परिचय
अरोमा मिशन (Aroma Mission) लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने के लिए जम्मू कश्मीर के रामबन जिले से शुरु किये गए मिशन का नाम है । यह प्रसिद्ध मिशन 2016 में शुरू किया गया था, जिसे लैवेंडर या बैंगनी क्रांति (Lavender or Purple Revolution) के नाम से भी जानते हैं ।विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा शुरू की गई पर्पल क्रांति या लैवेंडर क्रांति का उद्देश्य वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के ‘सुगंध मिशन’ के माध्यम से स्वदेशी सुगंधित फसल-आधारित कृषि अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है।
भारत औषधीय रूप से महत्वपूर्ण पौधों की प्रजातियों की विस्तृत श्रृंखला के लिए लोकप्रिय है, और जैव विविधता के उच्चतम स्तर वाले देशों में 8वें स्थान पर है । विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का अनुमान है कि भारत में औषधीय पौधों की मांग मौजूदा 14 अरब डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 2050 तक 5 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी।
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चित्र स्रोत: https://www.investindia.gov.in/-india-blogs/indias-purple-revolution-blossoming-jammu-kashmir
अरोमा मिशन
“जम्मू और कश्मीर में उत्पन्न “अरोमा मिशन” “विकसित भारत” के पथप्रदर्शकों में से एक होगा; केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज जम्मू में कहा
Posted Date:- Feb 03, 2024 स्रोत – पी आई बी
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय राजधानी में कर्तव्य पथ पर एक झांकी एक उदाहरण है जिसके माध्यम से डोडा जिले के भद्रवाह शहर के लैवेंडर खेतों का चित्रण करके जम्मू-कश्मीर भी शेष भारत के लिए एक रोल मॉडल बन गया है। उन्होंने कहा कि अरोमा स्टार्टअप इकोसिस्टम से जुड़े जम्मू-कश्मीर के युवा देश भर में पर्पल रेवोल्यूशन के ब्रांड एंबेसडर बनकर उभरे हैं।
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केंद्रीय मंत्री डीडीसी के सदस्यों सहित पीआरआई के साथ अपनी तरह की पहली बैठक की अध्यक्षता करने के बाद बोल रहे थे। क्षेत्र में स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए समाज के जुड़ाव को मजबूत करने के उद्देश्य से बैठक आज सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन, जम्मू में आयोजित की गई।
जम्मू-कश्मीर के अरोमा मिशन को एक सफलता की कहानी बताते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने अब तक अनछुए या कम अन्वेषण वाले क्षेत्रों का उद्घाटन करने के लिए समय और प्रयास के निवेश का आह्वान किया, और कहा कि ये क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने की चाभी रखते हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कृषि स्टार्टअप तेजी से केंद्र शासित प्रदेश के युवाओं के लिए स्वरोजगार के अवसर बन रहे हैं।
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कृषि स्टार्टअप में अधिक सार्वजनिक-निजी भागीदारी की वकालत करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, साइलो का युग खत्म हो गया है, इसलिए दोनों क्षेत्रों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। लैवेंडर जैसे हिमालयी संसाधनों की खेती के बारे में जागरूकता पैदा करने के महत्व को रेखांकित करते हुए, उन्होंने डीडीसी सदस्यों से इस प्रयास में अपनी भूमिका निभाने का आह्वान किया ताकि उनके क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा कृषि स्टार्ट-अप में शामिल हो सकें और स्थायी रूप से अपनी आजीविका कमा सकें और भारत की जीडीपी में योगदान दें।
मंत्री ने सीएसआईआर-आईआईआईएम से अनुसंधान कर यह पता लगाने का आह्वान किया कि जम्मू और कश्मीर के विभिन्न क्षेत्रों की स्थलाकृति के आधार पर कौन सी नई फसलों की खेती संभव हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि अधिक से अधिक लोगों को कृषि-स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र में शामिल करने की आवश्यकता है। मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में पिछले दस वर्षों में देश में स्टार्ट-अप की संख्या डेढ़ लाख से अधिक हो गई है। उन्होंने आगे बताया कि भारत की जैव-अर्थव्यवस्था का मूल्य वर्तमान में 140 बिलियन से अधिक है जो एक दशक पहले 10 बिलियन था।
मंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत को दुनिया में निवारक स्वास्थ्य देखभाल के नेता के रूप में जाना जा रहा है, इसके बहुप्रसिद्ध वैक्सीन कार्यक्रम का धन्यवाद, जिसने कोविड-19 महामारी के दौरान दुनिया भर में लाखों लोगों की जान बचाने में मदद की।
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अंतरिक्ष क्षेत्र की बारे में डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पिछले साल सिर्फ आठ महीने में इस क्षेत्र में एक हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश आया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 2040 तक अंतरिक्ष में 40 अरब डॉलर से अधिक का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन, हालिया एडीएल (आर्थर डी लिटिल) रिपोर्ट के अनुसार, भारत को लक्ष्य से अधिक 2040 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इस क्षेत्र में सुधार किए जाने के बाद से भारत में अंतरिक्ष क्षेत्र के स्टार्टअप की संख्या में वृद्धि हुई है।
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Original Source : PIB.GOV.IN