डॉ. अवध किशोर जड़िया एक सरकारी आयुर्वेदिक चिकित्सक हैं। वा एक प्रसिद्ध विद्वान, लेखक और कवि है। उन्हें बुंदेलखंडी बोली का प्रतिनिधि कवि माना जाता है और ‘मुंदेली गौरव कहा जाता है। राजभाषा बज और सुंदेली बोली मैं अब तक उनकी पाँच पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। 2 07 सितंबर, 1949 को मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के हरपालपुर नामक एक छोटे से करने में एक राजध परिवार में जन्में करें, जड़िया ने 1970 में जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से स्वर्ण पदक साथ बीएएमएस किया। बाद में, उन्हें मध्य प्रदेश में विकित्सा अधिकारी नियुक्त किया गया। इस दौरान उन्हें साहित्य और लेखन के प्रति बहुत लगाव हो गया। 388 में व्यालियर में तदीयमान मानस मणि सम्मानजनकी पहली जपलब्धि थी। डॉ. जड़िया बुदेली बोली को परिष्कृत करने उत्से पहचान दिलाने और साहित्य के क्षेत्र में उसे लोकप्रिय बनाने के लिए प्रयासरत है। अपने लेखन को और अधिक रोधक बनाने के लिए वह अपने तरीके से अलंकारों और शास्त्रीय भाषा का प्रयोग करते है। उन्हें इस समय में बुंदेली भाषा का एक प्रतिनिधि कवि माना जाता है। यह बुंदेली उत्पच बसरी, छतरपुर मध्य प्रदेश की चयन समिति के सदस्य है। यह 2013 से 2015 तक उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान लखनऊ में वेलुअर समिति के सचस्य रहे। उनकी बार बुंदेली कविताएं महाराजा छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर, मध्य प्रदेश के एमए पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
बी, जड़िया को साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हुए हैं। उनके पहले प्रकाशन नंदनीय बुंदेलखंड के लिए उन्हें 1979 में कला संस्कृत साहित्य पीतमपुरा, उत्तर प्रदेश से साहित्यालंकार 1991 में अखिल भारतीय बन्न साहित्य संकाय, आगरा से “बुंदेली गौरव 1994 में अखिल भारतीय बज साहित्य संगम मथुरा में ‘कवि शिरोमणि और 1997 में साहित्यानंद परिषय गोला गांकरनाथ से काममा रून’ सम्मान प्राप्त हुए। वर्ष 2012 में उत्तर प्रदेश हिंदी संख्यान लखनऊ में जन्हें ‘लोक भूषण सम्मान’ प्रदान किया गया, जो एक और बड़ी उपलब्धि है।