के. अन्नामलाई – K.Annamalai

अन्नामलाई कुप्पुसामी: आयु, जीवनी, शिक्षा, पत्नी, जाति, कुल संपत्ति

अन्नामलाई कुप्पुसामी व्यक्तिगत जीवन

पूरा नाम – अन्नामलाई कुप्पुसामी

जन्म तिथि –  04 जून 1984 (आयु 39 वर्ष)

जन्म स्थान –  करूर

पार्टी का नाम – भारतीय जनता पार्टी

शिक्षा – बी.ई., एम.बी.ए.

व्यवसाय – पूर्व सिविल सेवक, राजनीतिज्ञ

पिता का नाम – कुप्पुसामी

जीवनसाथी का नाम – अकिला एस नाथन

बच्चे – 1 पुत्र

जाति –  पिछड़ी

स्थायी पता – करूर, तमिलनाडु

वर्तमान पता –  करूर, तमिलनाडु

Annamalai Kuppusamy Net Worth

Net Worth     – ₹2.66 CRORE

ASSETS    – ₹2.91 CRORE

Liabilities   – ₹25 LAKHS

Disclaimer:The information relating to the candidate is an archive based on the self-declared affidavit filed at the time of elections. The current status may be different. For the latest on the candidate kindly refer to the affidavit filed by the candidate with the Election Commission of India in the re

Education Qualification of Annamalai Kuppusamy

He obtained an MBA degree at IIM Lucknow in 2010.

अन्नामलाई कुप्पुसामी के बारे में रोचक तथ्य

1. अन्नामलाई 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी थे.

2. उन्होंने आठ वर्षों तक विभिन्न स्थानों पर सिविल सेवक के रूप में कार्य किया।

3. अन्नामलाई को कर्नाटक में प्यार से सिंघम अन्नामलाई कहा जाता था।

4. वह वी द लीडर्स फाउंडेशन के संस्थापक हैं।

Transcript Based on the Video of the karma: 

पढ़ाई योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में, राजनीति दक्षिण भारत के तमिलनाडु में,

लुंगी शर्ट वाले इस पूर्व आईपीएस को आखिर क्यों कहा जाता है साउथ का योगी? क्या दो हज़ार चौबिस में मोदी को यूपी से खींचकर तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव लड़वाएंगे साउथ के योगी।

दोस्तों आज हम बीजेपी के उस युवा नेता के बारे में बताने जा रहे हैं जिन पर पार्टी ने बहुत भरोसा किया है। पार्टी ने सिर्फ छत्तीस साल की उम्र में उन्हें दक्षिण भारत के एक अहम राज्य का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया है।

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष बनते ही इन्होंने जिस तरह से रफ्तार पकड़ी है उससे तमिलनाडु में बीजेपी के विरोधी और सहयोगी दोनों चौंक गए हैं। सनातन के प्रबल समर्थक इस पूर्व आईपीएस के जीवन से जुड़े कुछ ऐसे राज हम आपको बताएंगे जिन्हें जानकर आप हैरान रह जाएंगे। 

आज हम बात कर रहे हैं तमिलनाडु के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई की उन्होंने पिछले महीने तमिलनाडु में जो पदयात्रा शुरू की है। उसका बेसिक कैरेक्टर हिंदू है। लेकिन हिन्दू कैरेक्टर में तमिल अस्मिता पूरी तरह से घुली मिली हुई है। आजादी के बाद से ही तमिलनाडु के क्षेत्रीय दलों ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद से ऊपर तमिल अस्मिता को रखा और तमिल ईलम की राजनीति की क्षेत्रवाद को उभारकर इन परिवारवादी क्षेत्रीय दलों ने राष्ट्रीय दलों को राज्य से करीब-करीब बाहर ही कर दिया। ऐसे में हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और तमिल अस्मिता को एक साथ साधना बहुत मुश्किल है। लेकिन मुश्किल काम को आसान कर रहे हैं, के अन्नामलाई।  उनकी पदयात्रा के दौरान महिलाएं और बच्चे भी उनका स्वागत कर रहे हैं कई जगह उनकी आरती उतारी जा रही है। हिन्दू मठों और मंदिरों के लोग भी उनकी अगवानी कर रहे हैं।

के अन्नामलाई करीब पाँच महीने में तमिलनाडु की सभी दो सौ चौंतीस विधानसभा क्षेत्रों की पद यात्रा कर रहे हैं। इस दौरान वह कभी किसी होटल में नहीं रुकते बल्कि पार्टी के कार्यकर्ताओं के यहां ही भोजन और ठहरने की व्यवस्था की जा रही है। अन्ना मलाई अंग्रेजों के उस इतिहास से बिल्कुल भी इत्तेफाक नहीं रखते जिसके अनुसार आर्य और द्रविड़ अलग अलग हैं। जो अंग्रेजी इतिहास बताता है कि साउथ इंडिया के अपर कास्ट आर्य हैं और पिछड़े और दलित द्रविड हैं। इतिहास की ये और ऐसी कई अंग्रेजी मान्यताएं वैसे भी अब ढह  रही हैं। 

अन्नामलाई,  सनातन धर्म और संस्कृति के पुजारी हैं जिसका तमिल भी एक महत्वपूर्ण अंग है। अन्नामलाई तमिल की सियासत में सनातन कमान ऊंचा करने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। अन्ना मलाई बीजेपी के फायर ब्रांड नेता और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरह ही तमिलनाडु में अपने विपक्षी नेताओं को घेरते हैं। उनके हमलों से मौजूदा स्टालिन सरकार तिलमिलाई हुई है। अन्नामलाई भ्रष्टाचार के मुद्दे पर किसी को नहीं छोड़ रहे हैं। वो डीएमके को घेरते हैं तो साथ ही बीजेपी की सहयोगी पार्टी एआईएडीएमके को भी नहीं छोड़ते। उनका एकमात्र लक्ष्य है तमिलनाडु में बीजेपी को मजबूती से खड़ा करना और इसके लिए उनके दिमाग में कई आइडियाज हैं। कहा जा रहा है कि उन्हीं का आइडिया है कि प्रधानमंत्री मोदी को तमिलनाडु के किसी लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया जाए। उनके इस आइडिया पर पार्टी में गंभीरता से विचार चल रहा है। ऐसा होने पर दो हज़ार चौबीस के चुनाव में पूरे साउथ इंडिया में इसका असर दिख सकता है।

सवाल उठता है कि आईपीएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने वाले अन्नामलाई में बीजेपी को ऐसा क्या दिखा कि उन्हें पार्टी ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दे दी।  तो इसके लिए उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में जानना होगा। अन्नामलाई मूल रूप से तमिलनाडु के करूर जिले के रहने वाले हैं। उनका परिवार खेती किसानी का काम करता है।  वे तमिलनाडु की पिछडी जाती कुंभ गू लार से आते हैं। उनके घर की माली हालत बहुत अच्छी नहीं थी। कोयंबटूर के पी जी कॉलेज ऑफ टेक्नॉलजी से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की इसके बाद उनका चयन आईआईएम लखनऊ के लिए हो गया। जहां से उन्होंने मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री ली।

पढ़ाई के लिए लखनऊ जाना उनके लिए जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। लखनऊ आने से पहले उनका लक्ष्य मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे ओहदे पर पहुंचना था लेकिन आईआईएम लखनऊ में पढ़ाई के दौरान उन्हें कुछ ऐसे अनुभव हुए जिससे उनका मन पूरी तरह बदल गया। अन्नामलाई ने डेक्कन क्रॉनिकल अखबार को दिए एक इंटरव्यू में अपनी निजी जिंदगी के बारे में बताया था, उन्होंने कहा कि यूपी जाना उनके लिए शॉकिंग था। यहां पाँच-पाँच रुपये के लिए किसी की हत्या कर दी जाती थी। इस प्रदेश ने मुझे हमेशा के लिए बदल दिया। मैंने इतनी गरीबी पहले कभी नहीं देखी थी। उसी वक्त मैंने तय किया कि मैं एक ऐसा जीवन जीऊंगा जहां मैं आम लोगों के जीवन को बेहतर करने में कुछ रोल निभा पाऊं। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा मुझे ऐसी ही जिंदगी जीने का एक माध्यम समझ में आया। जिसके बाद मेरे आईआईएम में आए इंटरनेशनल कंपनियों में प्लेसमेंट लेने की जगह सिविल सेवा की परीक्षा दी।  मुझे आईएएस बनना था, लेकिन कम नंबर आने की वजह से मैं आईपीएस बन गया। दो हज़ार ग्यारह में आईपीएस बनने के बाद उनकी छवि एक ईमानदार और तेज तर्रार अफसर की रही। कर्नाटक कैडर में पुलिस की नौकरी के दौरान उन्होंने कई अहम कदम उठाए।  वो इतने लोकप्रिय हुए कि लोग उन्हें सिंघम के नाम से पुकारने लगे। उनका ट्रांसफर होने पर आम लोग सड़क पर उतर आते और तबादला रोकने की मांग करते। लेकिन पुलिस की नौकरी में शायद अन्नामलाई ने उस संकल्प को तेजी से पूरा होते नहीं देखा

जिसे उन्होंने लखनऊ में लिया था। मई दो हज़ार उन्नीस को उन्होंने पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। अगस्त दो हज़ार बीस में अन्नामलाई बीजेपी में शामिल हो गए। और करीब एक साल बाद जुलाई दो हज़ार इक्कीस को उन्हें तमिलनाडु बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। दो हज़ार इक्कीस में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में अन्ना भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चुनाव भी लड़े थे।  वह हारे जरूर लेकिन वोटों की संख्या तीन चार हज़ार से सत्तर हजार तक पहुंचा दी। जमीन पर उतरकर राजनीति करने वाले अन्नामलाई का क्रेज धीरे धीरे ही सही लेकिन अब रफ्तार पकड़ चुका है। उनका क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। अभी हाल ही में पीएम मोदी ने तमिलनाडु में जनसभा को संबोधित किया था। जिसमें लाखों की संख्या में लोग पहुंचे थे। इसकी सफलता के पीछे भी अन्नामलाई की जमीन से जुड़ी राजनीति को माना जा रहा है। अन्नामलाई का क्रेज केवल तमिलनाडु में ही नहीं है पड़ोसी राज्य केरल और कर्नाटक में भी उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है। अन्नामलाई के इसी क्रेज की वजह से उन्हें साउथ इंडिया का योगी कहा जाने लगा है । योगी की तरह ही तेज तर्रार नेता अन्नामलाई दक्षिण भारत में सनातन के मूल्यों को मजबूती प्रदान करने में लगे हैं।  

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