विषय-हिन्दी
माध्यमिक शिक्षक शिक्षक चयन परीक्षा
विषय-हिन्दी
https://mptbc.mp.gov.in/web04/BookDetails.aspx
इकाई 1
हिन्दी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमिः प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ, मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ पालि, प्राकृत, शौरसेनी, अर्द्धमागधी, मागधी, अपभ्रंश और उनकी विशेषताएँ,
हिंदी भाषा और साहित्य का इतिहास iski unit -02 padhen.
हिन्दी का भौगोलिक विस्तार: हिन्दी की उपभाषाएँ, पश्चिमी हिन्दी, पूर्वी हिन्दी, राजस्थानी, बिहारी तथा पहाड़ी वर्ग और उनकी बोलियाँ, खड़ीबोली, ब्रज और अवधी की विशेषताएँ
“`1 ki unit 02 dekhen : https://ddceutkal.ac.in/Syllabus/MA_HINDI/Paper-20.pdf
POINT 1.6 : https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/56417/1/B-1U-1.pdf
इकाई 2
हिन्दी भाषा के विविध रूप : बोली, मानक भाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, सम्पर्क भाषा संचार माध्यम और हिन्दी, कम्प्यूटर और हिन्दी, हिन्दी की संवैधानिक स्थिति, देवनागरी लिपिः विशेषताएँ और मानकीकरण, हिन्दी वर्णमालाः स्वर, व्यंजन, वर्णों के उच्चारण स्थान
Sem-04-Paper-02-Bhasha Vigyaan Evam Hindi Bhasha (1).pdf
इकाई 3
हिन्दी साहित्येतिहास दर्शन : हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन की पध्दतियाँ,
- P 15 : साहित्य का इहििास दर्शन M 24 : हिन्दी साहित्य का
- हिन्दी साहित्य के इतिहास की – भूमिका और आदिकाल
हिन्दी साहित्य का कालविभाजन एवं नामकरण, https://mdcollege.in/wp-content/uploads/2021/12/1.1-हिंदी-साहित्य-का-काल-विभाजन-और-नामकरण.pdf //
https://rgu.ac.in/wp-content/uploads/2023/05/BAHIN101.pdf
विभिन्न इतिहास ग्रन्थ एवं उनके रचनाकार,
पद्य साहित्य (आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, आधुनिक काल) के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी रचनाएँ.
https://digital.nios.ac.in/content/301hi/rf-25L.pdf Very Important PDF
इकाई 4
गद्य की प्रमुख विधाओं (कहानी, उपन्यास, नाटक, एकांकी, आलोचना) का विकास, प्रमुख प्रवृत्तियाँ, प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ
https://mptbc.mp.gov.in/BookFile/0110201857PM08_58078.pdf
इकाई 5
गद्य की गौण विधाओं (आत्मकथा, जीवनी, संस्मरण, रेखाचित्र, पत्र, डायरी, यात्रा-वृतान्त, साक्षात्कार) का विकास, प्रमुख प्रवृत्तियाँ, प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ.
इकाई 2 हिंदी गद्य की विविध विधाएँ
इकाई 6
काव्य- परिभाषा, काव्य के विभिन्न भेद एवं उनका सामान्य परिचय, : https://www.nios.ac.in/media/documents/bgp/Sanskrit_Sahitya_248/Hindi_Medium/L11.pdf
रस, : रस – परिभाषा, भेद और उदाहरण – हिन्दी व्याकरण, Ras in Hindi
छंद (दोहा, चौपाई, सोरठा, कवित्त, रोला, उल्लाला, सवैया) :
अलंकार (अनुप्रास, यमक, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, अन्योक्ति, अतिशयोक्ति, मानवीकरण, पुनरुक्तिप्रकाश), : अलंकार ंकार
शब्द शक्तियाँ, : शब्दशक्ति (अभिधा, लक्षणा और व्यंजना)
काव्य गुण, काव्य दोष, : https://teachmint.storage.googleapis.com/public/995216495/StudyMaterial/d3762242-3f54-4f79-8ef0-8ae710caf86a.pdf
बिम्ब विधान :
- https://abhivyakti.life/2022/12/16/बिंब-image/
- bharatdiscovery.org/india/बिम्ब_विधान
- http://manjushreegarg.blogspot.com/2017/12/0_7.html
इकाई 7
शब्द भेद संज्ञा से अव्यय तक, संज्ञा-लिंग, वचन तथा कारक, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण,
: : विकारी शब्द (संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया, विशेषण)
क्रिया-विशेषण, https://hi.wikisource.org/wiki/हिंदी_व्याकरण/क्रिया-विशेषण
अव्यय वर्तनी सम्बन्धी अशुद्धियाँ, : वर्तनी (हिन्दी) PDF
संधि, https://namastesir.co.in/संधि-sandhi/ WEBSITE
समास : https://namastesir.co.in/समास-hindi-me-samas-aur-uske-prakar/ WEBSITE
इकाई 8
शब्द और शब्द भण्डार- स्त्रोत के आधार पर (तत्सम, तद्भव, देशज, विदेशी, संकर)
https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/28983/1/Unit-18.pdf
शब्द और शब्द भण्डार-अर्थ के आधार पर (पर्यायवाची, विलोम अनेकार्थी, समोच्चारित भिन्नार्थक, अनेक शब्दों / वाक्यांश के लिए एक शब्द)
Paryayavachi va vilom shabda- ANek ko Ek
समोच्चरित भिन्नार्थक शब्द | Samochcharit Shabd
इकाई 9
रचना के आधार पर (रूढ़, यौगिक, योग रूढ़) व्याकरणिक आधार पर (विकारी व अविकारी), : www.hindibasic.com/shabd-vichar-paribhasha/
उपसर्ग, प्रत्यय और आंचलिक शब्द, वचन, कारक : https://jkppgcollege.com/e-content/Hindi-ma-II-Semester-Shabd-Rachana.pdf
https://edurev.in/t/221710/लिंग–वचन-और-कारक
इकाई 10
वाक्य संरचना- वाक्य के भेद (रचना के आधार पर, : रचना के आधार पर वाक्य भेद
अर्थ के आधार पर ) : https://www.aees.gov.in/htmldocs/downloads/Econtent_aug2020/कक्षा-नवीं,विषय-हि%20न्दी-%20अर्थ%20के%20आधार%20पर%20वाक्य%20भेद.pdf
वाक्य विश्लेषण, : www.learncbse.in/cbse-class-10-hindi-b-vyaakaran-rachana-ke-aadhaar-par-vaaky-roopaantar/
संश्लेषण एवं रूपांतरण, वाक्य रचना संबंधी अशुद्धियाँ, www.learncbse.in/cbse-class-10-hindi-b-vyaakaran-ashuddhi-shodhan/ ,
https://lntcollege.ac.in/studymaterial/1634809143.pdf?uid= ,
मुहावरे एवं लोकोक्तियाँ : leverageedu.com/blog/hi/muhavara/
Proverbs in Hindi मुहावरे, कहावतें और लोकोक्तियाँ
इकाई 11
प्रेमचंद – गबन : गबन pdf
मन्नू भंडारी – आपका बंटी : helpful content : आपका बंटी के पात्र एवं चरित्र-चित्रण alexander mcqueen sneakers gray – Buy Online WEB VERSION
https://patnawomenscollege.in/upload/Explore%20vol%20XI%202/detal/d6-min.pdf
हजारीप्रसाद द्विवेदी – वाणभट्ट की आत्मकथा
EXPLAINATION
ऐतिहासिक उपन्यास : बाणभट्ट की आत्मकथा
इकाई-12
कबीर – साखी (गुरुदेव को अंग पद संख्या 1,5,7)
(1) गुरुदेव कौ अंग
सतगुर सवाँन को सगा, सोधी सईं न दाति। हरिजी सवाँन को हितू, हरिजन सईं न जाति॥1॥
सतगुर के सदकै करूँ, दिल अपणी का साछ। सतगुर हम स्यूँ लड़ि पड़ा महकम मेरा बाछ॥5॥
सतगुर साँवा सूरिवाँ, सबद जू बाह्या एक। लागत ही में मिलि गया, पढ़ा कलेजै छेक॥7॥
सूरदास – भ्रमरगीत सार, पद संख्या (21,23,25)
https://hi.wikisource.org/wiki/भ्रमरगीत-सार/१-पहिले_करि_परनाम_नंद_सों_समाचार_सब_दीजो
राग केदार
गोकुल सबै गोपाल-उपासी। जोग-अंग साधत जे ऊधो ते सब बसत ईसपुर कासी ॥ यद्यपि हरि हम तजि अनाथ करि तदपि रहति चरननि रसरासी]। अपनी सीतलताहि न छाँड़त यद्यपि है ससि राहु-गरासी। का अपराध जोग लिखि पठवत प्रेमभजन तजि करत उदासी]। सूरदास ऐसी को बिरहिन माँगति मुक्ति तजे गुनरासी ? ॥२१॥
राग काफी
आयो घोष बड़ो ब्योपारी।
लादि खेप[१] गुन ज्ञान-जोग की ब्रज में आय उतारी॥
फाटक[२] दै कर हाटक माँगत भोरै निपट सु धारी[३]।
धुर[४] ही तें खोटो खायो है लये फिरत सिर भारी॥
इनके कहे कौन डहकावै[५] ऐसी कौन अजानी?
अपनो दूध छांडि को पीवै खार कूप को पानी॥
ऊधो जाहु सबार[६] यहाँ तें बेगि गहरु[७] जनि लावौ।
मुँहमाँग्यो पैहो सूरज प्रभु साहुहि आनि दिखावौ॥२३॥
१. ↑ खेप माल का बोझ।
२. ↑ फाटक अनाज फटकने से निकाला हुआ कदन्न, फटकन।
३. ↑ धारी-समझकर।
४. धुर मूल, आरंभ।
५. ↑ डहकावे सौदे में धोखा खाय, ठगाए।
६. ↑ सबार=सवेरे ।
७. गहरु विलंब, देर।
राग नट
आए जोग सिखावन पाँड़े।
परमारथी पुराननि लादे ज्यों बनजारे टाँड़े[१]॥
हमरी गति पति कमलनयन की जोग सिखैं ते राँड़े॥
कहौ, मधुप, कैसे समायँगे एक म्यान दो खाँड़े॥
कहु षटपद, कैसे खैयतु है हाथिन के संग गाँड़े[२]।
काकी भूख गई बयारि भखि बिना दूध घृत माँड़े॥
काहे को झाला[३] लै मिलवत, कौन चोर तुम डांड़े[४]?
सूरदास तीनों नहिं उपजत धनिया धान कुम्हाँड़े॥२५॥
- टाँड़ा=व्यापार का माल।
- ↑ गाँड़ा=गन्ने या चारे का कटा हुआ टुकड़ा। हाथी के साथ गाँड़े खाना=(कहाबत) देखादेखी अनहोनी बात करना।
- ↑ झाला=झल्ल, बकवाद।
- ↑ डाँड़े =दंड दिया।
बिहारी – बिहारी सतसई (दोहा क्रमांक 1,16,18)
मेरी भव-बाधा हरौ राधा नागरि सोइ।
जा तन की झाँईं परैं स्यामु हरित दुति होइ॥1॥
भव-बाधा = संसार के कष्ट, जन्ममरण का दुःख। नागरि = सुचतुरा, झाँईं = छाया। हरित = हरी। दुति = द्युति, चमक।
वही चतुरी राधिका मेरी सांसारिक बाधाएँ हरें – नष्ट करें; जिनके (गोरे) शरीर की छाया पड़ने से (साँवले) कृष्ण भी द्युति हरी हो जाते है।
नोट-नीले और पीले रंग के संयोग से हरा रंग बनता है। कृष्ण के अंग का रंग नीला और राधिका का कंचन-वर्ण (पीला) – दोनों के मिलने से ‘हरे’ रंग प्रफुल्लता की सृष्टि हुई। राधिका से मिलते ही श्रीकृष्ण खिल उठते थे। कविवर रसलीन भी अपने ‘अंग-दर्पण’ में राधा की यों वन्दना करते हैं –
राधा पद बाधा-हरन साधा कर रसलीन।
अंग अगाधा लखन को कीन्हों मुकुर नवीन॥
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महादेवी वर्मा – मैं नीर भरी दुख की बदली : nios par AUTHENTIC SOURCE https://www.nios.ac.in/media/documents/srsec301new/301-Lesson-14.pdf
https://www.hindwi.org/geet/main-neer-bhari-mahadevi-varma-geet
अज्ञेय – नदी के द्वीप (कविता) : नदी के द्वीप – कविता | हिन्दवी
https://iisjoa.org/sites/default/files/iisjoa/Dec%202021/32.pdf RESEARCH PAPER
https://www.shahucollegelatur.org.in/Department/Studymaterial/lang/hindi/NKD.pdf VYAKHYA SAHIT PDF
मुक्तिबोध – अँधेरे में kavita : अँधेरे में – कविता | हिन्दवी
IGNOU
https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/23485/5/Unit-18.pdf
‘मुक्तिबोध’ की कविता ‘अंधेरे में’ का विविध पक्ष
इकाई-13
सुदर्शन – हार की जीत हार की जीत NCERT pdf
ignou – https://www.egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/80925/1/Unit-7.pdf PDF
रामनारायण उपाध्याय – क्या ऐसा नहीं हो सकता ? ORIGINAL KAHANI MILI NAHI HAI.
- https://hi.wikipedia.org/wiki/रामनारायण_उपाध्याय
- https://mpboardstudy.in/mp-board-class-6th-hindi-bhasha-bharti-solutions-chapter-10-क्या-ऐसा-नहीं-हो-स/
भवानीप्रसाद मिश्र : श्रम की महिमा
https://ncert.nic.in/textbook/pdf/khar111.pdf Parichaya
श्रम की महिमा
तुम काग़ज़ पर लिखते हो
वह सड़क झाड़ता है
तुम व्यापारी
वह धरती में बीज गाड़ता है ।
एक आदमी घड़ी बनाता
एक बनाता चप्पल
इसीलिए यह बड़ा और वह छोटा
इसमें क्या बल ।
सूत कातते थे गाँधी जी
कपड़ा बुनते थे ,
और कपास जुलाहों के जैसा ही
धुनते थे
चुनते थे अनाज के कंकर
चक्की पिसते थे
आश्रम के अनाज याने
आश्रम में पिसते थे
जिल्द बाँध लेना पुस्तक की
उनको आता था
भंगी-काम सफाई से
नित करना भाता था ।
ऐसे थे गाँधी जी
ऐसा था उनका आश्रम
गाँधी जी के लेखे
पूजा के समान था श्रम ।
एक बार उत्साह-ग्रस्त
कोई वकील साहब
जब पहुँचे मिलने
बापूजी पीस रहे थे तब ।
बापूजी ने कहा – बैठिये
पीसेंगे मिलकर
जब वे झिझके
गाँधीजी ने कहा
और खिलकर
सेवा का हर काम
हमारा ईश्वर है भाई
बैठ गये वे दबसट में
पर अक्ल नहीं आई ।
गोपाल प्रसाद व्यास – खूनी हस्ताक्षर
खूनी हस्ताक्षर
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है!
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है!
उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, “स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।
आज़ादी के चरणें में जो,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूँथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है”
यूँ कहते-कहते वक्ता की
आंखों में खून उतर आया!
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा
दमकी उनकी रक्तिम काया!
आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की
आज़ादी तुम मुझसे लेना।”
हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।
“हम देंगे-देंगे खून”
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं
आकर हस्ताक्षर करता है?
इसको भरनेवाले जन को
सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन
माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं,
आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!
वह आगे आए जिसके तन में
खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिंदुस्तानी कहता हो!
वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर करता हो!
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो!”
सारी जनता हुंकार उठी-
हम आते हैं, हम आते हैं!
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढाते हैं!
साहस से बढ़े युबक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे!
चाकू-छुरी कटारियों से,
वे अपना रक्त गिराते थे!
फिर उस रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे!
आज़ादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे!
उस दिन तारों ने देखा था
हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने
ख़ूँ से अपना इतिहास नया।
रामप्रसाद बिस्मिल – मेरी माँ : मेरी माँ NCERT PDF Download
- Question & Answer : 14. Gujrat State Board, the Best Hindi Solutions, Class X, Ramprasad Bismil, Meri Maa, मेरी माँ (आत्मकथा अंश) रामप्रसाद बिस्मिल
- www.learncbse.in/ncert-class-6-hindi-chapter-6-extra-questions/
अमरकांत – दोपहर का भोजन :
- अमरकांत / 23 ncert pdf download
- https://egyankosh.ac.in/bitstream/123456789/80930/1/Unit-12.pdf
- IIT KANPUR CUET : https://cuet.iitk.ac.in/sathee-cuet/student-corner/ncert-books/class-11/nb-hindi/antra/chapter-02-dopahar-ka-bhojan/#परशन-अभयस
इकाई-14
शिवानी – अपराजिता :
- पाठ-4 – अपराजिता PDF
- अपराजिता (कहानी) : शिवानी
- Q & A : अपराजिता (कहानी) pdf download
हरिकृष्ण प्रेमी – राखी का मूल्य
- पाठ 6 – राखी का मूल्य text book lession pdf
- Q & A : Rakhi Ka Mulya Summary Question Answer | हिन्दीकुंज,Hindi Website/Literary Web Patrika
मालती जोशी – दादी की घड़ी :
जैनेन्द्र – पत्नी
- Research Paper :
- इकाई 3 जैनेन्द्र और उनका उपन्यास साहित्य Egyankosh Ignou
- पत्नी – कहानी | हिन्दवी
विष्णु प्रभाकर – नींव का पत्थर
शरद जोशी : जीप पर सवार इल्लियाँ : Jeep Par Sawar Illiyan.pdf
Q & A : www.rbsesolutions.com/class-8-hindi-chapter-14/
इकाई-15
कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर : आत्मविश्वास
- : Q & A – www.hindikunj.com/2021/08/atmavishwas-kanhaiyalal-prabhakar.html
- https://www.evidyarthi.in/wp-content/uploads/2022/05/mp-board-class-8-hindi-chapter-2.pdf Mool Paath.
- Jivani : hi.wikipedia.org/wiki/कन्हैयालाल_मिश्र
शिवमंगल सिंह सुमन – पथिक से
- पथिक से Mool Paath
- Q & A : www.infosrf.com/blog-single.php?MnBv=1110
रवीन्द्रनाथ टैगोर – याचक और दाता
- याचक और दाता Mool Paath.
- पाठ-12 याचक और दाता कक्षा – 8 हिन्दी अभ्यास (बोध प्रश्न एवं व्याकरण)
- MP Board Class 8th Hindi Bhasha Bharti Solutions Chapter 12 याचक और दाता
रामधारी सिंह दिनकर – भगवान के डाकिए
- भगवान के डाकिए – कविता | हिन्दवी , https://ncert.nic.in/textbook/pdf/hhvs104.pdf
- www.pw.live/concepts-ncert-solutions-for-class-8-hindi-chapter-6#:~:text=(क)%20पक्षी%20और%20बादल%2C,दूसरे%20महादेश%20को%20जाते%20हैं।
हजारी प्रसाद द्विवेदी – क्या निराश हुआ जाए
- क्या निराश हुआ जाए – निबंध | हिन्दवी,
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/hhvs105.pdf
- Q & A www.successcds.net/class-8/hindi/kya-nirash-hua-jaye.html
रमेश चन्द्र शाह – कठिन समय में :
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इकाई-16
भगवतीचरण वर्मा – दीवानों की हस्ती
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/hhvs103.pdf
- Q l̥& A www.successcds.net/class-8/hindi/deewano-ki-hasti.html
रामचंद्र शुक्ल – पानी की कहानी
- 16 – पानी की कहानी Ramchandra tiwari hain shukla nahi.
- पानी की कहानी NCERT PDF
- Q & A – hindi.tiwariacademy.com/lncert-solutions/class-8/hindi/vasant-chapter-12/
सुभद्राकुमारी चौहान – पानी और धूप
- अभी अभी थी धूप, बरसने लगा कहाँ से यह पानी किसने फोड़ घड़े बादल के की है इतनी शैतानी
- Arth : पानी और धूप कविता Pani Aur Dhoop NCERT Class 7 Hindi Durva
विष्णु प्रभाकर – नींव का पत्थर
- Q & A : www.mpboardsolutions.com/mp-board-class-7th-hindi-bhasha-bharti-chapter-12/
- Mool Patha : नींव का पत्थर
ऊषा प्रियंवदा : वापसी
मंगलेश डबराल- संगतकार
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/jhks106.pdf Mool Paath
- Q & A – Vyakhya : www.successcds.net/class-10/hindi/course-a/sangatkar
इकाई- 17
हरिशंकर परसाई – प्रेमचंद के फटे जूते
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/ihks105.pdf
- प्रेमचंद के फटे जूते – निबंध | हिन्दवी
- Q&A : edurev.in/t/73914/NCERT-Solutions-Chapter-6-Premchand-ke-Fatte-Jutein-Class-9-Hindi-Kshitiz
मेरे बचपन के दिन- महादेवी वर्मा
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/ihks106.pdf
- https://cbseworld.weebly.com/uploads/2/8/1/5/28152469/1_4_5_5_6.pdf With Q &A
- www.learncbse.in/ncert-solutions-for-class-9-kshitiz-ii-hindi-chapter-7/
प्रेमचंद – पंच परमेश्वर
श्यामाचरण दुबे – उपभोक्तावाद की संस्कृति
राहुल सांकृत्यायन – ल्हासा की ओर
- राहुल सांकृत्यायन का जन्म सन् 1893 में उनके ननिहाल गाँव पंदहा. NCERT MOOL PAATH
- Q & A : www.learncbse.in/ncert-solutions-for-class-9-kshitiz-ii-hindi-chapter-2/
गिरिजा कुमार माथुर- छाया मत छूना
- :छाया मत छूना Q & A
- छाया मत छूना – कविता | हिन्दवी Mool Paath
इकाई-18
- रामवृक्ष बेनीपुरी- बालगोबिन भगत : https://ncert.nic.in/textbook/pdf/jhks108.pdf Mool Paath aur Parichaya NCERT
- Q & A : https://www.summerfielduk.com/site/studymeterial/Class%20X/HINDI/CHAPTER-11-NOTES.pdf
- leverageedu.com/blog/hi/balgobin-bhagat-class-10/
यशपाल – लखनवी अंदाज
- https://ncert.nic.in/textbook/pdf/jhks109.pdf NCERT
- लखनवी अंदाज़ – कहानी | हिन्दवी
- Q & A : www.learncbse.in/ncert-solutions-for-class-10-kshitiz-ii-hindi-chapter-12/
मन्नू भंडारी – एक कहानी यह भी
- मन्नू भंडारी का जन्म सन् 1931 में गाँव भानपुरा, ज़िला NCERT
- एक कहानी यह भी – आत्मकथ्य | हिन्दवी
- Q & A : www.learncbse.in/ncert-solutions-for-class-10-kshitiz-ii-hindi-chapter-14/
स्वयं प्रकाश – नेताजी का चश्मा
अज्ञेय – मैं क्यूँ लिखता हूँ
- मैं क्यों लिखता हूँ? NCERT
- Q & A : https://leverageedu.com/blog/hi/मैं-क्यों-लिखता-हूं/
- www.pw.live/ncert-solutions-class-10-hindi-kritika-chapter-5
नागार्जुन अकाल और उसके बाद
- अकाल और उसके बाद – कविता | हिन्दवी Mool Paath.
इकाई-19
• भूषण – शिवा बावनी, पद संख्या-4,25,26
हाथिन के हौदा उकसाने कुंभ कुंजर के,
भौन को भजाने अलि छूटे लट केस के।
दल के दरारे हुते कमठ करारे फूटे,
केरा के से पात बिगराने फन सेस के॥
शिवा-बावनी [4] भावार्थ: शत्रु-सेना के हाथियों पर बंधे हुए हौदे घड़ों की तरह टूट गये। शत्रु-देशों की स्त्रियां, जब अपने-अपने घरों की ओर भागीं तो उनके केश हवा में इस तरह उड़ रहे थे, जैसे कि काले रंग के भौंरों के झुंड के झुंड उड़ रहे हों। शिवाजी की सेना के चलने की धमक से कछुए की मजबूत पीठ टूटने लगी है और शेषनाग का फन मानो केले के पत्तों की तरह फैल गया।
३२
शिवा बावनी
जीत्यो सिवराज सलहेरि को समर सुनि, सुनि असुरन के सुसीने घरकत हैं।
देवलोक नागलोक नरलोक गावैं जस, अजहूं लों परे स्वग दन्त खरकत हैं ।॥
कंटक कटक काटि कीट से उड़ाये केते, भूपन भनत मुख मोरे सरकत हैं। रन भूमि लेटे अघफेंटे अरसेते ‘परे, रुधिर लपेटे पठनेटे फरकत हैं ॥२५॥
भावार्थ
यह सुन कर कि महाराजा शिवाजी ने सलहेरि की लड़ाई जीत ली है, मुसल्मानों के कलेजे धड़कने लगे। स्वर्ग, पाताल और मृत्यु लोक में शिवाजी का यश गान हो रहा है। तीरों की गांसियाँ अब भी पीड़ा दे रही हैं। शिवाजी ने शत्रुओं की फौजें काट काट कर कीड़े मकोड़े की तरह उड़ा दी और कुछ बचे खुचे शत्रु पीठ दिखा कर लम्बे हुए। रणभूमि में अशक्त पापी नव युवक पटान रक्त से भीगे हुए फड़ फड़ा रहे हैं।
टिप्पणी
सलहेरि नामक स्थान पर शिवाजी ने औरंगजेब के भेजे हुए दिलेरखां और इखलासखां को हरा कर पूर्ण बिजय पाई थी। यह युद्ध संवत् १७२६ में हुआ था।
यहां दृश्यनुप्रास अलंकार है। जहां बहुत से शब्दों के आदि के अक्षर एक से होते हैं वहां कृत्यनुप्रास अलङ्कार होता है। जैसे यहां कंटक, कटक,
शिवा बावनी
३३
काटि, कीट शब्दों के आदि में ‘क’ तथा सिवराज सलहेरि, समर, सुमि सुनि शब्दों के आदि में ‘स’ अक्षर का प्रयोग किया गया है।
असुर राक्षस, यहां अत्याचारी मुसलमानों से तात्पर्य है। खग दन्त तारों की गांसियां । कंटक शत्रु। अघफेंटे पापी। अरसेटे अशक्त । पठ-नेटे नवयुवक पठान ।
मालती सवैया ।
केतिक देस दल्यो दल के बल, दच्छिन चंगुल चाँपि कै चाख्यो
रूप गुमान हरयो गुजरात को, सूरत को रस चूसि कै नाख्यो ॥
पंजन पेलि मलेच्छ मले सब, सोइ बच्यो जिहि दीन है भाख्यो ।
सो रंग हैं सिवराज बली जिन, नौरंग में रंग एक न राख्यो ॥२६॥
भावार्थ
शिवाजी ने अपनी सेना के बल से कितने देश ध्वस्त नहीं कर डाले ? दक्षिण प्रान्त सिंह की नाई चंगुल में दबा कर भक्षण कर लिया। गुजरात की शोभा और घमंड धूल में मिला दिया। सूरत को भी उसका रस अर्थात् वैभव लेकर नष्ट कर दिया। मुसल्मानों को पंजों से चीड़ फाड़ कर मूर्छित कर दिया ! हां, दीनता स्वीकार करने पर ही कोई ३
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