भारत में गांजा का महत्व | Cannabis in India | Priya Mishra | Medicinal Use Of Bhang In Ayurveda
Part -02
Yah is video ki transcript par adharit aalekh hai.
NAMES FOR CANNABIS IN SANSKRIT AND HINDI
ajaya – the unconquered, invincible
ananda – the joyful, joyous, laughter moving, bliss
bahuvadini – causing excessive garrulousness
bhang, bhanga – hemp, mature cannabis leaves
bhangini – breaks three kinds of misery
bharita – the green one
capala – agile, capricious, mischievous, scatter- brained
capta – light-hearted
chapala – the light-hearted, causer of reeling gait, causer of vacillation
charas – cannabis resin (hashish), either hand-rubbed or sifted
cidalhada – gives happiness to mind
dnayana vardhani – knowledge promoter
ganja – unfertilized female cannabis flowers
ganjakini – the noisy, vibrator
gatra-bhanga – body disintegrator
harshani -joy-giver
harshini – the exciter of sexual desire, the rejoicer, delight-giver, causer of elation
hursini – the exciter of sexual desire
Indrasana – Indra’s food
jaya – victorious, the conquering
kalaghni – helps to overcome death
madhudrava – helps excrete nectar
madini – the intoxicator, sex intoxicator
manonmana – accomplishes the objects of the mind
SRIJAN FOUNDATION
divyaka – gives pleasure, lustre, intoxication, beauty
हिंदी में :-
संस्कृत और हिन्दी में भांग के नाम
अजय – अजेय, अजेय
आनंद – हर्षित, आनंदमय, हँसी बढ़ाने वाला, आनंद
बहुवादिनी –
बहुवादिनी, – causing excessive garrulousness(अत्यधिक चिड़चिड़ापन पैदा करना)
भांग, भंगा – भांग, परिपक्व भांग की पत्तियां
भंगिनी – तीन प्रकार के दुखों को नष्ट करती है।
भरित – जिसका रंग हरा है।
bharita – the green one
कैपाला – फुर्तीला, मनमौजी, शरारती, बिखरा हुआ दिमाग वाला
कैप्टा – हल्के दिल वाला
चपला – हल्की- फुल्की, लड़खड़ाती चाल को उत्पन्न करने वाली, झिझक को उत्पन्न करने वाली।
चरस – कैनबिस राल (हशीश), दोनों हाथ-रगड़ा या छना हुआ
सिडाल्हडा – मन को प्रसन्नता देता है।
ज्ञान वर्धनि – ज्ञान प्रवर्तक
गांजा – अनिषेचित मादा भांग के फूल
गंजकिनी – शोर मचाने वाला,कंपायमान
गत्र- भंग – शरीर को विघटित करने वाला।
हर्षाणी – सुख देने वाली।
हर्षिनी – यौन इच्छा को उत्तेजित करने वाली, आनंदित करने वाली, प्रसन्न करने वाली, प्रसन्नता का कारण बनने वाली।
हुर्सिनी – यौन इच्छा को उत्तेजित करने वाली।
इन्द्रासन – इन्द्र का भोजन।
जया – विजयी, जीतने वाली।
कालघ्नी – मृत्यु पर काबू पाने में मदद करती है।
मधुद्रव – अमृत निकालने में मदद करता है
मदिनी – नशीला पदार्थ, सेक्स का नशा।
मनोन्मना – मन के उद्देश्यों को पूरा करता है।
दिव्याका – आनंद, चमक, नशा, सुंदरता देता है।
Wife of Dhatura Vijaya :
जिनको ट्रांसलेट किया गया है, मतुलानी यानि वाइफ आफ धतूरा, धतूरा किसको चढता है? जरा बताएंगे। आप में से किसी को भी पता होगा तो। धतूरा – भगवान शिव को चढता है । सिद्धि, सिद्धि का मतलब तो आपको पता ही होगा क्या है और यह जितने भी नाम है यह आयुर्वेद में
गांंजे को डिस्क्राइब करने के लिए एक रीजन है। मैं बार बार गाँजा बोल रही हूँ। भांग नहीं बोल रही और कैनबिस नहीं बोल रही, क्योंकि गाँजा हर एक को पता है, भांग थोड़ा कन्फ्यूज हो जाता है इंसान, कैनबिस तो बहुत ही ज्यादा कन्फ्यूज हो जाता है क्योंकि विदेशी टर्म हो जाता है। आप देखेंगे तो यहां पर लिखा है। उसका नाम ज्यादातर लोग जो बोलते वो वह विजया होता है जब हमारे ऋषि जिन्होंने लिखा था कि जिन्होंने आयुर्वेद लिखा था उनको लगा कि सारे जितने भी हमारे प्लांटस हैं पांच हजार।
उन सबमें राजा हो तो यही हो, उसका नाम विजया रखें तो हम कौन होते हैं उसको बैन करने वाले।
हिरोशिमा और नागासाकी का वृतांत :
एक ऐसा प्लांट जो हिरोशिमा नागासाकी, इस टाइम पर उगा रहा है क्योंकि आपने बताया कि हिरोशिमा नागासाकी में बोम्बिंग हुई थी। हिरोशिमा नागासाकी में जब रेडियो एक्टिव एक्टिविटी जब अभी तक ग्राउंड में है कि वहां पर कोई बच नहीं पा रहा है
उसको निकालने के लिए लास्ट दस साल से वो लोग हेम्प नॉन स्टॉप ग्रो कर रहे हैं।
पर्यावरण के लिए वरदान :
आप सब यह फैक्ट ट्रैक कर सकते हैं तो अब बताइए यहां पर हमारी धरती रो रही है, थ्रेट आ रहा है यहां पर हमारी धरती में इतना पेस्टिसाइड डाल दिया कि वह ऑलरेडी रेडियोधर्मी बनती जा रही है। कैंसर हो रहे लोगों को, लेकिन हमने उगाना बंद ही कर दिया है। सोने की चिड़िया बोला जाता था हमारे देश को, मुझे पता है इसके लिए फ़िर मजाक उड़ाएंगे, कि हम इसको सोना बोलेंगे। लेकिन आपको यह समझ में आती है सोना किसे बोलते हैं ? जिसमें बहुत सारे गुण हो,, सोना खाली वैल्यू नहीं करता जूलरी की तरह ही नहीं पहनते, उसके काफी सारे साइंटिफिक रीजनिंग होती है। आज हम मेटल एंड केमिकल, आजकल काफी सारी बीमारियों में भी यह चीज लगती है तो अगर इसमें इस चीज में सोने से ज्यादा वैल्यू है। तो आप उसको बैन कर देंगे कि आप उसको फिर से शुरू करेंगे? मैं आपको बताना चाहूंगी कि कुछ सौ बीमारियां हैं ऐसी, जिनका obviously तीस पैंतीस किस्म के कैंसर और लेप्रोसी, टीवी की तो मैं खुद पेशेंट थी, एचआईवी सुराईसिस आपकी जितनी भी नर्वस सिस्टम से रिलेटेड या मेंटल डिसऑर्डर होते हैं, अल्जाइमर जैसी बीमारियां उस तक का इलाज हंड्रेड परसेंट तरीके से आज की तारीख में विदेशों में किया जा रहा है और हमारे आयुर्वेद में बिल्कुल क्लियरली लिखा हुआ है। एक एक पैराग्राफ में लिखा है मैं उनमें से नहीं हूंँ, मैं पैराग्राफ आपको पढ़कर नहीं सुनाऊंगी आज। क्योंकि मैं चाहती हूं आज आप उठें, आपको कुछ नई इंफॉर्मेशन मिली है तो जाइए, आप उसके बारे में खुद भी थोड़ा सा रिसर्च करिए।
आप भी अपना योगदान दें :
क्योंकि एट दी एंड ओफ दी डे (at the end of the day) अगर आप समझेंगे कि आपकी बॉडी में एक ऐसा सिस्टम है जो गांजे की तरह केमिकल सेक्रेड करता है तो इसका मतलब है हमें उसकी जरूरत है।
अब आप पानी एक, एक बार में आठ लीटर पी लेंगे तो सारे न्यूट्रिएंट्स फ्लश हो जाएंगे। तो आपको कौन बोलता है exceed करने के लिये उसको। अगर आपके बॉडी में यह सिस्टम है, मां के पहले दूध में टीएचसी है जो आपको तंदुरुस्त बनाने के लिए है, तो मतलब दिमागी बीमारियां कई होती हैं ऐसी, जब आपको कमी हो जाती है किसी चीज की, उससे वह होती है, अल्जाइमर हेज बीन डायरेक्टली लिंक्ड टू हैविंग लोवर एंडो केनेबनर और बैड एंडो केनेबोनाइड सिस्टम।
अल्जाइमर के बारे में आप लोगों को पता है, सबसे भयानक बीमारी है। आपका चाहे जितना अच्छा जीवन कटा हो आप
वो नहीं रहते जो आप पहले थे। उसमें आप अगर कहीं जाएंगे कभी जाएंगे किसी जगह पर तो आपको दिखेगा कि वो पेशेंट्स की क्या हालत है। अपने आप को मारते हैं, गालियां देते हैं, सब कुछ करते हैं। और क्योंकि उनको तो पता ही नहीं था कि उनकी बॉडी से एक चीज बहुत इंपॉर्टेंट निकाली जा रही है। एक विदेशी साइंटिफिक रिसर्चर हैं और उनकी किताब कुछ मिलती है चालीस हजार की बीस साल की उनकी रिसर्च है इस पर। उन्होंने पहला और इजराइली साइंटिस्ट हैं। उनका पहला चैप्टर इंडिया और कैनबस के बारे में डेडिकेटेड है। बोले, भैया अगर हम आयुर्वेद, हमें नहीं दिखाया जाता, अगर हमें पता नहीं चलता कि आयुर्वेद इतनी रिसर्च कर चुकी है इंडिया में तो हम आगे कैसे बढते? और उनको इतना अचंभा हुआ इस बात पे कि इतनी ज्यादा रिसर्च कर चुका है इंडिया। और हमने उसको क्रॉस वेरिफाई भी नहीं किया आज की तारीख में, थैंकफुली काफी सारे ऐसे लोग हैं खाली इंडिया में नही फॉरेन में भी। आप बोल सकते हैं ज्यादातर तो फॉरेन कंट्रीज ही हैं जहाँ पर यह चल रहा है। जो आगे आ रहे हैं और यह प्लांट को उसकी ग्लोरी जैसे बोलते हैं। उसको वापस दे रहे हैं। आज मैं आपको बताना चाहूंगी कि हमारे ऋषि मुनि कितने एडवांस थे। कि उन्होंने ऐसे प्लांट को चुना, विजया बोलने के लिए, जो आज की तारीख में, ध्यान से सुनियेगा, मेडिकली तो आपका इलाज करेगा ही, इंडस्ट्री के लिए आपको पेपर देगा, प्लास्टिक देगा, कपड़ा मैंने बोला ही, और आपको साथ में मेटल देगा, बायोफ्यूल देगा, आपको, आप पचास हजार तरीके के और भी प्रोडक्ट्स देगा, उससे बना सकते हैं, porsches आपने सुना होगा ब्रायन पोस्ट गाड़ियां आती हैं।
जनवरी दो हज़ार उन्नीस में Porsche ने गांजे से बनी हुई गाडी लॉन्च कर दी।
उन्नीस सौ चालीस में फोर्ड ने की थी। लेकिन हमको देखो, जिसके भगवान को हम जिसे भगवान को हम चढ़ाते हैं, उसको हमने बैन करके रखा है। आज की तारीख में कैनबिस इंडस्ट्री एक ऐसी इंडस्ट्री है, जो न कि इकोनॉमिकली फेवरेबल है बट इनवायरमेंटली दिस इस द ओनली आन्सर। गांजे की जो खेती होती है वो चार महीने में पहली बात तो उग जाती है। तो जो हमारे नोमेड भी थे जो पहले के टाइम पर एक जगह पर नहीं रुकते थे वह एक सीजन तो एक जगह पर निकाल लेते थे। क्योंकि उनको फेवरेबल जगह लगती थी तो वह चार महीने में पूरी की पूरी खेती निकालते थे। वो उसके बाद वह सारी चीजें बनाते थे। जैसे घर का हैम्पक्रीड बनाते थे उसके ऊपर वो छत पर पानी इसकी ऊपर डालके रखते थे , ताकि वो कूल रखें।
हेम्पक्रीट :
इसका जो आज की तारीख में हेम्पक्रीट बन रहा है। चार महीने में खेती हो जाती है। मैं बार बार बोलना चाहूंगी, चार महीने में आप सेम उतना ही निकाल सकते हैं जितना आप दस साल के एक फॉरेस्ट में निकाल सकते हैं।
I am very sure that you’re aware all about of India’s problems right now a fuel b pollution plastic paper use and cloth because jo cotton hota hai usme bahuy chemical aur fertilizer lagta hai.
कॉटन हमारा नहीं था :
कॉटन की खेती में बहुत पेस्टिसाइड फर्टिलाइजर लगते हैं, कॉटन हमारा था ही नहीं, हमारा पहला कपड़ा तो वैसे भी गांजा से बना था, कि वह लैंड को वापस अच्छा छोड़कर जाता था तो उसके ऊपर और खाना पीना उगाया जाता था। तो ये सारी चीजें आज जो है, हमारे विदेशी काउंटर पार्ट जो हैं, जर्मनी बोलिए रशिया बोलिये इजराइल बोलिए कैनेडा बोलिए, ऑस्ट्रेलिया बोलिए, न्यूजीलैंड बोलिये इंडोनेशिया बोलिये, बोलते बोलते मैं थक जाऊंगी लेकिन कंट्रीज का नाम नहीं खत्म होगा। जिन्होंने ऑलरेडी लीगल कर दिया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में एकमात्र विकल्प :
हमें यह समझना चाहिए, कि ऐसी कई जगहें हैं जहां पे खाली एक यही ऑप्शन है। आपके लिए कि यही उगा सकते हो आप जैसे पहाड़ों पर जाएंगे।
वहां के पहाड़ी लोगों को वैसे ही चार महीनों से छह महीना मिलता है बिना बरफ के, वहां पर और क्या उगा लेंगे ? आप चार पाँच महीने में जो कि उनको इनफ (पर्याप्त धन आदि)देगा। अपना कपड़ा, पेपर और चारा और उसके साथ साथ थोड़ा पैसा निकालने के लिए अनफॉर्चूनेटली, मैं बोलना चाहूंगी यह हो भी रहा है और इससे लोगों की बेज्जती भी हो रही है। काफी सारे ऐसे लोग हैं जो यहां से मेडिसिन के तौर पर लेकर जाते हैं घर पर रेसिपीज बना रहे होते हैं और ट्रीट कर रहे होते हैं। लेकिन क्या यह अच्छी बात है? मैंने खुद अपने आपको घर पर बैठकर ट्रीट किया था, यहां तक कि मेरे आयुर्वेदिक डॉक्टर को नहीं पता था, कि ये ट्यूबरक्लोसिस ठीक कर सकता है। वो मुझे बोल रही हैं कि मैम, आप इंफॉर्मेशन कहां से लेकर आईं? सी इज 55 फिफ्टी पाई यीर ओल्ड वोमैन।ही इज हेडिंग आयुर्वेदिक डिपार्टमेंट in a कैंसर हॉस्पिटल अपार्ट फ्रॉम हर हसबेंड डॉक्टर। सो इज हर सन who is एमबीबीएस। टेल मी, who is wrong out here, हम,hamari to aadat hai. ham log to सुन लेते हैं कि हां इसको बैन कर देना चाहिए।
आउट हुए और हम, हम क्योंकि हमने भी हमारी आदत है कि हम सुन लेते हैं कि नहीं यह बैन कर देना चाहिए। 1895 se 1965 Tak humne ladai Ladi FIR 1965 mein koi aaye Aur unhone kaha ki nahin yah to bahut bura ho jaega Garib Amir Ho jaenge.
विदेशी प्रभाव से बैन :
1965 तक इंडिया ने लड़ाई लड़ी कि गाँजा बैन नहीं होने देंगे। 1965
में कोई आए उन्होंने बोला कि नहीं यह तो बहुत खराब हो जाएगा। जितने भी गरीब लोग हैं वह अमीर हो जाएंगे। क्योंकि तब तक, यूएस में रेवोल्यूशन चालू हो गया था। नाइनटीन सिक्सटी फाइव में यूएस में और Germany mein aur yahan tak ki यहां तक कि vo log to यूएस ने जबरदस्ती लोगों से खेती करवाई थी। क्योंकि उनके पास और कोई ऑप्शन नhi tha। हेम्प के अंदर ओमेगा थ्री, ओमेगा 6, ओमेगा नाइन, आपमें से लोगों को न्यूट्रिएंट्स के बारे में तो काफी पता होगा।
औषधि तत्वों से भरपूर :
ओमेगा थ्री ओमेगा 6, ओमेगा नाइन जैसी चीजें आपको इसके अंदर मिलती है तो यूएस ने बोला कि हमें पहली बात इससे कपड़ा भी निकल रहा है। हमें लोगों को खिला भी सकते हैं और उनको obviousc si baat hai ki दवाइयों के लिए भी यूज करना था। तो उन्होंने वो भी उनको साथ साथ दिया।
लेकिन जिसकी यह भूमि बोली जाती है, जिसके स्क्रिप्चर्स में इसका नाम शुरू से लिखा गया है। वहां पर आज तक मुझे यह बोलने में की मैं गांजा शोधकर्ता हूं। शरम आ जाती है। क्यों, मेरी तो जान बचाई गांजे ने।
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