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Source X : https://twitter.com/OpIndia_com/status/1752646656741560515?t=qJS8UT0xvmVd08lLzOgD-g&s=19
ट्विटर पर इस खबर को देखते ही पढ़ने के बाद न तो कुछ बोला जाता है। न हीं चुप रहा जाता है। मैं सोच रहा था की हमारे देश में लोग IAS और आईपीएस बनने के लिए अपना सभी प्रकार का प्रयास लगा देते हैं। दिन-रात मेहनत करते हैं। और अपनी पूरी ऊर्जा से उसकी तैयारी करते हैं। ताकि वह एक समर्थ अधिकारी बनकर देश की सेवा कर सकें और उनका प्रभाव एवं यश भी हो उन्हें कोई डरा धमका न सके।
किंतु जैसे कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में निहित है। कि चुनाव जीत कर आने वाला व्यक्ति और उसका प्रभाव शीर्ष पर होते हैं। फिर वह भले ही कितने भी गलत ढंग से चुनकर आया हो कैसे भी आया हो, किंतु उसके पास जब शक्ति होती है। तो वही सर्वेसर्वा होता है। यह सुनकर मन में एक बात याद आ गई कि एक ग्रंथ योग वशिष्ठ महारामायण पढ़ते हुए यह जाना था। उसमें महर्षि वशिष्ठ जी अपने शिष्यों को समझाते हैं। और कहते हैं। कि हे राम जी संसार में अधिक बलवान की ही जीत होती है। निर्बल का विनाश हो जाता है। इसलिए कभी निर्बल नहीं होना। उन्होंने उदाहरण भी दिए कि जब देवताओं और दैत्यों में युद्ध होता है। तो जिसका बल अधिक होता है। उसकी विजय होती है। उसमें तो इस पर एक लंबा वृतांत है जिसमें इस बात को सिद्ध करने के लिए यह कहा गया है। कि हमेशा बलवान की ही विजय होती है। जो अधिक बल रखता है। वही विजेता होता है। यह बात सत्य नहीं है कि यदि वह सत्य पर अधिक है तो जीत उसी की होगी। क्योंकि वह सत्य के पक्ष में होने पर भी यदि निर्बल रहा तो वह हार जाएगा उसे असफल होना पड़ेगा यही नियति है। और यह हम सब ओर देखते भी हैं। चाहे वह कोर्ट हो चाहे राजनीति हो चाहे समाज हो।
यूपीएससी की तैयारी करके आईएएस आईपीएस हो जाने के लिए वर्षों तक दिन रात मेहनत करने वाले सभी विद्यार्थियों से मैं यह कहना चाहता हूं कि हमें यह बात ध्यान रखनी चाहिए कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सरकार ही श्रेष्ठ होती है। और अधिकारी और कर्मचारी तो अंततः उसके कर्मचारी ही होते हैं। वह श्रेष्ठ कैसे हो सकते हैं? और इसीलिए उनके सर्वश्रेष्ठ न होने के कारण वह जिनकी इच्छा शक्ति के अधीन कार्यरत होते हैं। वे लोग यदि ठीक नहीं हुए वे लोग यदि अनैतिक हुए तो फिर हमारी क्या दशा होती है। यह हमें पता होना चाहिए इसलिए आई ए एस ओपी चौधरी जैसे अनेक लोग राजनीति की और रुख कर लेते हैं। और नौकरी छोड़ देते हैं। इस बात से अच्छा भी लगता है। कि यदि राजनीति में अच्छे लोग आएंगे तभी उसमें धीरे-धीरे स्वच्छता रहेगी अधिकांश लोग तो यह सोचते हैं। की राजनीति बहुत गंदी चीज है। कोई अगर अच्छा नहीं है। तो उसको कहते हैं यह तो नेता है किंतु यह सत्य नहीं है। यदि हमें हमारी संस्कृति हमारे समाज के प्रति हम यदि उत्तरदाई है। ऐसा अनुभव करते हैं। तो हमें जो भी अच्छे लोग हैं। उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित करना चाहिए कोई भी स्थान तभी अच्छा होता है। जब वहां पर अच्छे लोगों का निवास रहता है। इस प्रकार राजनीति का जो स्थान है। अगर वहां से अच्छे लोग दूर भागते रहे तो उस अवकाश में बुरे लोग अपनी जगह बना लेते हैं। और फिर समाज टुकुर-टुकुर करके उनके अपराधों उनकी नीचिता उनकी गुंडागर्दी को देखता रहता है। और बात करता रहता है। एक समय यह आता है। कि जब चुनाव होता है। तो वह गुंडा तत्व उनके सम्मुख किसी को भी उम्मीदवार के रूप में खड़ा तक नहीं होने देते जिससे उनका वर्चस्व बढ़ता जाता है। और एक गुंडे को हराने के लिए दूसरा गुंडा मैदान में आता है। और जीत कर वह उससे बड़ा गुंडा बड़ा अपराधी बड़ा अनैतिक व्यक्ति बन जाता है। यह बात किसी भी पार्टी के लिए लागू हो सकती है। किसी भी पार्टी में अच्छे लोगों के होने से वह पार्टी अच्छी होती है। और किसी कारण से नहीं।
यह कहानी बहुत कुछ कहती है। कि जब वहां पर ऐसे सीनियर आईएएस ऑफिसर की यह दुर्दशा हो सकती है। कि वहां का मुख्यमंत्री जब उन्हें कहता हो कि किसी विधायक के लड़के ने उसकी पत्नी आदि का लगातार यौन शोषण किया है। और वह भी सब कुछ जानबूझकर सबके सामने। तो वहां का मुख्यमंत्री कहता है। कि तुम तो इस बात की खुशी मनाओ कि तुम जीवित हो।
आप इस स्थिति का थोड़ा अनुमान करके देखिए कि जब एक ऐसा ऑफिसर जिसकी यह दुर्दशा होती है। तो वहां पर वह दूसरे लोग जिनके पास न तो धन है। न सत्ता है। न राजनीति में उनकी कोई पहुंच है। उनका क्या हाल होता होगा तब वहां पर लोकतंत्र के नाम पर कौन सा अनर्थ नहीं होता होगा। जब ऐसे लोगों के पास सभी प्रकार की शक्तियां एकत्र हो जाती हैं। जैसे धन पद अधिकार। तब वे लोग लोकतंत्र को मजाक बनाकर रख देते हैं। और सारी प्रजा में हाहाकार मच जाता है। और कोई कुछ नहीं कर पाता। यह अनर्थ यदि बहुत व्यापक हो जाए तो आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे समाज और हमारी संस्कृति से सारे शुभ चिन्ह मिटने लगेंगे और हमारा राष्ट्र पतन की गर्त में जा गिरेगा। इसलिए यह उचित है कि जिन नेताओं का चरित्र अच्छा हो जिन अभिनेताओं का चरित्र एवं विचारधारा अच्छी हो उन्हें ही आप अपनायें ।अपनी आंख मूंदकर केवल फैन फैन करके अपना और राष्ट्र का विनाश न करें।