर्स बनाकर गए थे। आज तक हम कॉन्स्टिट्यूशन फॉलो कर रहे काफी सारी आपकी जो लीगल प्रोसीडिंग्स  उनका ही फॉलो कर रहे हैं।  तो उन्होंने यह चीजें ऑलरेडी मेंशन किया था।

तो उनको समझ में आया कि अब न हम दारू बेच पा रहे हैं ,इन लोगों को थकने के बाद  इंसान गांजा पी लेता है, इंजॉय करने के लिए क्या करता है। रख लेता यहां पर उसके बीमार हो जाता है । तो क्या कर लेता है। पेट खराब हुआ आंख में जलन हुई चोट लग गई हड्डी टूट गई ये सारी बीमारियों का इलाज उसमें बहुत क्लियर ली लिखा है।सब गांजे का उपयोग कर लेते हैं यहां तो।

अब मैं आपको यह बताना चाहूंगी दुनिया बोलती है कि पहला कपड़ा और पहला पेपर गांजे से बना था। 

हमारी परंपरा और शास्त्रों में गांजा :

हमारे यहां जैसे स्क्रिप्चर्स  हैं काफी सारे स्क्रिपचर जो मिक्स पत्तों से बनाए गए हैं। इंडिया का तो ये है। यूएस का जो फ्लैग बना था, वो तो गांजे के पत्ते से ही पत्ते के फाइबर से ही बना था। ये एक ऐसी सेम  चीज अगर आज आप पहाड़ों पर जाएंगे,  आपमें से कितने पहाड़ों टर जाते होंगे, दिल्ली में हैं तो उत्तराखंड हिमाचल तो चक्कर लग ही जाता होगा। हैम्प का पेपर हेम का कपड़ा बहुत कोमन है वहां पे, यहां तक कि लोग चारे में भी उसका जो स्टॉक होता है, वह खिलाते हैं अपने जानवरों को, जानके ये उन्होंने पढ़ा नहीं है, कहीं उनके पास इंटरनेट नहीं है। यह जानकर कि उनके पूर्वज बोलते थे। कि इनको याक को  या किसी को थोड़ा ज्यादा फाइबर हेम का  खिला दो तो स्वस्थ रखेगी,  दूध ज्यादा देगी। बीमार कम पडेगी।

 अब ऐसी चीज है जो हमारे जो पूर्वज थे। जो हमारे ऋषि मुनि थे उन सबने यह बहुत ही अच्छे से डिस्क्राइब किया और यह चीज लिखी, कि एक, यही एक प्लांट है जोकि शिवजी के लायक भी है। क्योंकि एक कैनबिस है जो आपको कपड़ा देता है, आपको दवा देता है, जब अमृत मंथन हुआ था। कैनबिस का जो विवरण है कहां से आया है?  शिवपुराण जिन्होंने पढ़ी होगी उनको पता होगा कि ऐसा लिखा भी गया है कि इंसानों ने भी मांगा था। कि हमें भी तो अमृत दो, हमारी धरती तुमने खोद ली तुमने हमारे, तुमने हमारी धरती पर जाकर मंथन भी  कर ली और हमारे नेक्टर भी लेकर चले गए।

तब बोला गया वहां पर कि नहीं यह तो नेक्टर ऐसा है कि आप भी नहीं ले पाएंगे। हम वापस आएंगे आपको स्वस्थ करने के लिए, वो एक है जो लास्ट ड्रॉप नेक्टर की ऐसा बोला जाता है उससे कैनबिस का जो प्लांट है वो आया था।  आप यहां पर देख सकते हैं। मैंने नाम यहां पर लगाये हैं।

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