81. ‘पृथ्वीराज रासो’ को हिन्दी का पहला महाकाव्य मानने वाले विद्वान कौन हैं ?
(A) आचार्य हजारी प्रसाद
(B) मिश्रबन्धु
(C) श्यामसुन्दर दास
(D) आ. रामचन्द्र शुक्ल
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (D) आ. रामचन्द्र शुक्ल
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82. ‘रम्भा मंजरी’ नाटिका किस जैन कवि की रचना है ?
(A) शालिभद्र सूरि
(B) जिनदत्त सूरि
(C) नयचन्द्र सूरि
(D) श्री. अभयदेव सूरि
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (C) नयचन्द्र सूरि
रम्भामञ्जरी नायकन्द्रसूरी द्वारा रचित एक ग्रंथ का नाम है, जो वसंतविलास (कविता और पहेलियों से संबंधित) के भी लेखक हैं, जो ‘विन्सेन्ज़ो जोप्पी’ पुस्तकालय में पांडुलिपियों के संग्रह में शामिल है, जिसे लुइगी पियो टेस्सिटोरी ने 1914 और 1919 के बीच राजस्थान की अपनी यात्रा के दौरान एकत्र किया था। – लेखक, नायकन्द्रसूरी, एक श्वेताम्बर जैन भिक्षु थे, जो जयसिंहसूरी के शिष्य थे, और कृष्णर्षि-गच्छ से संबंधित थे । वह 15वीं शताब्दी में रहते थे और उन्हें एक ऐतिहासिक वृहद काव्य, हम्मीरमहाकाव्य, तथा सट्टक शैली (केवल प्राकृत में नाटक) के कुछ ज्ञात प्रतिनिधियों में से एक, रम्भामञ्जरी के लेखक के रूप में जाना जाता है।
83. “इन्होंने खड़ी बोली को प्रथम बार कविता में स्थान दिया। यही कारण है कि ये खड़ी बोली के आदि कवि कहे जाते हैं।” अमीर खुसरो के लिए उपर्युक्त कथन किस विद्वान का है ?
(A) डॉ. नगेन्द्र
(B) आ. रामचन्द्र शुक्ल
(C) डॉ. रामकुमार वर्मा
(D) डॉ. नामवर सिंह
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर –
खुसरो, फारसी तथा हिन्दी दोनों भाषाओं के लोकप्रिय कवि हैं। अमीर खुसरो खड़ीबोली हिन्दी के प्रथम कवि माने जाते हैं। डॉ० रामकुमार वर्मा के शब्दों में “खड़ीबोली में प्रथम लिखने वाले अमीर खुसरो हुये, जिन्होंने अपनी पहेलियों, मुकरियों आदि में इस भाषा का प्रयोग किया।
84. हिन्दी में नख-शिख वर्णन परम्परा का आरम्भ किस कृति से माना जाता है ?
(A) राउर बेल
(B) दोला मारु रा दोहा
(C) बसन्त विलास
(D) सन्देश रासक
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (A) राउर बेल
राउलवेल नामक कृति में कवि ने ‘राउल’ नामक नायिका के सौन्दर्य का वर्णन आरम्भ में पद्य में किया है, फिर गद्य का प्रयोग किया है। राउलवेल से ही हिन्दी में नख-शिख वर्णन की शृंगार परंपरा आरम्भ हुई।
85 “सिद्धों और योगियों की रचनाओं का जीवन की स्वाभाविक अनुभूतियों और दशाओं से कोई सम्बन्ध नहीं है।” यह विचार किसका है ?
(A) श्यामसुन्दर दास
(B) हजारी प्रसाद द्विवेदी
(C) रामकुमार वर्मा
(D) रामचन्द्र शुक्ल
MPPSC सहायक प्राध्यापक परीक्षा-2022 द्वितीय प्रश्न पत्र हिंदी परीक्षा तिथि-09/06/2024-SET-B
उत्तर – (D) रामचन्द्र शुक्ल
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